Desh Videsh News – Breaking News, Politics, Business & Sports Updates

बढ़ते साइबर अपराध को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से मांगा जवाब 

January 15, 2025 | by Deshvidesh News

बढ़ते साइबर अपराध को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा किया है. अदालत ने कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस (CANP) को लागू करने के लिए ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को निर्देश देने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि हम जानते हैं कि साइबर अपराध बड़ा मुद्दा है.

बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर याचिका बेंगलुरु निवासी गौरीशंकर एस ने दाखिल की है. याचिका में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे और अनचाहे कॉल की समस्या का जिक्र किया गया है. सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम समझते हैं कि समस्या है. केंद्र को जवाब देना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम नेटवर्क ऑपरेटरों को सीएनएपी (कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस) को लागू करने के निर्देश देने के लिए जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में भारत में साइबर अपराध धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे और नागरिकों, कानून प्रवर्तन अधिकारियों और अन्य एजेंसियों जैसे आरबीआई, वाणिज्यिक बैंकों आदि पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को बताया गया है. 

कहा गया है कि भारत में साइबर अपराध खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे लोगों को भारी वित्तीय नुकसान और परेशानी हो रही है. बताया गया है कि नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग प्रबंधन प्रणाली के अनुसार, साइबर अपराध प्रति माह 488.64 करोड़ रुपये है, जो प्रतिदिन 20 करोड़ से अधिक है.

 शिकायतों में वृद्धि, 2023 में प्रतिदिन औसतन ~ 3,100 से बढ़कर जनवरी-2024 में लगभग 7,000 हो गया है. इस मुद्दे की व्यापक प्रकृति को दर्शाता है. ये डेटा बिंदु देश के नागरिकों की सुरक्षा और प्रवर्तन एजेंसियों पर बोझ को कम करने के लिए प्रभावी निवारक उपायों की सख्त आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.

जनहित याचिका में कहा गया है कि कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सेवा या CANP  को (डीओटी) और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा साइबर अपराध के खतरों को रोकने के लिए एक सक्रिय उपाय के रूप में पहचाना गया है. लेकिन ढाई साल से इसे लागू नहीं किया गया है.

 

RELATED POSTS

View all

view all
WhatsApp