Desh Videsh News.

Desh Videsh News.

Deshvidesh News

Explainer: US से ‘आजादी’ की बात क्यों कर रहे जर्मनी के होने वाले चांसलर? पढ़ें इनसाइड स्टोरी 

February 25, 2025 | by Deshvidesh News

Explainer: US से ‘आजादी’ की बात क्यों कर रहे जर्मनी के होने वाले चांसलर? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

जर्मनी को एक नया चांसलर मिलने जा रहा है. उसने फाइनल रिजल्ट आने से ही पहले अमेरिका को बता दिया है कि वह बिग ब्रदर की परछाई से निकलने को तैयार है. बात हो रही है फ्रेडरिक मर्ज की.

रविवार, 23 फरवरी को जर्मनी में जब संसदीय चुनावों के नतीजे आए तो वो उसी लाइन पर थे जिसकी उम्मीद की जा रही थी. कंजर्वेटिव डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CDU/CSU) के गठबंधन को कुल वोट का 28.5% हासिल हुआ है. इस गठबंधन को भी सरकार बनाने के लिए गठबंधन की जरूरत है. CDU/CSU को फ्रेडरिक मर्ज लीड कर रहे हैं. उन्हें सरकार बनाने के लिए लेफ्ट की पार्टी SPD के साथ की जरूरत होगी, लेकिन सहमति बनने में वक्त लग सकता है. खास बात यह है कि फ्रेडरिक मर्ज ने फाइनल रिजल्ट का इंतजार भी नहीं किया और अमेरिका से ‘आजादी’ लेने की बात कर दी.

यूरोपीय देशों में अमेरिका के सबसे करीबी पार्टनर के रूप में गिने जाने वाले जर्मनी के इस भावी स्टैंड ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इसकी एक वजह यह भी है कि फ्रेडरिक मर्ज की छवि एक ऐसे नेता कि है जो अटलांटिकवादी माने जाते हैं- यानी एक ऐसे नेता जो यूरोपीय देशों और अमेरिका के बीच राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा मुद्दों पर घनिष्ठ गठबंधन की वकालत करता है.

सवाल है कि फ्रेडरिक मर्ज के इस रुख से अमेरिका, यूरोप, नाटो और खुद जर्मनी के लिए क्या कुछ बदल सकता है? उनके इस स्टैंड की वजह क्या है? इन सवालों पर विचार करने से पहले इस एक्सप्लेनर में जानते हैं कि जर्मनी में चुनाव कैसे हुआ और किसे जनमत मिला है. 

जर्मनी चुनाव: नतीजे क्या बता रहे?

जर्मनी में हुए संसदीय चुनावों में मुख्य रूप से चार पार्टियां मुकाबले में थीं.

  •  फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी कंजर्वेटिव डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी (CDU)
  • क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU)
  • अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD)
  • निवर्तमान चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD)

फ्रेडरिक मर्ज ने दूसरे स्थान पर रहने वाली AfD से गठबंधन नहीं किया है बल्कि वो बहुमत के आंकड़े के लिए SPD की ओर देख रहे हैं. जर्मनी की संसद, जिसे बुंडेस्टाग कहा जाता है, उसमें कुल 630 मेंबर होते हैं. सरकार बनाने के लिए कम से कम 316 सांसद चाहिए.

Latest and Breaking News on NDTV

अबतक आए प्रारंभिक नतीजों के अनुसार, CDU/CSU गठबंधन ने 28.6 प्रतिशत वोट के साथ 208 सीटें जीती हैं. वहीं AfD को 152 सीटें और 20.8 प्रतिशत वोट मिले हैं. AfD के लिए यह नतीजे शानदार हैं क्योंकि पार्टी ने पिछले चुनाव की तुलना में अपना वोट प्रतिशत दोगुना कर दिया है. वहीं स्कोल्ज की पार्टी SPD को 120 सीटें मिली हैं. अगर CDU/CSU SPD के साथ गठबंधन करती है, जिसे “महागठबंधन” कहा जाता है, तो 328 सीटों के साथ आसानी से सरकार बन जाएगी.

यूरोपीय यूनियन की सबसे बड़ी आबादी और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश, जर्मनी में आम चुनावों के नतीजे उस समय आए हैं जब अमेरिका में राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप ने कमबैक के साथ सरगर्मी बढ़ा दी है. और उपर से फ्रेडरिक मर्ज ने चांसलर घोषित होने से पहले ही बिना लाग-लपेट के अमेरिका से खिलाफत दिखाते हुए उस सरगर्मी को और हवा दे दी है. 

फ्रेडरिक मर्ज ने क्या कहा है?

फ्रेडरिक मर्ज ने चुनाव बाद हुए एक डिबेट में कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे किसी टीवी शो में ऐसा कुछ कहना पड़ेगा, लेकिन पिछले हफ्ते दिए डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी के बाद… यह स्पष्ट है कि इस सरकार (ट्रंप सरकार) को यूरोप के भाग्य की ज्यादा परवाह नहीं है.”

“मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता यूरोप को जितनी जल्दी हो सके मजबूत करना होगा ताकि, एक-एक कदम उठाकर, हम वास्तव में संयुक्त राज्य अमेरिका से स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें.”

फ्रेडरिक मर्ज की लीडरशप में जर्मनी यह स्टैंड क्यों लेने जा रहा है? इसके पीछे ट्रंप के कमबैक से पैदा हुई गहरी घरेलू असुरक्षा एक वजह है.

डोनाल्ड ट्रंप के तेवर से जर्मनी असुरक्षित महसूस कर रहा?

ट्रंप के तेवर से फ्रेडरिक मर्ज के परेशान होने की दो वजह है- एक तो देश के अंदर की राजनीति के स्तर पर और दूसरा अंतराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी की कूवत को लेकर. पिछले कुछ हफ्तों में, एलन मस्क और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जैसे लोगों ने मर्ज की विरोधी पार्टी AfD का समर्थन किया. इसे व्यापक रूप से देश के चुनाव में अमेरिकी हस्तक्षेप के रूप में देखा गया. 

वहीं, यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रंप सरकार के प्रयासों ने यूरोपीय देशों में चिंता पैदा कर दी है. उन्हें यह लगता है कि वाशिंगटन ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन की कीमत पर मास्को के करीब जा रहा है. ट्रंप बिना यूरोपीय देशों को साथ लिए रूस से शांति समझौते की बात कर रहे हैं. इन उथल-पुथल के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सोमवार को व्हाइट हाउस का दौरा किया. वहीं ब्रिटेन के प्रधान मंत्री गुरुवार को वाशिंगटन जाएंगे.

ऐसे में फ्रेडरिक मर्ज यह महसूस करते हैं कि जर्मनी अलग-थलग पड़ गया है. उनका कहना है कि जर्मनी को भी इस सप्ताह वहां होना चाहिए था. फ्रांस और ब्रिटेन के साथ जर्मनी यूरोप की तीन बड़ी शक्तियों में से एक है. मर्ज का कहना है कि जर्मनी के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह फिर से बड़े प्लेयर तौर पर उभरे.

जर्मनी को यह भी पता है कि फ्रांस और इंग्लैंड की तरह वह एक न्यूक्लियर पावर वाला देश नहीं है. अगर ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट’ के नारे के साथ जर्मनी से अपने एक्टिव सैनिकों को वापस ले लेंगे तो यकीनन असुरक्षा की भावना बढ़ेगी. ऐसे में फ्रेडरिक मर्ज ने पिछले हफ्ते ही सुझाव दिया था कि वह अमेरिका के न्यूक्लियर गारंटी की जगह पर एक यूरोपीय न्यूक्लियर अंब्रेला बनाने के लिए फ्रांस और ब्रिटेन से हाथ मिलाने पर विचार करेंगे.

Latest and Breaking News on NDTV

लेकिन यह कहना और सुनना आसान है, इसे जमीन पर उतारना मुश्किल. इस आईडिया को सच्चाई में बदलने के लिए बहुत सारा फंड चाहिए. जिस तरह जर्मनी अभी इकनॉमिक डिप्रेशन से गुजर रहा है, उसके लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल होगा. उन्हें अपनी भावी सरकार के सहयोगी पार्टी से भी इस मुद्दे पर साथ की जरूरत होगी.

एक्सप्लेनर के आखिर में हम कुछ प्वाइंट्स में आपको फ्रेडरिक मर्ज के बारे में बड़ी बातें बताते हैं.

कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज, कैसा रहा अबतक का सफर?

70 साल के फ्रेडरिक मर्ज का जन्म 11 नवंबर, 1955 को पश्चिम जर्मनी के नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में हुआ था. उन्होंने बॉन यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई की. आगे उन्होंने एक जज और कॉर्पोरेट वकील के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री मारी. 

1980 के दशक में उन्होंने कंजर्वेटिव डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी से ही अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. वह 1989 में यूरोपीय संसद के लिए चुने गए. 1994 से बुंडेस्टाग (जर्मन संसद) में सांसद के रूप में काम किया. आगे जब पूर्व चांसलर एन्जेला मार्केल ने पार्टी के अंदर दबदबा बनाया तो मर्ज ने 2009 में राजनीति से दूरी बना ली. मर्ज को यह आपत्ति थी की एन्जेला मार्केल पार्टी को राइट से हटाकर सेंटर की ओर ले जा रही हैं और ऐसे में दूसरी राइटविंग पार्टी, AfD को इस स्पेस में बढ़त मिल जाएगी.

हालांकि 2018 में एन्जेला मार्केल ने जब राजनीति से सन्यास लिया तो मर्ज ने कमबैक किया. 2021 के चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी की कमान उनके हाथों में आ गई. 

फ्रेडरिक मर्ज अपनी रूढ़िवादी आर्थिक नीतियों, टैक्स कटौती और रेगुलेशन की वकालत करने के लिए जाने जाते हैं. उनका लगातार यह स्टैंड रहा है कि वैश्विक मामलों में जर्मनी और अधिक निर्णायक भूमिका निभाए. साथ ही वह जर्मनी के अंदर इमिग्रेशन के भी कट्टर आलोचक रहे हैं.

 

RELATED POSTS

View all

view all
WhatsApp