Desh Videsh News.

Desh Videsh News.

Deshvidesh News

देरी से दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट की MP सरकार को फटकार; विधि सचिव पेश हुए; कलेक्टर भी तलब 

February 14, 2025 | by Deshvidesh News

देरी से दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट की MP सरकार को फटकार; विधि सचिव पेश हुए; कलेक्टर भी तलब

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को बार-बार देरी से विशेष अनुमति याचिकाएं (SLP) दायर करने के लिए कड़ी फटकार लगाई और इस तरह के अनावश्यक मुकदमों पर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग पर सवाल उठाया. एक असामान्य कदम उठाते हुए, न्यायालय ने राज्य के प्रधान विधि सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए मजबूर किया, साथ ही उस जिला कलेक्टर को भी तलब किया, जिसने कथित रूप से इस अपील को दायर करने का अनुरोध किया था.

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने आज इस मामले की सुनवाई की. यह सुनवाई 31 जनवरी 2025 के आदेश के अनुपालन में हुई, जिसमें अदालत ने मध्य प्रदेश के विधि सचिव को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि क्यों राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी. जिसने सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 100 के तहत दूसरी अपील दायर करने में 656 दिनों की देरी को माफ करने से इनकार कर दिया था.

न्यायालय की कड़ी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान, पीठ ने सरकार के रवैये की कड़ी आलोचना की और प्रधान विधि सचिव से पूछा, “आप राज्य के अधिकारी होने के साथ-साथ एक न्यायिक अधिकारी भी हैं. क्या आपको राज्य सरकार को इस तरह की देरी से अपील दायर न करने की सलाह नहीं देनी चाहिए? क्या आपको सार्वजनिक धन की बर्बादी की चिंता नहीं होनी चाहिए?” अदालत ने आगे निर्देश दिया कि विधि सचिव वह मूल फाइल प्रस्तुत करें, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का औपचारिक औचित्य दर्ज हो.

कलेक्टर की भूमिका पर सवाल

मध्य प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.वी. राजू ने अपील को सही ठहराने का प्रयास किया और कहा कि कलेक्टर ने विधि विभाग को अपील दायर करने का अनुरोध करते हुए पत्र लिखा था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ और मुकदमों को दायर करने की प्रक्रिया और प्राधिकरण पर सवाल उठाया.

“राज्य में प्रक्रिया अलग है और उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का निर्णय विभाग द्वारा लिया जाता है, जबकि प्रधान सचिव केवल निर्देश जारी करते हैं. हम कलेक्टर को तलब करना चाहेंगे ताकि वह स्पष्ट कर सके कि उसने विधि विभाग को पत्र लिखने की प्रक्रिया कैसे शुरू की,” पीठ ने टिप्पणी की.

सुप्रीम कोर्ट के आज के प्रमुख निर्देश और टिप्पणियां

  • कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश – अदालत ने संबंधित जिला कलेक्टर को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि उन्होंने अपील की सिफारिश क्यों की.
  • राज्य सरकार से सुधार योजना प्रस्तुत करने का निर्देश – अदालत ने राज्य सरकार को एक ठोस तंत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा, ताकि इस तरह की अनावश्यक और विलंबित SLPs दायर करने की प्रवृत्ति रोकी जा सके और सार्वजनिक धन व्यर्थ न हो.
  • विधि सचिव को न्यायालय की टिप्पणियां मंत्रियों तक पहुंचाने का निर्देश – पीठ ने निर्देश दिया कि विधि सचिव सरकार के मंत्रियों और संबंधित अधिकारियों को अदालत की टिप्पणियों से अवगत कराएं, ताकि प्रणालीगत सुधार किए जा सकें.

अनावश्यक मुकदमों पर न्यायिक फटकार

यह मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की बढ़ती चिंता को उजागर करता है कि राज्य सरकारें अक्सर अनावश्यक अपीलें अत्यधिक देरी के साथ दायर कर रही हैं, जिनमें कोई ठोस कानूनी आधार नहीं होता. अदालत ने पहले भी टिप्पणी की थी कि मध्य प्रदेश सरकार नियमित रूप से 300-400 दिनों की देरी के बाद अपील दायर करती है. अब शीर्ष अदालत ने और कड़ा रुख अपनाते हुए शीर्ष नौकरशाहों को जवाबदेही के लिए तलब किया है. यह मामला अब अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जहां कलेक्टर की व्यक्तिगत उपस्थिति और सरकार द्वारा प्रस्तावित सुधारात्मक उपायों की गहन जांच की जाएगी.

राजस्थान में अपील दायर करने की प्रक्रिया पर अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा की प्रतिक्रिया

जब राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा से यह पूछा गया कि राजस्थान में अपील और मामलों को न्यायालयों में प्रस्तुत करने की क्या प्रक्रिया है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें मध्य प्रदेश के इस मामले में पारित आदेशों की जानकारी है. उन्होंने यह भी बताया कि राजस्थान सरकार के पास पहले से ही समय पर अपील दायर करने के लिए परिपत्र और नीति है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह राजस्थान सरकार से भी अनुरोध करेंगे कि वह अपनी पुरानी प्रणाली की समीक्षा करे और एक ठोस नीति तैयार करे, जिससे न्यायालयों में समय पर मामले दायर किए जाएं और केवल विलंबित याचिकाओं के आधार पर मामलों को खारिज करने के बजाय उनके गुण-दोष पर सुनवाई हो सके.

 

RELATED POSTS

View all

view all
WhatsApp