डिनर या लंच ऑर्डर करने से पहले जरा रुकें और सोचें, जानिए क्यों हर तरह से बेहतर होता है घर पर ही खाना पकाना
February 23, 2025 | by Deshvidesh News

Cooking Benefits: दिन-रात कामकाज में जुटी रहने वाली लाइफस्टाइल ने मौजूदा पीढ़ी के रहन-सहन और खानपान के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है. तकनीकों के आधुनिक दौर में ऐसे कई ऐप्स हैं जो बस कुछ ही क्लिक में मनपसंद लंच या डिनर ऑर्डर करने की सुविधा देते हैं. उनकी ओर से कई बार लुभावने ऑफर भी दिए जाते हैं. ऐसे में ज्यादातर लोग घर पर खाना बनाने से बचने के लिए इसका जमकर इस्तेमाल करने लगते हैं. लेकिन अक्सर इस सुविधा के चक्कर में सेहत से समझौता करना पड़ जाता है. आइए, जानते हैं कि घर पर खाना बनाना क्यों हमेशा टेकआउट ऑर्डर करने से बेहतर है?
हेल्थ और आर्थिक बचत दोनों तरह के फायदे
भागदौड़ और बेतहाशा खर्चे से भरे आधुनिक समय में अगर हम घर पर खाना बनाते हैं तो शारीरिक पोषण और आर्थिक बचत दोनों तरह के फायदे हासिल कर लेते हैं. क्योंकि यह माना हुआ तथ्य है कि बाहर रेस्टोरेंट से मंगवाए खाने अक्सर महंगे और ज्यादातर अनहेल्दी होते हैं. इसके अलावा, जब आप बाहर से मंगवाए टेकआउट बॉक्स से खाना खाते हैं तो खाने में मौजूद चीज़ों के अलावा भी बहुत कुछ ऐसा होता है जिसे मिस कर देते हैं. इसलिए लंच हो या डिनर लोगों को अपने लिए घर पर ही खाना बनाने की कोशिश करनी चाहिए.
घर पर खाना पकाने और खाने का फायदा (The benefits of cooking and eating at home)
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स्ट्रेस बस्टर है कुकिंग, करीबी रिश्तों में आती है गर्माहट
घर पर परिवार के साथ मिलकर कुकिंग करना अपने लाइफ पार्टनर, माता-पिता, बच्चे और दूसरे प्रिय लोगों के साथ फिर से भावनात्मक तौर पर जुड़ने और करीब आने का मौका भी देता है.अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन का कहना है कि साथ में नई चीज़ें आज़माना जैसे कोई नई रेसिपी सीखना एक कपल को अपने रिश्ते में मजबूती से जुड़े रहने में मदद कर सकता है. कई मायनों में कुकिंग को स्ट्रेस बस्टर यानी तनाव खत्म करने वाला काम भी बताया जाता है.
सेहतमंद बने रहने में बहुत मददगार है घर का बना खाना
कई रिसर्च और स्टडी से पता चलता है कि जो लोग टेकआउट के बजाय ज्यादा बार घर पर खाना बनाते हैं, उनकी डाइट हेल्दी होती है. क्योंकि रेस्टोरेंट के भोजन में आमतौर पर घर में पकाए गए भोजन की तुलना में सोडियम, संतृप्त वसा, कुल वसा और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है. टेकआउट ऑर्डर करने की जगह जब लोग घर पर ही किचन में खुद ताज़ी सामग्री पकाते हैं तो इस बात पर पूरा कंट्रोल होता है कि भोजन में क्या और कितना मिलाया जा रहा है. इस एक काम का सेहतमंद बने रहने में बहुत बड़ा पॉजिटिव अंतर पड़ सकता है.
घर पर कुकिंग से कैलोरी पर काबू करने में आसानी
आमतौर पर औसत फास्ट फूड ऑर्डर में कुल 1,100 से 1,200 के बीच कैलोरी होता है. यह एक महिला के अनुशंसित दैनिक कैलोरी सेवन (1,600 से 2,400 कैलोरी) का लगभग आधा हिस्सा है. वहीं, एक पुरुष के दैनिक जरूरत (2,000 से 3,000 कैलोरी) का लगभग दो तिहाई है. छोटे रेस्टोरेंट और फूड ज्वाइंट्स भी हर ऑर्डर पर औसतन 1,327 कैलोरी कैलोरी देते हैं. जबकि, खुद खाना बनाने पर खाने की मात्रा और कैलोरी को अपने हिसाब से तय किया जा सकता है.क्योंकि ज्यादातर रेसिपी में अक्सर पोषण संबंधी जानकारी और सर्विंग साइज के ऑप्शन दिए जाते हैं.
घर पर खाना बनाने से बेशकीमती समय की भी बचत
टेक-आउट ऑर्डर करने के मुकाबले घर पर खाना बनाने से हमारे बेशकीमती समय की बचत भी होती हैं. क्योंकि बाहर से खाना मंगवाने का मतलब है कि उसके आने का इंतज़ार करना या उसे लाने के लिए गाड़ी चलाकर जाना. आप कहां रहते हैं, किस समय ऑर्डर करते हैं और डिलीवरी करने वाला शख्स आपकी लोकेशन और गाइडलाइंस को कैसे समझता है जैसी कई बातें डिलीवरी में लगने वाले समय को प्रभावित करते हैं. जबकि, घर पर खाना बनाने में ज़्यादा समय नहीं लगता है.
लंबे समय तक घर पर खाना बनाने से आर्थिक फायदे
लंबे समय तक घर पर खाना बनाने से पैसे भी बचाए जा सकते हैं. किचन के लिए जरूरी बुनियादी चीजों को एक साथ खरीदने पर रेस्टोरेंट से मंगवाए डिश की तुलना में बेहद कम कीमत पर घर पर मनपसंद खाना पकाया जा सकता है. टेक-आउट ऑर्डर करने के मुकाबले घर पर खाना बनाने पर स्वादिष्ट रेसिपी को ज्यादा मात्रा में भी बनाया जा सकता है. ऐसा करने पर बस कुछ हफ़्तों में ही दिखने लगेगा कि पैसे की काफ़ी बचत होने लगी है.
मनपसंद डिश बनाने, नई रेसिपी की खोज और प्रयोग का मौका
इसके अलावा, घर पर खाना पकाने से अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को ठीक उसी तरह खाने का मौका मिलता है, जिस तरह से उन्हें खाना पसंद करते हैं. खासकर, नॉनवेज खाने में मांस को ज्यादा अच्छे से पकाना या मसालेदार बनाना खुद तय कर सकते हैं. साथ ही अलग-अलग सामग्री, मसालों और व्यंजनों के साथ नई खोज करने और प्रयोग करने का मौका भी निकाल सकते हैं.
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