फोन पर बाते करते हुए घबराहट होने लगती है अकसर तो आपको हो सकता है टेली फोबिया, जानें कैसे पहचाने
January 22, 2025 | by Deshvidesh News

Do You Feel Nervous While Talking On Phone: फोन यानी कि मोबाइल फोन तकरीबन हर व्यक्ति की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. अब इस फोन को सिर्फ बातचीत का एक जरिया भर नहीं समझा जा सकता. क्योंकि, अब मोबाइल फोन रोजमर्रा के जरूरी काम याद रखने, आपकी फिटनेस (Fitness) का ट्रेक रिकॉर्ड रखने. जरूरी डॉक्यूमेंट को सेव करके रखने से लेकर आपको एंटरटेन करने का काम कर रहा है. आप चाहें तो इस फोन के जरिए शॉपिंग कर सकते हैं. बुक्स (Books) रीड कर सकते हैं. और, जब चाहें तब अपनों से कनेक्ट हो सकते हैं. कुल मिलाकर बात यही है कि मोबाइल फोन (Mobile Phone) है तो बहुत से काम सिर्फ एक ही डिवाइज से करना आसान हो जाता है. पर, क्या कभी आपको लगा कि अब यही फोन आपकी मुश्किल भी बढ़ा रहा है. क्या कभी ऐसा महसूस हुआ कि फोन की रिंग बजी और उसे देखकर टेंशन में आ गए या घबरा गए. अगर जवाब हां है, तो आप को आगे की खबर थोड़ा ध्यान से पढ़ना चाहिए.
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ब्रिटेन के युवाओं में बढ़ी फोन से घबराहट (Tele Phobia In Britain)
ब्रिटेन के मोबाइल फोन यूजर्स के बीच एक नई बीमारी ने दस्तक दी है. इस बीमारी का नाम बताया जा रहा है टेली फोबिया या कॉल एंग्जायटी. आंकड़ों की मानें तो अब तक ब्रिटेन के 25 लाख से ज्यादा युवा इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं. तेजी से फैल रहा टेली फोबिया चिंता का सबब भी बन रहा है और हैरानी का कारण भी बन रहा है. क्योंकि, ये समझ से परे हो रहा है कि जो फोन दिन रात साथ है, उस पर कॉल आते ही डर या घबराहट क्यों सताने लगती है.

Photo Credit: iStock
क्या है टेली फोबिया? (What Is Tele Phobia?)
टेली फोबिया उस मानसिक स्थिति को नाम दिया गया है, जिसमें कोई भी व्यक्ति फोन पर कॉल आने पर घबराहट महसूस करता है. उसे या तो फोन रिसीव करने में घबराहट महसूस होती है. या, फिर वो फोन पर बात करने के ख्याल से ही वो नर्वस हो जाता है.
क्यों होती है टेली फोबिया बीमारी? (Causes Of Tele Phobia)
इस बीमारी के कारण का ठीक ठीक अंदाजा नहीं लगाया जा सका है. पर, इसका एक कारण स्ट्रेस को भी माना जा रहा है. इस तरह के स्ट्रेस में कोई भी व्यक्ति दूसरे से बात करने से कतराता है या उसकी किसी और शख्स से बात करने की इच्छा नहीं होती है. ऐसे लोग धीरे धीरे लोनलीनेस को पसंद करने लगते हैं. और, ज्यादातर शांत रहना ही पसंद करते हैं. इस बीच उन्हें कोई भी कॉल आता है तो वो घबरा जाते हैं या फिर खींझ जाते हैं. कुछ लोग फोन पर बात करते करते ही नर्वस भी महसूस करने लगती है.
युवाओं में ही क्यों दिख रहा है टेली फोबिया का असर (Why Only Youth Is Facing This Problem)
टेली फोबिया होने की एक अहम वजह खुद आपका मोबाइल फोन ही है. अब सवाल ये उठता है कि ये बीमारी युवाओं में ही क्यों हो रही है. इसका जवाब है चैटिंग की आदत. यंगस्टर्स ज्यादातर बातें चैट के जरिए कर रहे हैं. इसके लिए वो अलग अलग ऐप्स का यूज करते हैं. जिसमें सिर्फ फोटो भेज कर काम हो जाता है. जरूरत पड़ी तो कुछ टेक्स्ट लिखते हैं या फिर बातचीत के मूड के अनुसार इमोजी शेयर कर देते हैं. ज्यादा समय चैट पर बिताने के बाद ब्रेन को फोन के कॉल से दूर रहने की आदत पड़ जाती है. ऐसी स्थिति में जब फोन पर बात करना मजबूरी होता है. या, फिर फोन आता है तो उस पर जवाब देने में घबराहट होने लगती है. एक सर्वे की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि 18 से लेकर 34 साल तक युवाओं में 10 में से 7 ऐसे हैं जो फोन कॉल को रिसीव करना या बात करना पसंद नहीं करते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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