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Tahawwur Rana : भारत आने के बाद कसाब की तरह फांसी के फंदे तक पहुंचेगा तहव्वुर? जानें क्या है एक पेच 

February 14, 2025 | by Deshvidesh News

Tahawwur Rana :  भारत आने के बाद कसाब की तरह फांसी के फंदे तक पहुंचेगा तहव्वुर? जानें क्या है एक पेच

26 नवंबर 2008 की मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. जल्द ही उसे भारत लाकर मुंबई की विशेष अदालत में मुकदमा चलाया जाएगा. सवाल अब ये उठता है कि क्या हमारी सरकार राणा को दोषी ठहराकर उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा सकेगी? राणा के खिलाफ सबूत के नाम पर सिर्फ उसके साथी डेविड हेडली का एक इकबलिया बयान है जो उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अमेरिका की जेल से दिया था.

26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले के मामले में अब तक सिर्फ अजमल कसाब को ही सजा ए मौत दी गई है. इस हमले से जुड़े दो और भी आरोपी हैं, जिनका इंतजार फांसी का फंदा कर रहा है. एक है अबू जुंदाल जो की पाकिस्तान के कैंप में आतंकियों का हैंडलर था और दूसरा है तहव्वुर राणा, जिसपर इस साजिश के मास्टरमाइंड में से एक होने का आरोप है.

पाकिस्तानी सेना में था तहव्वुर राणा

तहव्वुर राणा पाकिस्तान की फौज में डॉक्टर था. उस पर 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमलों की साजिश में शामिल होने का इल्जाम है. यह हमला वो जख्म है, जिसे हिंदुस्तान कभी नहीं भुला सकता. 26 नवंबर की रात से लेकर 29 नवंबर की सुबह तक मुंबई में मौत और तबाही का मंजर छाया रहा. पाकिस्तान से समुंदर के रास्ते आए दस दहशतगर्दों ने मुंबई के रेलवे स्टेशन, पांच सितारा होटलों, अस्पताल और यहूदी केंद्र को अपना निशाना बनाया. उन दस में से सिर्फ एक अजमल कसाब, को जिंदा पकड़ा गया और 9 मुठभेड़ में मारे गए.

अजमल कसाब पर हिंदुस्तान में मुकदमा चला और 2012 में उसे फांसी पर लटकाया गया. मगर, उस हमले के एक साल बाद दो और नाम सामने आए, जो इस खौफनाक साजिश के असल किरदार थे. ये थे डेविड हेडली, जो पाकिस्तानी नसल का एक अमरीकी शहरी था और तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी नसल का कैनेडियन था. इन दोनों को अमरीकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने शिकागो से गिरफ्तार किया. हालांकि, गिरफ्तारी एक अलग मामले में हुई थी, जिसमें आरोप था कि ये डेनमार्क के एक अखबार पर हमला करने की साजिश रच रहे थे.

एफबीआई की सख्त तफ्तीश के बाद हेडली ने कबूल किया कि मुंबई हमलों के ठिकानों की रेकी उसने की थी. उसने पांच बार हिंदुस्तान का सफर किया और जिन जगहों पर हमला होना था. उनका मुआयना किया. उसने यह भी बताया कि यह साजिश लश्कर-ए-तैयबा ने तैयार की थी. पहचान छुपाने के लिए उसने ताड़देव इलाके में एक इमीग्रेशन कंपनी “फर्स्ट वर्ल्ड इमीग्रेशन सर्विसेज़” का दफ्तर खोला. इस कंपनी का मालिक तहव्वुर राणा था और इसकी शाखाएं दुनिया भर में थीं.

तहव्वुर राणा के बारे में

तहव्वुर राणा 1961 में पाकिस्तान के पंजाब में पैदा हुआ. वह पाकिस्तानी फौज में डॉक्टर था और कैप्टन के ओहदे पर था. 1997 में उसने फौज की नौकरी छोड़ दी और अपनी बीवी के साथ कनाडा में बस गया. 2001 में उसे कनाडा की शहरीयत (नागरिकता) मिल गई. हालांकि, वह शिकागो में रहता था और वहीं से अपनी इमीग्रेशन कंपनी चलाता था.

ताजमहल होटल में ठहरा था राणा

शिकागो में उसकी मुलाकात उसके पुराने दोस्त डेविड हेडली से हुई. हेडली ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप में दहशतगर्दी की तालीम ली थी. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मेजर इकबाल ने इन दोनों को मुंबई में हमला करने की साजिश में शामिल किया. हमले की तैयारी के लिए राणा खुद भी अपनी बीवी के साथ मुंबई आया और उसी ताजमहल होटल में ठहरा, जो बाद में हमले का निशाना बना.

अमेरिका में गिरफ्तार होने के बाद हेडली ने हिंदुस्तानी अफसरों के सामने अपनी और राणा की पूरी साजिश का खुलासा किया. अमरीकी अदालत ने हेडली को 35 साल की कैद की सजा सुनाई. लेकिन राणा को मुंबई हमलों के इल्जाम से बरी कर दिया गया. हालांकि, डेनमार्क पर साजिश के लिए उसे 14 साल कैद की सजा मिली.

इसी बीच, हिंदुस्तान ने मुंबई हमलों के एक और आरोपी, अबू जुंदाल, को गिरफ्तार किया. हेडली को अदालत से माफी दिलाकर सरकारी गवाह बनाया गया. वीडियो कॉल के जरिए हेडली ने मुंबई की अदालत में हमले की पूरी कहानी बयान की और तहव्वुर राणा की भूमिका को उजागर किया. इडली का एक बलिया बयान ही है जो कि राणा के खिलाफ भारतीय जानती जनजातियों के पास सबसे बड़ा सबूत है.

हेडली के बयान के बाद हिंदुस्तान ने अमेरिका से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की. अमेरिका ने प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजने पर हामी भरी. लेकिन राणा ने इस आदेश को अमेरिका के अदालत में चुनौती दी है. उसने दावा किया कि उसे इस मामले में फंसाया जा रहा है. अदालत ने उसकी दलीलें खारिज कर दीं. जनवरी में ऊपरी अदालत ने भी उसकी अपील रद्द कर दी. अगर हिंदुस्तान की अदालत में वह दोषी साबित हुआ, तो फांसी के सिवा उसके लिए कोई और सजा मुनासिब नहीं होगी.

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