अमेरिका के विदेश मंत्री के तौर पर मार्को रुबियो की नियुक्ति के भारत के लिए क्या मायने हैं?
January 22, 2025 | by Deshvidesh News

भारत और अमेरिका लगातार नए रिश्ते (India-US Relations) गढ़ रहा है. डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है, ये कई मौकों पर देखा जा चुका है. दोनों देशों के बीच के रिश्ते कैसे हैं, इसका अंदाजा हाल ही में ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से लगाया जा सकता है, जहां भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को सबसे पहली लाइन में ट्रंप के सामने बैठने की जगह दी गई थी. अमेरिका की विदेश नीति की अगर बात करें तो वह भी भारत के हित में ही नजर आती है. ट्रंप की नई सरकार में मार्को रुबियो अमेरिका के विदेश मंत्री (Marco Rubio) की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अब सवाल ये है कि रुबियो की नियुक्ति का भारत के लिए क्या मतलब है. उनका भारत को लेकर रुख कैसा है.
अमेरिका ने चीन को कसना शुरू किया, विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने क्वाड में ड्रैगन को दी चेतावनी
भारत को लेकर कैसा है मार्को रुबियो का रुख?
रुबियो का झुकाव भारत की ओर उनके कई बयानों से महसूस किया जा सकता है. उनसे अमेरिका के विदेश मंत्री के रूप में ऐसी नीतियों का समर्थन करने की उम्मीद की जा रही है, जो भारत के साथ अहम साझेदारी को बढ़ावा देने वाली हों. उनके कई बयानों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है. आतंकवाद के मुद्दे पर वह पहले ही कह चुके हैं कि इस लड़ाई में भारत अकेला नहीं है.

(एस जयशंकर के साथ मार्को रुबियो)
चीन के कट्टर आलोचक, भारत के समर्थक
मार्को रुबियो की छवि चीन के कट्टर आलोचक की है. इसका ताजा उदाहरण क्वाड की बैठक है, जहां उन्होंने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान संग मिलकर चीन को सख्त चेतावनी दे डाली. वह पहले भी अमेरिका और चीन के असंतुलित रिश्ते की आलोचना करते रहे हैं. भारत की तरह ही चीन को लेकर उनका रुख भी आक्रमक रहा है. खास बात यह है कि वह भारत के साथ अमेरिका के मजबूत संबधों के पक्षघर हैं. वह दोनों देशों की मजबूत साझेदारी की वकालत करते रहे हैं.
भारत की ओर रुबियो का झुकाव!
मार्को रुबियो ने सीनेट में अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग अधिनियम भी पेश किया था, जिसमें यह प्रस्ताव था कि दिया गया कि भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सैन्य सहयोग के मामले में जापान, इजरायल और नाटो सदस्यों जैसे अन्य अमेरिकी सहयोगियों के बराबर ही माना जाए. इससे एक बात तो साफ हो गई कि भारत की तरफ उनका झुकाव है, जो कि विदेश नीति के लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है.

(एस जयशंकर और मार्को रुबियो AFP फोटो)
भारत के साथ कैसे रिश्ते चाहते हैं मार्को रुबियो?
अमेरिकी विदेश मंत्री के इस अधिनियम से एक बात तो ये भी साफ हो गई कि अमेरिका का जोर नई दिल्ली के साथ रणनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को गहरा करने पर है. मार्को की तरफ से पेश किए गए अधिनियम में भारत को अतिरिक्त रक्षा सामग्री जल्द भेजने, सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण सहयोग के विस्तार और सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप देने की बात कही गई है. इससे साफ पता चलता है कि अमेरिका से रिश्तों के लिहाज से मार्को भारत के लिए मददगार साबित होंगे.
भारत की तरह ही पाकिस्तान के खिलाफ
मार्को का रुख भारत के लिए जहां नरम है तो वहीं चीन के साथ ही पाकिस्तान के लिए बहुत ही कड़ा है. खासकर आतंकवाद के मुद्दे पर उनका रुख पाकिस्तान को लेकर सख्त है. उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने के सबूत मिलते हैं तो अमेरिका उसे सुरक्षा सहायता देने पर प्रतिबंध लगा देगा. उन्होंने ये भी कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अकेला नहीं है. अमेरिका अपने साझेदारों की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए उनका समर्थन करेगा.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
13 मार्च से शुरू होगी CUET PG की कंप्यूटर आधारित परीक्षा, जानिए पूरी डिटेल
February 27, 2025 | by Deshvidesh News
उद्धव ठाकरे की सरकार में शिंदे-फडणवीस को गिरफ्तार करने की योजना थी? अब SIT करेगी जांच
February 1, 2025 | by Deshvidesh News
अनार चला आस्ट्रेलिया तो राजा मिर्चा पहुंचा लंदन, जानिए मोदी राज में कृषि एक्सपोर्ट कैसे बना रहा रिकॉर्ड
February 20, 2025 | by Deshvidesh News