National Women’s Day: आज मनाया जाता है नेशनल वूमंस डे, जानिए क्यों कहा जाता है उन्हें भारत कोकिला और क्यों है यह दिन
February 13, 2025 | by Deshvidesh News

Birth anniversary of Sarojini Naidu : स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री सरोजनी नायडू (Sarojini Naidu) ने कहा था, आत्मा की स्वतंत्रता भारत का हिस्सा तभी होगी जब महिला स्वतंत्र होगी. महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली सरोजनी नायडू की जयंती (Birth anniversary of Sarojini Naidu) 13 फरवरी को देश में नेशनल वूमंस डे (National Women’s Day) मनाया गया है और वूमन एनपावरमेंट के लिए किए गए उनके कामों को याद किया जाता है. वर्ष 1879 में हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में जन्म लेने वाली सरोजनी नायडू बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं. नायडू महात्मा गांधी की अनुयायी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला नेताओं में से एक थीं. सरोजनी नायडू इंडियन नेशनल कांगेस की पहली प्रेसीडेंट भी चुनी गई थीं. आइए जानते हैं सरोजनी नायडू के व्यक्तित्व और उपलब्धियों के बारें में.
इस दिन के लिए क्यों चुना गया 13 फरवरी का ही दिन, रेडियो ऐसे बना लोगों को जोड़ने का जरिया
बनीं पहली महिला अध्यक्ष ( First President of Congress)
- सरोजनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाली प्रमुख महिला नेताओं में से थीं.
- उन्हें 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया था.
- वह कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं. देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनाया गया था.

मिली भारत कोकिला की उपाधि ( Nightingale of India)
- सरोजनी नायडू देश की प्रमुख कवयित्रियों में से एक रहीं और उन्होंने कई विषयों पर लिखा है.
- उनकी कविताओं में प्रेम, प्रकृति, मृत्यु, सपनों को भारतीय जीवन के समृद्ध परिदृश्य, लोक चरित्रों के रूप में दिखाया गया है.
- हालांकि देश प्रेम और महिलाओं की सशक्तिकरण को उन्होंने कविताओं में सबसे ज्यादा मुखर रूप से देखा जाता है.
- सरोजनी नायडू को भारत कोकिला की उपाधि दी गई थी.
- महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली सरोजनी नायडू की जयंती 13 फरवरी को देश में नेशलन वूमंस डे मनाया है और वूमन एनपावरमेंट के लिए किए गए उनके कामों को याद किया जाता है.
महिलाओं के अधिकारों की वकालत (Women’s rights advocacy)
नायडू ने अपनी कुछ कविताओं में सीता, सावित्री, द्रौपदी, दमयंती और शकुंतला जैसी महिलाओं के बारे में लिखकर भारतीय नारीत्व को आदर और सम्मान दिया है. उन्होंने इन चरित्रों के माध्यम से महिलाओं से जुड़े अहम सवालों को मुखर स्वर दिया.
अस्वीकरण: एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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