Exclusive: बचपन से ऑटिज्म से जूझ रहे बिल गेट्स, खुद बताया कैसे डिसऑर्डर को बनाया सक्सेस मंत्रा
February 4, 2025 | by Deshvidesh News

अमेरिका की मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) के को-फाउंडर बिल गेट्स तमाम मुद्दों पर अपनी समझ और परोपकार के कामों के लिए जाने जाते हैं. बिल गेट्स दुनिया की उन लोगों में शुमार किए जाते हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खूब शोहरत पाई है. उनकी कही बातों को तरक्की के मूलमंत्र के तौर पर लिया जाता है, जिन्हें फॉलो करके जिंदगी में कामयाबी हासिल की जा सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबको सक्सेस मंत्रा देने वाले बिल गेट्स ने बचपन में अपने अलग बर्ताव को लेकर ऑटिज्म जैसी बीमारी का डर झेला था. लेकिन इन्हीं ऑटिज्म के लक्षणों से उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली.
NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बिल गेट्स (Bill Gates) ने बताया कि कैसे बचपन में न्यूरोलॉजिकल बीमारी के लक्षणों ने उन्हें जिंदगी में कुछ करने की प्रेरणा दी. कैसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम से जुड़े लक्षणों ने उनकी एकाग्रता और सफलता को आकार दिया.
बिल गेट्स कहते हैं, “अगर मैं आज के समय में बड़ा हो रहा होता, तो शायद मुझे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का मरीज बताया गया होता. मेरे बचपन के दिनों में व्यापक रूप से ये बात लोगों को समझ में नहीं आती थी कि कुछ लोगों का दिमाग दूसरों की तुलना में अलग हो सकता है. मैं उनमें से एक था.”
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. ये लोगों के सोचने, सीखने, कम्युनिकेट करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है. इसे ‘स्पेक्ट्रम’ भी कहा जाता है.
गेट्स कहते हैं, “भले ही बचपन में उनके अंदर ऐसे लक्षण थे, जिसे आज डॉक्टर ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम से जोड़ सकते हैं. लेकिन उनके मां और पिता ने कभी भी गेट्स पर इसका नेगेटिव असर आने नहीं दिया. वो इससे जूझते ही सीखते गए और खुद अपना इंस्पिरेशन बनते गए.
“भारतीय वैक्सीन कंपनियां पूरी दुनिया के लिए खजाना” : NDTV से बोले बिल गेट्स
गेट्स बताते हैं, ”मैं अभी भी अपने पैरों को थोड़ा हिलाता हूं. इस इस डिसऑर्डर का एक लक्षण कह सकते हैं. हालांकि, मैंने काफी हद तक इन लक्षणों पर कंट्रोल करना सीख लिया है. मुझे मालूम है कि मुझे अपने व्यवहार को कैसे आकार देना है.”
तब बिल गेट्स के लिए ऑटिज्म का मतलब था हाइपर फोक्सड यानी अति-आत्म केंद्रित होना. रिजल्ट ओरिएंटेड होना और अपने शुरुआती दिनों में पहली पीढ़ी के पर्सनल कंप्यूटर पर कई दिनों तक कोडिंग करने के लिए तैयार रहना. वो इस हद तक काम करते थे कि थककर सो जाते थे.
बिल गेट्स बताते हैं, ”ठीक है, मुझे पता था कि कुछ अलग है. मैं उदाहरण देता हूं. छठी क्लास में हमें एक रिपोर्ट लिखने के लिए कहा गया था. मैंने अमेरिका के एक छोटे से राज्य डेलावेयर पर रिपोर्ट लिखा. तब मैंने 200 शब्दों की एक रिपोर्ट लिखी थी. जबकि दूसरे बच्चों ने 5 से 10 पन्नों की ही रिपोर्ट लिखी थी. उन्हें देखकर मैं एक तरह से शर्मिंदा था. उस समय मेरे टीचर्स इस बात से परेशान रहते थे कि मैं कितना काबिल हूं और एक ही समय में मेरा ध्यान कैसे भटकता है.”
माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने सामाजिक संपर्क से बचने की अपनी आदत, अपने दोहराव वाले व्यवहार और आत्म-केंद्रित लक्षणों का जिक्र किया. इन्हीं लक्षणों ने उन्हें बाद में अपने काम पर फोकस करने में मदद मिली. इन सभी लक्षणों ने गेट्स को मैथेमेटिक्स और प्रोग्रामिंग में उन्हें महारत हासिल करने में योगदान दिया.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
बिग बॉस में होते संजय दत्त, शाहरुख खान, अक्षय कुमार और सनी देओल तो किसे नॉमिनेट करते गोविंदा-सलमान, वीडियो देख फैंस की छूटी हंसी
January 19, 2025 | by Deshvidesh News
Power Of Positive Thinking: दिल से लेकर आपकी ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद है पॉजिटिव सोच, जानें सकारात्मक सोच के फायदे
January 12, 2025 | by Deshvidesh News
इस बजट से कैसे निर्मला सीतारमण ने एक ही बार में बिहार को दिल्ली को साध लिया, यहां समझिए हर एक बात
February 1, 2025 | by Deshvidesh News