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रेगुलर आई टेस्ट करने से लग सकता है स्ट्रोक के रिस्क का सटीक अनुमान, शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा 

January 15, 2025 | by Deshvidesh News

रेगुलर आई टेस्ट करने से लग सकता है स्ट्रोक के रिस्क का सटीक अनुमान, शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Stroke Risk Detection Research: सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में सेंटर फॉर आई रिसर्च  (सीईआरए) के नेतृत्व में किए गए शोध में आंख के पीछे ब्लड वेसल्स फिंगरप्रिंट की पहचान की गई है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के स्ट्रोक के रिस्क की भविष्यवाणी करने के लिए सटीक रूप से किया जा सकता है. शोध में पाया गया कि फिंगरप्रिंट में वैस्कुलर हेल्थ के 118 संकेत हैं और इसका एनालिसिस फंडस फोटोग्राफी से किया जा सकता है, जो रेगुलर हाई टेस्ट में उपयोग किया जाने वाला एक सामान्य उपकरण है.

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टीम ने रेटिना-बेस्ड माइक्रो वैस्कुलर हेल्थ असेसमेंट सिस्टम (आरएमएचएएस) नामक एक मशीन लर्निंग टूल का उपयोग करके यूके में 55 साल की औसत आयु वाले 45,161 लोगों की आंखों की फंडस फोटो का एनालिसिस किया. 12.5 सालों की औसत निगरानी अवधि के दौरान, 749 पार्टिपेंट्स को स्ट्रोक हुआ.

शोधकर्ताओं ने 118 संकेतों में से 29 को पहली बार स्ट्रोक के रिस्क से जुड़े हुए के रूप में पहचाना. 29 में से लगभग 17 संकेत वैस्कुलर डेंसिटी से संबंधित थे, जो उस क्षेत्र के प्रतिशत को बताता है जहां पर ब्लड वेसेल्स हैं. रेटिना और मस्तिष्क में कम डेंसिटी स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है.

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अध्ययन के अनुसार डेंसिटी संकेतों में हर बदलाव 10-19 प्रतिशत के बढ़े हुए स्ट्रोक रिस्क से जुड़ा था. जटिलता संकेतकों में कमी से स्ट्रोक जोखिम में 10.5-19.5 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई. शोधकर्ताओं ने कहा, “यह देखते हुए कि आयु और लिंग आसानी से उपलब्ध हैं और रेटिना पैरामीटर रेगुलर फंडस फोटोग्राफी के जरिए से प्राप्त किए जा सकते हैं, यह मॉडल खासतौर से प्राइमरी हेल्थ केयर के लिए घटना स्ट्रोक रिस्क इवेल्युएशन के लिए एक व्यावहारिक और आसानी से इंप्लीमेंटेबल अप्रोच देता है.”

अध्ययन में कहा गया है कि स्ट्रोक दुनिया भर में 100 मिलियन से ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है और हर साल वैश्विक स्तर पर लगभग 6.7 मिलियन लोगों की मृत्यु का कारण बनता है, जिससे स्ट्रोक से संबंधित दिव्यांगता और मृत्यु दर को कम करने के लिए जोखिम वाले व्यक्तियों की शुरुआत में ही पहचान जरूरी हो जाती है.

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