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Vinayak Chaturthi: आज है विनायक चतुर्थी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और गणपति बप्पा के मंत्र  

March 3, 2025 | by Deshvidesh News

Vinayak Chaturthi: आज है विनायक चतुर्थी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और गणपति बप्पा के मंत्र 

Vinayak Chaturthi 2025: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. विनायक चतुर्थी पर मान्यतानुसार भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. माना जाता है कि भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो जीवन में खुशहाली आती है, दुखों का नाश होता है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. विनायक चतुर्थी पर पूजा करने पर आर्थिक संकटों से भी मुक्ति मिलती है. इस माह आज विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है. यहां जानिए किस शुभ मुहूर्त में गणपति बप्पा की पूजा संपन्न की जा सकती है और कौनसे मंत्रों (Ganesh Mantra) का जाप करना शुभ होता है. 

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विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त | Vinayak Chaturthi Puja Shubh Muhurt 

पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी की तिथि आज शाम 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगी. आज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शुरू हो रहा है और दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगा. इस बीच पूरे मनोभाव से भगवान गणेश का पूजन किया जा सकता है. 

आज शुभ योग भी बन रहा है. आज सुबह 4 बजकर 29 मिनट से रवि योग शुरू हो रहा है. इस योग का समापन शाम 6 बजकर 43 मिनट पर हो जाएगा. 

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि 

विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सुबह स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद भगवान गणेश की पूजा की जाती है. पूजा में नारियल और मोदक को भोग (Bhog) स्वरूप रखा जाता है. इसके अलावा फूल और दूर्वा गणपति बप्पा पर अर्पित किए जाते हैं. भगवान गणेश के मंत्रों का जाप किया जाता है और आरती करके पूजा पूरी की जाती है.

भगवान गणेश के मंत्र 

– वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

– ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

– ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

– ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

– गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

– ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

– विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

– ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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