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चाय की महक चायवाले से बेहतर कोई नहीं समझ सकता: गुवाहाटी में बोले पीएम मोदी 

February 24, 2025 | by Deshvidesh News

चाय की महक चायवाले से बेहतर कोई नहीं समझ सकता: गुवाहाटी में बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) असम के दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को गुवाहाटी पहुंचे. पीएम मोदी ने अपनी यात्रा की शुरुआत भव्य झूमोइर नृत्य प्रदर्शन देखने के साथ की. असम सरकार द्वारा इंदिरा गांधी एथलेटिक स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में असम के चाय उद्योग के 200 वर्ष पूरे होने और चाय जनजाति समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाया गया. इस मौक़े पर चाय बागानों के मजदूरों और आदिवासियों ने पारंपरिक नृत्य का विशाल प्रदर्शन किया. इसमें आठ हज़ार से ज़्यादा कलाकारों ने हिस्सा लिया, जिनका खुद पीएम मोदी ने हौसला बढ़ाया और कहा कि आपकी प्रस्तुति में चाय बागान की महक और सुंदरता है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि चाय की खूबसूरती और महक को एक चायवाले से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है. 

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विदेश मंत्री एस जयशंकर और लगभग 60 देशों के मिशन प्रमुखों ने भी ‘झुमइर बिनंदिनी’ कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य की जीवंत परंपराओं को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया गया. 

पूर्वोत्तर को सर्वश्रेष्ठ ब्रांड एंबेसडर मिला: पीएम मोदी

इस दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर को उनके रूप में सर्वश्रेष्ठ ब्रांड एंबेसडर मिल गया है. उन्‍होंने कहा, ‘‘आज विभिन्न देशों के 60 से अधिक राजदूत असम को महसूस कर सकेंगे. वे चाय का स्वाद अपने साथ ले जाएंगे.”

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हम देश भर में आदिवासी संग्रहालय बना रहे हैं. साथ ही कहा कि राज्‍य सरकार ने चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों का वेतन बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं. इन मजदूरों में ज्‍यादातर महिलाएं हैं. अब चाय बागानों में 1.50 लाख गर्भवती महिलाओं की आर्थिक मदद की जा रही है. उन्‍होंने कहा कि असम सरकार 350 आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोल रही है. 

असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया: पीएम मोदी 

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मैं असम के काजीरंगा में रुकने वाला, दुनिया को उसकी जैव विविधता के बारे में बताने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं. हमने कुछ ही महीने पहले असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी दिया है. असम के लोग अपनी भाषा के इस सम्मान का इंतजार दशकों से कर रहे थे.”

साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि चाय बागानों में 100 से अधिक मॉडल चाय बागान स्कूल पहले ही खोले जा चुके हैं और अब 100 और खोले जाएंगे. 

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झूमोइर बिनंदिनी की अद्भुत प्रस्तुति

इस दौरान पीएम मोदी असम के पारंपरिक झूमोइर नृत्‍य से बेहद प्रभावित नजर आए और उन्‍होंने कहा कि मुझे यकीन है कि झूमोइर के इस प्रदर्शन को देखकर पूरे भारतीय मंत्रमुग्ध हो जाएंगे. 

उन्‍होंने कहा, “असम में आज यहां अद्भुत माहौल है. ऊर्जा से भरा हुआ माहौल है. उत्साह, उल्लास और उमंग से ये पूरा स्टेडियम गूंज रहा है. झूमोइर नृत्य के आप सभी कलाकारों की तैयारी हर तरफ नजर आ रही है. इस जबरदस्त तैयारी में चाय बगानों की सुगंध भी है और उनकी सुंदरता भी है.” 

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दो सौ बरस हुए जब असम में चाय के बाग़ान लगे. अंग्रेजों ने मध्य भारत से लोगों को लाकर चाय की खेती के लिए बसाया. वे अपने साथ अपनी संस्कृति और संस्कार लेकर आए और असम के हिसाब से खुद को ढाल लिया.

झूमोइर या झूमर चाय बाग़ान के मज़दूर और आदिवासियों का नृत्य है. गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में आठ हज़ार से ज़्यादा कलाकारों ने झूमोइर बिनंदिनी की अद्भुत प्रस्तुति दी. 

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यह नृत्य खुले मैदान में होता है. नर्तक आधे गोले या सीधी लाइन में रहते हैं. इस दौरान महिलाएं संगीत की धुन पर एक दूसरे को थाम कर थिरकती हैं तो पुरुष गायक और संगीतकार की भूमिका में होते हैं. झूमोइर में संगीत के लिए ढोल, माडल, ढमसा, और बांसुरी जैसे वाद्य यंत्रों का प्रयोग होता है. 

पिछली दो शताब्दियों में झूमोइर असम के चाय उद्योग का पर्याय बन चुका है. नृत्य प्रदर्शन शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने एक विशेष वाहन से स्टेडियम के अंदर का चक्कर लगाया और कलाकारों तथा दर्शकों का अभिवादन किया. झूमोइर प्रदर्शन के बाद राज्य की विशिष्ट सांस्कृतिक ‘थीम’ पर एक ‘लेजर शो’ का आयोजन किया गया. 

पीएम मोदी का गुवाहाटी में भव्‍य स्‍वागत

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के दो दिवसीय दौरे पर लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे. मुख्‍यमंत्री हिमंता बिस्‍वा सरमा और उनके कैबिनेट के सहयोगियों और वरिष्‍ठ अधिकारियों ने उनका स्‍वागत किया. 

सीएम सरमा ने एक्‍स पर अपनी एक पोस्‍ट में लिखा, “”असम में दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्वागत करना सौभाग्य और सम्मान की बात है. प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण हमें विकसित असम के निर्माण के लिए प्रेरित करता है.”

पीएम मोदी का स्वागत पारंपरिक ‘गमोसा’ (गमछा) से किया गया और विभिन्न जनजातियों और समुदायों के कलाकार उनका स्वागत करने के लिए रास्ते में खड़े थे. 

 

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