कम सोने की आदत 29 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है प्री-मेच्योर डेथ का खतरा, स्टडी में हुआ खुलासा
March 2, 2025 | by Deshvidesh News

अक्सर हमने अपने बड़े बुजुर्गों से इसे सुना होगा कि अच्छी नींद लेना हमारे शरीर में आधी से ज्यादा समस्याओं को ठीक कर सकता है. अगर कोई रात में आठ घंटे सोता है तो मान लें बहुतों की तुलना में आप हेल्दी रहेंगे. एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, कम नींद से असमय मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है. अमेरिका स्थित वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन में बताया गया है कि कम नींद से असमय मृत्यु का जोखिम 29 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. इस अध्ययन में पर्याप्त नींद के महत्व के बारे में बताया गया है. वयस्कों को अच्छी सेहत के लिए सात से नौ घंटे की नींद लेने की सलाह अक्सर डॉक्टर देते हैं. खराब नींद से डिमेंशिया, हार्ट डिजीज, टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा और यहां तक कि कुछ कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है.
40 से 79 साल की आयु के लोगों पर किया गया शोध
जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 40 से 79 साल की आयु के लगभग 47,000 (कम आय वाले) वयस्कों की नींद की आदतों का विश्लेषण किया. प्रतिभागियों ने अपनी औसत नींद की अवधि पांच साल के अंतराल पर शेयर की. इसमें सात से नौ घंटे तक की नींद लेने वाले को “हेल्दी” माना गया, अगर यह सात घंटे से कम थी तो “कम” और अगर यह नौ घंटे से ज्यादा थी तो “लंबी” माना गया.
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स्लीप पैटर्न को 9 श्रेणियों में बांटा गया
नींद के पैटर्न को नौ श्रेणियों में बांटा गया. इनमें से “कम-लंबी” से मतलब प्रतिभागी के पांच साल की अवधि के दौरान रात में नौ से ज्यादा घंटे सोने से पहले के दौर से था. उस दौरान वो सात घंटे से कम सोता था.
लगभग 66 प्रतिशत प्रतिभागियों की नींद खराब थी. वे या तो सात घंटे से कम सोते थे या एक बार में नौ घंटे से ज्यादा. सबसे आम स्लीप पैटर्न “बेहद कम”, “शॉर्ट हेल्दी” और “हेल्दी शॉर्ट” थे. बेहद कम और हेल्दी शॉर्ट पैटर्न में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी.
लगभग 12 साल तक स्लीपर्स को फॉलो किया गया. इस दौरान 13,500 से ज्यादा प्रतिभागियों की मृत्यु हुई, जिनमें 4,100 हार्ट डिजीज से और 3,000 कैंसर पीड़ित पाए गए.
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पाया गया कि जिन लोगों की नींद की आदतें “शॉर्ट-लॉन्ग” या “लॉन्ग-शार्ट” होती हैं, उनमें जल्दी मृत्यु का जोखिम विशेष रूप से ज्यादा होता है.
हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में अच्छी नींद को लेकर कुछ उपाय सुझाए गए हैं. इनमें औषधियां, योग, डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह दी गई है. आयुर्वेद पंचकर्म का भी परामर्श देता है, जिसमें शिरोबस्ती (सिर पर तेल बनाए रखना), शिरोभ्यंग (सिर की मालिश), शिरोपिच्छु (कान की नली में गर्म तेल लगाना) और पादभ्यंग (पैरों की मालिश) शामिल हैं.
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