पश्चिम बंगाल में बीते छह महीने में लड़कियों से अपराध के मामले में छह लोगों को मौत की सजा
February 19, 2025 | by Deshvidesh News

पश्चिम बंगाल की विभिन्न अदालतों ने नाबालिग लड़कियों से बलात्कार और हत्या के मामले में बीते छह महीने में छह दोषियों को मौत की सजा सुनाई है. इसके अलावा, अपने परिवार के सदस्यों की हत्या करने के दोषी व्यक्ति को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई गई, जिससे राज्य में पिछले छह महीने में मृत्युदंड की सजा पाने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई है.
मृत्युदंड के इन सात में से छह मामलों को लड़कियों से बलात्कार और हत्या के ‘दुर्लभ’ मामलों की श्रेणी में शामिल किया गया था. इनमें आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और बाद में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) तथा यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.
इस सूची में आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले के दोषी संजय रॉय का नाम शामिल नहीं है, क्योंकि कोलकाता की एक अदालत ने नौ अगस्त, 2023 को ड्यूटी पर तैनात प्रशिक्षु महिला चिकित्सक की बलात्कार के बाद जघन्य हत्या के मामले में दोषी को मौत की सजा नहीं दी. अदालत ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
इसके अलावा, कक्षा आठ की 14 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध बलात्कार और हत्या का मामला भी इसमें शामिल नहीं है. किशोरी का क्षत-विक्षत शव इस साल सात फरवरी को कोलकाता के न्यू टाउन इलाके में मिला था. पुलिस ने इस मामले में 22 वर्षीय ई-रिक्शा चालक को गिरफ्तार किया है.
पश्चिम बंगाल में आखिरी न्यायिक फांसी दो दशक पहले हुई थी. दक्षिण कोलकाता के एक आवासीय इमारत के सुरक्षा गार्ड धनंजय चटर्जी को 16 वर्षीय छात्रा से बलात्कार और हत्या के मामले में अलीपुर जेल में वर्ष 2004 में 15 अगस्त से ठीक पहले फांसी दी गई थी. इस अपराध को मार्च 1990 में अंजाम दिया गया था. जघन्य अपराध के इन मामलों में सितंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच मौत की सजा सुनाई गई.
पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की एक पॉक्सो अदालत ने सात सितंबर 2023 को मोहम्मद अब्बास को मौत की सजा सुनाई. उसे अगस्त 2023 में माटीगारा इलाके में स्कूल जा रही 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया था.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस फैसले का स्वागत किया और अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, ‘‘यह त्वरित सजा पश्चिम बंगाल पुलिस के प्रयासों का प्रमाण है जिसने एक साल के भीतर न्याय सुनिश्चित किया. ‘अपराजिता बलात्कार विरोधी विधेयक’ के लागू होने से इस तरह की कठोर सजाएं एक मिसाल बनेंगी, अपराधियों में डर पैदा करेंगी और ऐसे जघन्य अपराधों को रोका जा सकेगा.”
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