लोगों को परेशान ना करें, दायरे में रहकर काम कीजिए : जानिए HC ने क्यों ठोका ED पर 1 लाख रुपये का जुर्माना
January 21, 2025 | by Deshvidesh News

बंबई उच्च न्यायालय ने एक रियल एस्टेट कारोबारी के खिलाफ ‘‘बिना सोचे समझे” धन शोधन की जांच शुरू करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर मंगलवार को एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए.
ईडी पर जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को एक ‘‘कड़ा संदेश” जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नागरिकों को परेशान न किया जाए.
उच्च न्यायालय ने अगस्त 2014 में मुंबई के एक रियल एस्टेट डेवलपर राकेश जैन को धन शोधन एजेंसी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत के आधार पर एक विशेष अदालत द्वारा जारी की गई प्रक्रिया (समन/नोटिस) को रद्द कर दिया.
न्यायमूर्ति जाधव ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां कानून को अपने हाथ में लेना बंद करें और नागरिकों को परेशान करना बंद करें.”
ईडी ने जैन के खिलाफ उपनगरीय विले पार्ले थाने में एक संपत्ति खरीदार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर धन शोधन की जांच शुरू की थी, जिसमें जैन पर समझौते के उल्लंघन और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था.
न्यायमूर्ति जाधव ने अपने फैसले में कहा कि जैन के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए धन शोधन के आरोप भी टिकते नहीं हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि जैन के खिलाफ शिकायतकर्ता का कदम और ईडी की कार्रवाई ‘‘स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण है और इसके लिए जुर्माना लगाने की आवश्यकता है.”
न्यायमूर्ति जाधव ने कहा, ‘‘मैं जुर्माना लगाने के लिए बाध्य हूं, क्योंकि ईडी जैसी कानून लागू करने वाली एजेंसियों को एक कड़ा संदेश देने की जरूरत है कि उन्हें कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए और वे बिना सोचे समझे कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते तथा नागरिकों को परेशान नहीं कर सकते.”
अदालत ने ईडी को चार सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय पुस्तकालय को एक लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. पीठ ने मामले में मूल शिकायतकर्ता (खरीदार) पर भी एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इस जुर्माने का भु्गतान मुंबई स्थित कीर्तिकर लॉ लाइब्रेरी को किया जाएगा.
न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘‘यह देखा गया है कि धन शोधन की साजिश गुप्त रूप से रची जाती है और अंजाम दी जाती है. मेरे सामने वर्तमान मामला पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के कार्यान्वयन की आड़ में उत्पीड़न का एक नायाब मामला है.”
ईडी के अधिवक्ता श्रीराम शिरसाट के अनुरोध पर उच्च न्यायालय ने अपने फैसले पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी ताकि एजेंसी उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सके.
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