Success Story: किस्मत का खेल देखिए, कभी जिस स्टेशन पर करते थे जूते पॉलिस, उसी स्टेशन के बनें अधीक्षक, दिल छू लेगी संघर्ष की कहानी
February 24, 2025 | by Deshvidesh News

Success Story: अक्सर आपने लोगों से कहते सुना होगा कि समय बदलते देर नहीं लगती. जब किसी का बुरा वक्त चल रहा हो तो इंसान अपने संघर्षों से लड़ता है. उसे आने वाले समय का पता नहीं होता कि आगे कितना अच्छा या बुरा हो सकता है. लेकिन जब वक्त मेहरबान होता है तो जमीन पर बैठा इंसान पर आसमान तक पहुंच जाता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही दिल छू लेने वाली कहानी के बारे में. जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया-
पढ़ाई का रास्ता कभी नहीं छोड़ा
एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष और सेना में अपनी सेवा दे चुके मेजर जनरल आलोक राज ने गजे सिंह उर्फ गज्जू की दिल छू लेने वाली कहानी सोशल मीडिया पर बताई. ये कहानी है- गजे सिंह की, जिन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में जूता पॉलिस का काम किया. ये कहानी आज लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई. गजे सिंह जिस रेलवे स्टेशन पर जूते पॉलिस करते थे आज वे उसी रेलवे स्टेशन के अधीक्षक बन गए हैं. रेलवे में नौकरी करने से पहले उन्हें काम के लिए काफी मेहनत करना पड़ा. लेकिन अपनी पढ़ाई और लगन से मेहनत करना नहीं छोड़ा. चलिए जानते हैं गजे सिंह की कहानी.
परिवार के पहले शख्स जिन्होंने पास की 10वीं की परीक्षा
रिपोर्ट के मुताबिक, गजे सिंह राजस्थान के ब्यावर रेलवे के अधीक्षक बनें जहां वे 35 साल पहले रेलवे स्टेशन पर गज्जू के नाम से जूते पॉलिस करते थे. गजेंद्र सिंह अपने परिवार में हाईस्कूल पास करने वाले पहले शख्स हैं. जब उन्होंने 10वीं परीक्षा पास की थी तो उनके पिता ने मिठाई बांटी थी. उनके पिता ऑटो चलाते थे. इस खुशी के बाद उन्हें पढ़ाई की ताकत का अहसास हुआ. उन्होंने खुद की पढ़ाई के साथ-साथ अपने भाई-बहनों को भी पढ़ाया.
पैसे के लिए जूते पॉलिस किए और बैंड में शामिल हुए
बचपन में खर्च चलाने के लिए गज्जू स्कूल से आते ही अन्य बच्चों के साथ बूट पॉलिश के लिए रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाते थे. रोजाना वहां के यात्रियों की बूट पॉलिश का काम करते थे. इस काम से 20 से 30 रुपये की कमाई हो जाती थी. इसके बाद उन्हें बैंड वालों के साथ काम करना शुरू किया इस काम में 50 रुपये मिलते थे. साथ ही बारात में कंधे पर लाइट उठाकर चलने का काम किया. उनके पास किताब खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे, अपने दोस्त के साथ मिलकर किताब खरीदते थे और मिलकर पढ़ते थे.
कब मिली सफलता?
गजे सिंह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के बाद कई बार इंटरव्यू दिया और 25 बार इंटरव्यू में असफल हो जाते थे. उन्होंने दो बार कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, सीपीओ सब इंस्पेक्टर और एसएससी जैसी परीक्षाएं दी. इसके बाद रेलवे भर्ती परीक्षा के जरिए स्टेशन मास्टर की परीक्षा दी, जिसमें वह सफल हो गएं. उन्हें स्टेशन मास्टर के रूप में पहली पोस्टिंग बीकानेर, वीरदवाल-सूरतगढ़ में मिली. फिर 35 साल बाद उसी स्टेशन पर उन्हें पोस्टिंग मिली जहां पर वह बचपन में जूते पॉलिश किया करते थे.
ये भी पढ़ें-BSEB थर्ड फेज सक्षमता परीक्षा के लिए आवेदन शुरू, इन उम्मीदवारों का नहीं लगेगा आवेदन शुल्क ऐसे करें अप्लाई
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
“निवेश की सोच रहे हैं? भारत आएं”: वर्ल्ड बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था पर जताया पूरा भरोसा
February 27, 2025 | by Deshvidesh News
किसी भी हाल में शक्ति का इस्तेमाल मंजूर नहीं… श्रीलंकाई नेवी की फायरिंग में मछुआरों के जख्मी होने पर भारत ने चेताया
January 28, 2025 | by Deshvidesh News
भाजपा को चुनाव आयोग का धन्यवाद करना चाहिए : दिल्ली के नतीजों को लेकर आदित्य ठाकरे का तंज
February 9, 2025 | by Deshvidesh News