47 साल के देवेंद्र के शरीर में हैं 5 किडनियां! पढ़िए जान बचाने के लिए डॉक्टरों के करिश्मे की कहानी
February 21, 2025 | by Deshvidesh News

47 साल के देवेंद्र बारलेवार के शरीर में कुल पांच किडनी हैं. इस बात पर आपको यकीन करना मुश्किल हो जाएगा, मगर ये सच है. पांच में से उनकी सिर्फ एक किडनी ही काम करती है. केंद्रीय रक्षा मंत्रालय में कार्यरत बारलेवार का तीन बार किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है. TOI में छपी के खबर के अनुसार, बारलेवार लंबे समय से क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) से ग्रस्त थे और उन्हें समय-समय पर डायलिसिस की जरूरत पड़ रही थी. ऐसे में साल 2010 में डॉक्टरों ने बारलेवार का सबसे पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया था. उन्हें पहली किडनी उनकी मां से मिली थी. ये किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा था और लगभग एक साल उन्हें डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ी.
किडनी ट्रांसप्लांट क्या है?
- किडनी ट्रांसप्लांट एक सर्जरी होती है.
- इस दौरान खराब किडनी को डोनर की किडनी से बदला जाता है.
- किडनी ट्रांसप्लांट के बाद लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं.
- अधिकांश लोग ट्रांसप्लांट के तीन महीने के अंदर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं.
- ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई जीवत इंसान की किडनी दान में मिलती है, तो ट्रांसप्लांट 20-25 साल तक सफल रहता है.
- मृत दानकर्ता से प्राप्त किडनी का ट्रांसप्लांट 15-20 साल तक चलता है.
- किसी इंसान का तीन बार ट्रांसप्लांट होना बेहद हैरान करने वाली बात है.
- क्योंकि मैचिंग डोनर मिलना इतना आसान नहीं होता है.
साल 2012 में हुआ दूसरा ट्रांसप्लांट
साल 2012 में देवेंद्र का दूसरा ट्रांसप्लांट किया गया था. इस बार उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें किडनी दान दी थी. साल 2022 तक सब सही चल रहा था और किडनी सही से काम कर रही थी. लेकिन कोविड होने के कारण बारलेवार फिर से डायलिसिस पर जाने के लिए मजबूर हो गए. जब से वो डायलिसिस के सहारे ही अपनी जिंदगी काट रहे थे. हालांकि साल 2023 में एक मृत ने अपना अंग दान किया और एक बार फिर से देवेंद्र बारलेवार को किडनी मिल गई. ये किड़नी ब्रेन-डेड डोनर ने दी थी.

अमृता अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार और यूरोलॉजी के प्रमुख डॉ अनिल शर्मा ने इस साल जनवरी में किडनी का सफल ट्रांसप्लांट किया. करीब 10 दिन बाद बारलेवार को अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई. अब उनकी किडनी सामान्य रूप से काम कर रही थी. डॉक्टरों के अनुसार दान की गई तीसरी किडनी बारलेवार की खुद की किड़नी और अन्य ट्रांसप्लांट किडनी के बीच दाईं ओर लगाई गई है.
बारलेवार का वजन अब 44 किलोग्राम है और उन्हें अब डायलिसिस नहीं करवाना होगा. तीन महीने के आराम के बाद, वे नियमित कार्य फिर से शुरू कर सकते हैं.
डॉ. शर्मा ने इस ट्रांसप्लांट को चुनौती भरा बताया. TOI से बात करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि लंबे समय तक चलने वाली क्रोनिक किडनी की बीमारी और असफल ट्रांसप्लांट होने के चलते मरीज के लिए अंग अस्वीकृति का जोखिम बढ़ जाता है. पहले से चार किडनी होने के बाद पांचवीं को लगा काफी मुश्किल था. योजना के साथ पांचवीं किडनी लगाई गई.
किडनी लगने से अब बारलेवार ने एक बार फिर राहत की सांस ली है. बारलेवार का सौभाग्य है कि उन्हें एक नहीं बल्कि तीन बार किडनी मिली है. क्योंकि अधिकांश लोगों के लिए एक किडनी पाना भी चुनौतीपूर्ण होता है.
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