अमेरिकी डॉलर में मजबूती से रुपये में गिरावट, रुपया-युआन रेट पर नजर रखनी चाहिए: अरविंद विरमानी
February 5, 2025 | by Deshvidesh News

नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा कि रुपये में हालिया गिरावट अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के कारण आई है. उन्होंने साथ ही वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में भारत को रुपया-युआन विनिमय दर पर भी गौर करने का सुझाव दिया.विरमानी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ इंटरव्यू में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की घोषित नीति यह है कि वह किसी विशिष्ट विनिमय दर को लक्ष्य नहीं बनाती बल्कि ‘‘अत्यधिक” अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करती है.
उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम रुपया-डॉलर दर के बारे में बात करते हैं, तो इसमें दो कारक शामिल होते हैं…पहला अमेरिकी डॉलर में अधिक तेजी… जो कुछ आप देख रहे हैं… वह अमेरिकी (डॉलर) में तेजी के कारण है.”
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ‘‘ इसलिए यह वास्तव में हमारे नियंत्रण में नहीं है और ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में हमारे नीति निर्माताओं को चिंता करने की आवश्यकता है.”
रुपया आज शुरुआती कारोबार में नौ पैसे टूटा
भारतीय रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में नौ पैसे टूटकर 87.16 प्रति डॉलर पर आ गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि बाजार सहभागी अमेरिका और चीन द्वारा लगाए जा रहे शुल्क के प्रभाव पर विचार कर रहे हैं जिसका दबाव स्थानीय मुद्रा पर दिख रहा है. हालांकि, किसी भी केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप से रुपये को समर्थन मिल सकता है.अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 87.13 पर खुला और फिर फिसलकर 87.16 प्रति डॉलर पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले नौ पैसे की गिरावट दर्शाता है.
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.07 पर बंद हुआ था. इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत की गिरावट के साथ 107.89 पर रहा.
सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा
बता दें कि रुपये में हाल के सप्ताहों में काफी गिरावट आई है और सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यह 87.29 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.
विरमानी ने कहा कि दूसरा कारक सूचकांक के संबंध में मूल्यह्रास है और इसे मापने का एक तरीका अन्य देशों के साथ इसकी तुलना करना है, क्योंकि रुपये की सामान्य वृद्धि सभी को प्रभावित करती है. उन्होंने कहा, ‘‘ जैसा कि हाल में किसी ने सुझाव दिया था, हमें रुपया-युआन (‘युआन’, चीन की मुद्रा है.) दर पर करीबी नजर रखनी चाहिए, यह एक अच्छा सुझाव है. बेशक, हमें अनिश्चितता के इस दौर में अपने प्रतिस्पर्धियों पर भी व्यापक रूप से नजर रखनी होगी.”
पिछले कुछ महीनों से रुपया में दबाव
भारतीय रुपया पिछले कुछ महीनों में दबाव में रहा है, लेकिन एशियाई तथा वैश्विक समकक्षों के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसमें सबसे कम अस्थिरता आई है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के लगभग दैनिक आधार पर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के कारणों में व्यापार घाटे में वृद्धि से लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दरों में कम कटौती के संकेत के बाद डॉलर सूचकांक में उछाल शामिल है.
आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश पर विरमानी ने कहा, ‘‘ यदि हम अपना और दूसरों का इतिहास देखें तो झटकों के दौर में राजकोषीय और मौद्रिक नीति दोनों को एक साथ कड़ा करना आमतौर पर एक बुरा विचार है.”
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए हमें और अधिक लक्ष्यबद्ध होना होगा. इसका मतलब यह नहीं है कि हम केवल राजकोषीय या केवल मौद्रिक उपाय करें, बल्कि समन्वय सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए.”
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