महाराष्ट्र बोर्ड ऐन वक्त पर 10वीं और 12वीं एग्जाम के एडमिट कार्ड क्यों बदल रहा है?
January 19, 2025 | by Deshvidesh News

महाराष्ट्र में HSC और SSC एग्जाम हॉल टिकट में कास्ट कैटेगरी सिस्टम शुरू करने के कारण महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन को लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद अब बोर्ड ने नए हॉल टिकट जारी करने का फैसला किया है. महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड के इस फैसले पर एजुकेशन एक्टिविस्ट प्रशांत साठे ने कहा, ‘हॉल टिकट में बच्चों की कास्ट बताया जाना एक बेहद ही वाहियात फैसला है. इससे छात्रों को कोई मदद नहीं मिल रही है. बल्कि इसकी वजह से युवाओं के बीच कास्ट को लेकर जहर घुलेगा.’
बोर्ड के फैसले की हो रही आलोचना
वहीं शिव सेना (यूबीटी) की नेता सुषमा अंधारे ने भी इस पर सरकार की आलोचना की और कहा, ‘कास्ट सिस्टम को खत्म करने की बजाए एजुकेशन सिस्टम बच्चों के दिमाग पर इसकी छाप छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. हम इसपर सरकार से जवाब चाहते हैं कि वो इस तरह से कास्ट सिस्टम क्यों ला रही है.’
HSC और SSC परीक्षाओं में बैठेंगे इतने स्टूडेंट्स
बता दें कि इस साल महाराष्ट्र में 16 लाख स्टूडेंट 10वीं और 15 लाख स्टूडेंट्स 12वीं की परीक्षा के लिए बैठेंगे. स्कूल और जूनियर कॉलेज आधिकारिक वेबसाइट से हॉल टिकट डाउनलोड करेंगे और उन्हें छात्र-छात्राओं में वितरित करेंगे. इस बारे में बात करते हुए एक 10वीं की छात्रा ने कहा कि उसे हॉल टिकट में अपनी कास्ट के बारे में बताया जाना अच्छा नहीं लगा.
बोर्ड के चेयरमेन ने कास्ट सिस्टम पर कही ये बात
इस बारे में बात करते हुए महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन के चेयरमेन शरद गोस्वाई ने कहा कि हॉल टिकट में कास्ट का मेंशन करना प्लान कए गए रिफॉर्म्स में से एक का हिस्सा था. उन्होंने कहा, ‘हमारे सामने इस तरह के मामले आए थे जिनमें कई छात्र-छात्राओं को गलत कास्ट मेंशन होने के कारण सराकरी स्कीम या फिर स्कॉलरशिप का फायदा नहीं मिल रहा था. अब इस तरह के मामलों में छात्र-छात्राएं और उनके माता-पिता 10+2 खत्म होने से पहले कास्ट में करेक्शन करा सकते हैं.’
कॉपी मुक्त अभियान भी किया गया शुरू
गौरतलब है कि महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी एजुकेशन ने पहली बार एचएससी और एसएससी परीक्षाओं के लिए बाहरी सेंटर और सुपरवाइजर को चुने जाने का ऐलान किया है. इसका मतलब है कि इंविजिलेटर और एग्जाम स्टाफ दूसरे स्कूलों के होंगे. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि छात्र-छात्राएं बिना चीटिंग करें अपना एग्जाम दे सकें और इसका नाम ‘कॉपी मुक्त अभियान’ रखा गया है.
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