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किसी स्टूडियो में नहीं लैंप की लाइट में दिया था लाइफ का पहला सीन, साउथ की इस फिल्म से रातों रात स्टार बन गया था यह बच्चा, पहचाना? 

January 20, 2025 | by Deshvidesh News

किसी स्टूडियो में नहीं लैंप की लाइट में दिया था लाइफ का पहला सीन, साउथ की इस फिल्म से रातों रात स्टार बन गया था यह बच्चा, पहचाना?

ऑडिशन देने की बात होती है तो बड़े बड़े मॉडल्स के हौसले पस्त हो जाते हैं. लाइट कैमरा एक्शन शब्द सुनते ही बड़े बड़े एक्टर्स के पसीने छूट जाते हैं. लेकिन कभी कभी कुछ ऐसे हुनरमंद भी आते हैं जो एक्टिंग के नाम से ही कॉन्फिडेंस से लबरेज नजर आते हैं. साउथ इंडिया से लेकर हिंदी फिल्मों तक एक ऐसे ही सितारे ने पहले ऑडिशन में ही कमाल कर दिखाया था. लेकिन उसका ये ऑडिशन किसी स्टूडियो या फ्लैश लाइट में नहीं हुआ था. बल्कि एक रूम के लैंप की लाइट में हो गया था. जिसके बाद बतौर बाल कलाकार उस एक्टर के करियर की शुरुआत हुई. फिल्म रिलीज होने के बाद ये फिल्म और बच्चा दोनों ही फिल्म इंड्स्ट्री पर छा गया.

कौन सी है ये फिल्म और एक्टर?

हम जिस फिल्म की बात कर रहे हैं, उसका नाम है कलथुर कन्नम्मा. और, जिस सितारे की बात हो रही है वो कमल हासन. कमल हासन का नाम आज पैन इंडिया स्टार्स में शामिल है. वो कई दशकों से साउथ इंडियन सिनेमा और हिंदी फिल्मों में एक्टिव हैं. बतौर बालकलाकार कलथुर कन्नम्मा उनकी पहली फिल्म थी. जिसका ऑडिशन बस एक रूम के लैंप की लाइट में हो गया था. असल में कमल हासन किसी काम से फिल्म के मेकर्स में से एक AV. Meiyappan  के घर गए थे. उन्होंने कमल हासन की एक्टिंग का गुण पहचान लिया. कमल हासन के फेस पर कमरे में रखे लैंप की लाइट मारी गई और उनके एक्टिंग के टैलेंट को परखा गया. जिसके बाद वो इस फिल्म का हिस्सा बन गए.

रातों रात बने स्टार

कलथुर कन्नम्मा नाम की ये फिल्म बेहद हिट हुई. जिसे पहले तमिल भाषा में और फिर तेलुगू भाषा में मावूरी अम्माई नाम से बनाया गया. 20 अक्टूबर 1960 को रिलीज हुई ये फिल्म चेन्नई के प्लाजा थिएटर में करीब 102 दो दिन ली. महारानी टॉकीज और राक्षी टॉकीज में 105 दिन, वेलिंगटन थिएटर में 112 दिन और त्रिची के एक थिएटर में सौ दिन तक चली. कमल हासन के लिए ये फिल्म मील का पत्थर साबित हुई. जो रातों रात बड़े स्टार बन गए.

 

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