क्या फूड डिलीवरी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ब्लैक प्लास्टिक कंटेनर से कैंसर हो सकता है? डॉक्टर ने क्या कहा पढ़िए…
February 2, 2025 | by Deshvidesh News

Are Black Plastic Food Containers Safe: हाल ही में एक ऑनलाइन बहस ने प्लास्टिक फूड डिलीवरी कंटेनरों के उपयोग की सुरक्षा के बारे में चिंता जताई है. यह मुद्दा इस बात से पैदा होता है कि वे ‘ब्लैक प्लास्टिक’ से बने होते हैं. एक ऐसी सामग्री जो रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत आम है, जितना कि कई लोग समझते हैं. ब्लैक प्लास्टिक का इस्तेमाल आमतौर पर रोजमर्रा की चीजों जैसे कि फ़ूड ट्रे, कंटेनर और बर्तन बनाने के लिए किया जाता है.
इसे अक्सर पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स सहित रीसाइकिल की गई सामग्रियों से बनाया जाता है और फायर रेजिस्टेंस को बढ़ाने के लिए केमिकल के साथ इसको ट्रीट किया जाता है. हालांकि, डेकाबीडीई जैसे फूड प्लास्टिक के भीतर सुरक्षित रूप से बंधे नहीं होते हैं और भोजन में घुल सकते हैं, खासकर जब यह गर्म, ऑयली या एसिडिटी हो. एक वायरल इंस्टाग्राम वीडियो के बाद चर्चा ने गति पकड़ी, जिसमें एक प्रभावशाली व्यक्ति ने फूड स्टोरेज या माइक्रोवेविंग के लिए काले प्लास्टिक के कंटेनरों का उपयोग करने या फिर से उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी.
यह भी पढ़ें: फेफड़ों की गंदगी को करना है साफ, तो गुनगुने पानी में घोलकर पिएं ये चीज, लंग्स में जमा धूल, धुआं सब निकल जाएगा बाहर
यहां देखें वायरल वीडियो:
आपको इन कंटेनरों के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी जाती है. विशेषज्ञ डॉ. कंचन कौर, मेदांता, गुरुग्राम में ब्रेस्ट कैंसर और कैंसर केयर की वरिष्ठ निदेशक ने इस मुद्दे से संबंधित कुछ सवालों के जवाब दिए.
ब्लैक प्लास्टिक के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. ब्लैक प्लास्टिक क्या है और क्या ये ब्लैक प्लास्टिक फूड पैकेजिंग वास्तव में कैंसर का कारण बन सकती हैं?
संभवतः हां, हालांकि कोई प्रत्यक्ष अध्ययन एक बात की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन इन ब्लैक बॉक्स में पर्याप्त रसायन मौजूद हैं, जो भोजन में घुलकर बड़ी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. इनमें से बहुत से केमिकल्स को इंडोक्राइन डिसरप्टर्स माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वे आपके हार्मोन की नकल करते हैं और वे आपके सामान्य हार्मोनल संतुलन को खराब कर सकते हैं और यहां तक कि कैंसर जैसी कंडिशन को भी जन्म दे सकते हैं. न केवल कैंसर, बल्कि यह पीसीओडी और थायरॉयड जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है, लेकिन कैंसर के साथ, लिंक थोड़ा बड़ा है, खासकर से कार्बन ब्लैक जिसका उपयोग इन बॉक्स को काला बनाने के लिए किया जाता है. यह एक कार्सिनोजेन है और इन प्लास्टिक में अन्य कई केमिकल्स हैं जो संभावित रूप से आपके शरीर के सामान्य कार्यों और बीमारियों खासतौर से कैंसर को रिस्ट्रिक्ट करते हैं.
यह भी पढ़ें: सोने से पहले गर्म पानी के साथ खाएं ये चीज, पेट के लिए करेगा अद्भुत काम, सारे फायदे जान आज से ही सेवन करने लगेंगे आप
2. इनके इस्तेमाल से कैंसर कैसे होता है?
प्लास्टिक से निकलने वाले केमिकल सेल्स फंक्शनिंग को रिस्ट्रिक्ट करते हैं, कुछ कार्सिनोजेन्स हार्मोन रेगुलेशन को प्रभावित करते हैं, खासतौर से ब्रेस्ट कैंसर के संबंध में. इंडोक्राइन डिसरप्टर्स शरीर के हार्मोन बैलेंस को बिगाड़ते हैं, जिससे संभावित रूप से कैंसर हो सकता है. इसके अलावा काला प्लास्टिक भोजन में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ सकता है, जो अब हार्ट डिजीज से लेकर कैंसर तक कई बीमारियों से जुड़ा हुआ है.
3. अपनी विशेषज्ञता के आधार पर क्या आप ब्लैक प्लास्टिक फूड कंटेनरों के उपयोग से बचने की सलाह देते हैं?
हां निश्चित रूप से, न केवल ब्लैक प्लास्टिक फूड कंटेनरों बल्कि घरेलू कामों में भी प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की सलाह दी जाती है, खासकर जब रेफ्रिजरेटर में गर्म या ठंडा भोजन संग्रहीत किया जाता है या माइक्रोवेव में उनका उपयोग किया जाता है. तापमान में बदलाव से ये हानिकारक रसायन भोजन में निकल सकते हैं जिससे कैंसर और अन्य लाइफस्टाइल रिलेटेड समस्याएं हो सकती हैं.
4. क्या ब्लैक प्लास्टिक या फूड कंटेनर और पैकेजिंग के लिए कोई सुरक्षित विकल्प हैं?
स्टील और कांच के बर्तनों का उपयोग करना बेहतर विकल्प हैं. भारत में लोगों के पास मिट्टी के बर्तनों का विकल्प चुनने का विकल्प भी है, यह सुनिश्चित करके कि इस्तेमाल की गई मिट्टी सीसा रहित हो और उनमें किसी भी तरह के पेंट या रसायन का इस्तेमाल न किया गया हो. अगर सुरक्षा प्राथमिकता है, तो स्टील और कांच सबसे अच्छे विकल्प हैं.
यह भी पढ़ें: काजू, बादाम भी नहीं टिकते इस ड्राईफ्रूट के आगे, रोज भिगोकर खाने से मिलते हैं चमत्कारिक फायदे, क्या आप जानते हैं नाम?
5. कैंसर के अलावा, इस ब्लैक प्लास्टिक के खाने से कौन-सी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जुड़ी हैं?
इन प्लास्टिक में मौजूद रसायन एंडोक्राइन डिसरप्टर हैं. वे आपके एंडोक्राइन सिस्टम के सामान्य कामकाज को बाधित करते हैं जिससे पीसीओडी, डायबिटीज और थायरॉयड जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. यह पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्याएं भी पैदा कर सकता है, खासकर प्रोस्टेट कैंसर. इसके अलावा, बच्चों के संपर्क में आने से संभावित रूप से उनका आईक्यू कम हो सकता है या उनके न्यूरोलॉजिकल विकास में बाधा आ सकती है.
6. प्लास्टिक के संपर्क में आने से कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है और इससे कैंसर के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है?
अपने दादा-दादी जैसा जीवन जिएं. आपको लोकल, मौसमी, ताज़ा खाना खाना चाहिए और बाहर के खाने पर निर्भरता कम करनी चाहिए. प्लास्टिक में खाना स्टोर करने और गर्म करने से बचें और खाने को स्टोर करने और परोसने के लिए केले के पत्ते, बांस, मिट्टी के बर्तन, स्टील और कांच जैसे सुरक्षित विकल्पों का चुनाव करें. भारत केले के पत्ते और बांस के बर्तनों के मामले में सबसे आगे है जो बहुत सुरक्षित हैं और इसलिए प्लास्टिक के डिब्बों की जगह इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
यह भी पढ़ें: 1 महीने तक मीठा छोड़ने से क्या होगा शरीर पर असर? जान जाएंगे तो आज से ही खाना बंद कर देंगे आप
7. ब्लैक प्लास्टिक फूड कंटेनरों के इस्तेमाल से कैंसर का जोखिम कितना है?
ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो प्लास्टिक के इस्तेमाल के मामलों या सालों की संख्या बता सके जिससे कैंसर हो सकता है, लेकिन जितना ज्यादा आप प्लास्टिक के संपर्क में आएंगे, जोखिम उतना ही ज्यादा होगा.
Lungs Importance: सांस लेने से परे फेफड़े करते हैं ये अद्भुत काम जो आप नहीं जानते होंगे
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
चेहरे पर दिखते हैं ओपन पोर्स या बड़े गड्ढे तो इन्हें कम करेंगी रसोई की ये 5 चीजें, जान लीजिए जबरदस्त नुस्खे | Open Pores Home Remedies
February 4, 2025 | by Deshvidesh News
दिन में कितनी बार धोना चाहिए चेहरा, यहां जानिए फेस वॉश करने का सही तरीका
January 28, 2025 | by Deshvidesh News
अदाणी ग्रुप ने मेडिकल क्षेत्र में सस्ती और वर्ल्ड क्लास सुविधा देने के लिए मिलाया मेयो क्लिनिक से हाथ
February 10, 2025 | by Deshvidesh News