पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम बीमारी क्या है, जिससे हड़कंप मचा है?
January 22, 2025 | by Deshvidesh News

गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) को महाराष्ट्र सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है. पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 24 संदिग्ध मामले सामने आने के बाद महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक टीम गठित की है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. गुलियन-बैरे सिंड्रोम के मामलों को रोकने के लिए भी कई कदम उठाए जा रहे हैं.
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण
राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के नमूने जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजे हैं. नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए. चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं.
GBS से किनको ज्यादा खतरा!
निगम के स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख डॉ. नीना बोराडे ने बताया कि शहर के छह अस्पतालों में जीबीएस के 24 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. अधिकारियों ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने पुणे शहर और आसपास के इलाकों में जीबीएस के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक त्वरित प्रतिक्रिया टीम (आरआरटी) का गठन किया है. डॉ. बोराडे ने बताया कि जीवाणु और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं, क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं. उन्होंने बताया, ‘यह बच्चों और युवाओं दोनों आयु वर्ग को हो सकता है. हालांकि, जीबीएस महामारी या वैश्विक महामारी का कारण नहीं बनेगा. उपचार के जरिये अधिकांश लोग इस स्थिति से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं.
अधिकांश संदिग्ध मरीजों की उम्र 12 से 30 वर्ष की बीच है. हालांकि 59 वर्षीय एक मरीज का मामला भी सामने आया है. ऐसे में देखा जाए, तो किसी भी उम्र के लोगों को गुलियन-बैरे सिंड्रोम अपनी गिरफ्त में ले सकता है. इसलिए सभी को सतर्क रहने की जरूरत है.
RELATED POSTS
View all