क्यों जरूरी है शेर की जैसी पूंछ वाले मकाक का संरक्षण, ये कब आते हैं जमीन पर
January 21, 2025 | by Deshvidesh News

भारत के दक्षिणी-पश्चिमी घाट के घने जंगलों में पाया जाने वाला शेर-पूंछ मकाक (Lion Tailed Macaque) एक दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजाति है. इस अनोखे बंदर को इसका नाम उसकी विशेष पूंछ के कारण मिला है, जो शेर की पूंछ जैसी दिखती है. यह मकाक काले बालों से ढका होता है. इसके चेहरे के चारों ओर सफेद बालों की मोटी धार इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देती है. शेर-पूंछ मकाक समूहों में रहते हैं.वे सामाजिक जीवन जीते हैं. उनका भोजन फल, फूल, पत्ते और कीड़े होते हैं. ये उन्हें जंगल में आसानी से मिल जाते हैं. ये बंदर केवल जंगलों में ही रहते हैं और अपने प्राकृतिक पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं.
किस कारण से कम हो रही है आबादी
शेर-पूंछ मकाक की संख्या तेजी से घट रही है. इसके पीछे मुख्य कारण जंगलों की कटाई, इंसानी हस्तक्षेप और अवैध शिकार है. मानव आबादी के बढ़ने के साथ जंगलों पर दबाव बढ़ा है, जिसके कारण इनके प्राकृतिक आवास खत्म हो रहे हैं. इसके अलावा, कुछ लोग इनके शिकार के लिए भी जिम्मेदार हैं, जिससे इनकी स्थिति और गंभीर हो गई है. शेर-पूंछ मकाक का पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान है. ये बंदर बीज फैलाने में मदद करते हैं, जिससे नए पेड़ उगते हैं और जैव विविधता बनी रहती है. इनके संरक्षण से न केवल इस प्रजाति को बचाया जा सकता है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भी लाभ मिलता है.

शेर की पूंछ जैसा मकाक अपने आसपास को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं, इसलिए उनका शिकार आसान नहीं होता है.
शेर-पूंछ मकाक को बचाने के लिए सरकार और कई संगठन काम कर रहे हैं. इन प्रयासों में संरक्षण क्षेत्रों का निर्माण, जंगलों की कटाई पर रोक और जागरूकता अभियान शामिल हैं. भारत में कई नेशनल पार्क और अभयारण्य, जैसे साइलेंट वैली नेशनल पार्क, इन दुर्लभ प्रजातियों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
शिकारियों से कैसे बचाते हैं अपनी जान
शेर-पूंछ मकाक अपनी अनोखी आदतों और व्यवहार के लिए भी जाने जाते हैं. ये बंदर बेहद सावधान और सतर्क होते हैं, जो शिकारियों और खतरों से बचने में उनकी मदद करता है. उनकी आवाज समूह के अन्य सदस्यों को खतरे के संकेत देने के लिए उपयोग होती हैं. यह मकाक ऊंचे पेड़ों पर रहना पसंद करते हैं. ये दुर्लभ अवसरों पर ही जमीन पर आते हैं. इनके जीवन का बड़ा हिस्सा पेड़ों पर फल और पत्तियां खोजने में बीतता है. इनके सामाजिक समूह में एक सख्त अनुशासन होता है, जिसमें एक मुख्य नेता की भूमिका होती है. ये बंदर न केवल अपने समूह के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी खास भूमिका निभाते हैं. इनकी बुद्धिमानी और अनुकूलन क्षमता इन्हें जंगल में जीवित रहने में मदद करती है, लेकिन घटते जंगल और बढ़ते खतरों के बीच इनका अस्तित्व खतरे में है.
शेर-पूंछ मकाक जैसे दुर्लभ जानवरों को बचाने के लिए हमें भी अपनी भूमिका निभानी होगी. हमें जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जागरूक रहना चाहिए और स्थानीय समुदायों को इनके महत्व के बारे में जानकारी देनी चाहिए. शेर-पूंछ मकाक हमारे पर्यावरण के लिए अमूल्य हैं. इनके संरक्षण से न केवल हमारी जैव विविधता सुरक्षित होगी, बल्कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करेगा. इस अद्भुत प्रजाति को बचाने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा.
(अबिथा शेकर अंग्रेजी साहित्य की छात्रा और कला एकीकरण शिक्षिका हैं. उन्हें प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में गहरी रुचि है. वे अपने लेखन के जरिए जागरूकता फैलाती हैं.)
(यह लेखक के निजी विचार हैं, इससे एनडीटीवी का सहमत होना या न होने जरूरी नहीं है.)
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