ज्यादा लागत के कारण नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य से चूक सकता है भारत
February 25, 2025 | by Deshvidesh News

भारत के 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश की आवश्यकता होगी, जिसके लिए वार्षिक वित्तपोषण को हर वर्ष 20 प्रतिशत की दर से बढ़ाना होगा. ऐसा न करने पर वह इस महत्वपूर्ण लक्ष्य से चूक सकता है. भारत अगर वार्षिक वित्त पोषण के वर्तमान स्तर से 20 प्रतिशत नहीं बढ़ाता है तो वह 2030 तक 500 गीगावाट (जीडब्ल्यू) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में विफल हो सकता है.
परियोजना में क्यों हो रही देरी
वैश्विक ऊर्जा शोध संस्थान ‘एम्बर’ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि नए युग की ‘फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी’ (एफडीआरई) परियोजनाओं से संबंधित योजनाओं की शुरुआत में देरी और अनिश्चितताओं के कारण पूंजी की लागत 400 आधार अंकों तक बढ़ सकती है. इसमें कहा गया है कि परियोजना के चालू होने में देरी.. भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याओं, ‘ग्रिड कनेक्टिविटी’ में देरी तथा बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) पर हस्ताक्षर करने में विलंब के कारण हुई है.
लक्ष्य से कितना पीछे भारत
रिपोर्ट के अनुसार, वित्तपोषण लागत में 400 आधार अंकों की वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत अपने 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य से 100 गीगावाट तक पीछे रह सकता है. इसमें कहा गया है कि पूंजी की उच्च लागत से उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत भी बढ़ेगी. वित्त वर्ष 2023-24 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन एवं पारेषण में निवेश 13.3 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है.
लक्ष्य पहुंचने के लिए क्या जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ हालांकि, एनईपी-14 में उल्लिखित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वार्षिक वित्तपोषण को हर वर्ष 20 प्रतिशत की निरंतर दर से बढ़ाना होगा, जो 2032 तक 68 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा. ” इसमें कहा गया है कि भारत के 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश की आवश्यकता होगी, जो 14वीं राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी-14) के तहत बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव है.
एम्बर में भारत के लिए वरिष्ठ ऊर्जा विश्लेषक नेशविन रोद्रिग्स ने कहा, ‘‘ नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए परियोजना-विशिष्ट वित्तपोषण जोखिमों को समझना लक्षित शमन उपायों को तैयार करने की कुंजी है जो पूंजी की लागत को कम रखते हैं. नवीकरणीय ऊर्जा में जोखिम विकसित करने वाले कारकों के प्रति सजग रहना उनके विकास को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि भारत अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करे.”
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