Desh Videsh News – Breaking News, Politics, Business & Sports Updates

Mahakumbh 2025: CPCB का दावा नहाने लायक नहीं है प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी, जानें कितना है प्रदूषण 

February 19, 2025 | by Deshvidesh News

Mahakumbh 2025: CPCB का दावा नहाने लायक नहीं है प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी, जानें कितना है प्रदूषण

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अबतक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने तीन पवित्र नदियों के संगम में डुबकी लगाई है. महाकुंभ का मेला 26 फरवरी तक चलेगा. ऐसे में उम्मीद है कि उस समय संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या 60 करोड़ को पार कर जाएगी. इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)की एक रिपोर्ट में संगम में आस्था रखने वालों को धक्का लगा है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने के योग्य नहीं है. बोर्ड का कहना है कि प्रयागराज में दोनों नदियों का पानी नहाने के पानी के बुनियादी शर्तों को भी पूरा नहीं करता है. सीपीसीबी ने यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में जमा करवाई है. उसने इस रिपोर्ट को तीन फरवरी को तैयार किया था. 

क्या होता है फीकल कोलीफॉर्म

सीपीसीबी के मुताबिक किसी पानी में फीकल (मल) कोलीफॉर्म की स्वीकार्य मात्रा 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट हैं. इससे अधिक पाए जाने पर पानी को प्रदूषित माना जाता है. मल कोलीफार्म बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का एक समूह है. पानी में उनकी मौजूदगी पानी में सीवेज या पशु अपशिष्ट से प्रदूषण का संकेत है. सभी कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं. अगर किसी पानी में मल कोलीफॉर्म पाया जाता है तो उसमें वायरस, साल्मोनेला और ई कोलाई जैसे खतरनाक पैथोजन की मौजूदगी की आशंका बढ़ जाती है. 

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी लगाई है.

Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी लगाई है.

रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सीपीसीबी ने नौ से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज में अलग-अलग जगह पर गंगा-यमुना के 73 सैंपल जमा किए. इन सैंपलों की छह मानकों पर जांच की गई.ये मानक हैं- पानी का पीएच वैल्यू, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्वड ऑक्सीजन. जितने भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं, उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है. वहीं बाकी के पांच मानकों पर पानी की गुणवत्ता मानक के मुताबिक मिली. 

गंगा यमुना में प्रदूषण का स्तर

इस रिपोर्ट के अलावा सीपीसीबी अपनी वेबसाइट पर भी महाकुंभ के दौरान अलग-अलग जगह पर लिए सैंपल की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करता है. सीपीसीबी की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के मुताबिक 29 जनवरी को संगम पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2300 पाई गई थी. वहीं दीहा घाट पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 400, ओल्ड नैनी ब्रिज पर यमुना में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 13 हजार थी. वहीं संगम पर यमुना के गंगा में मिलने से पहले उसे फीकल कोलीफॉर्म  की मात्रा 7900 पाई गई थी. 29 जनवरी को ही मौनी अमावस्या का पर्व था.इसे महाकुंभ में सबसे बड़ा अमृत स्ना माना गया है. उस दिन गंगा-यमुना में कई करोड़ लोगों ने डबकी लगाई थी.

 प्रयागराज में डुबकी लगाने के बाद एक दूसरे को सिंदूर लगातीं दो श्रद्धालु.

Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज में डुबकी लगाने के बाद एक दूसरे को सिंदूर लगातीं दो श्रद्धालु.

इसके अगले दिन 30 जनवरी को नागवासुकी मंदिन के पास बने पीपे के पुल के पास गंगा में फीकल कोलीफॉर्म  की मात्रा 13 हजार पाई गई थी. वहीं गंगा में संगम पर इसकी मात्रा 4900 पाई गई थी तो दीहा घाट पर 3300, यमुना नदी के गंगा में मिलने से पहले उसमें  फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2300 पाई गई थी. सीपीसीबी के मुताबिक गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा सबसे अधिक 20 जनवरी को पाई गई थी. उस दिन संगम पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म  की मात्रा 49 हजार थी. गंगा-यमुना में सबसे कम फीकल कोलीफॉर्म तीन और चार फरवरी को पाई गई थी. सीपीसीबी की वेबसाइट के मुताबिक तीन फरवरी को गंगा में मिलने से पहले यमुना में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा मात्र 200 पाई गई थी. इसके अगले दिन चार फरवरी को लार्ड कर्डन पुल पर गंगा के पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 200 पाई गई थी. 

सीपीसीबी ने अपनी वेबसाइट पर 12 जनवरी से आठ फरवरी तक प्रयागराज में गंगा यमुना के पानी प्रदूषण का आंकड़ा सार्वजिक किया है. लेकिन आठ फरवरी को इन दोनों नदियों के पानी फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा की रिपोर्ट नहीं दी हैं.

ये भी पढ़ें: आज के समाजवादी जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद… UP विधानसभा में अखिलेश पर बरसे CM योगी

 

RELATED POSTS

View all

view all
WhatsApp