मिल्कीपुर के लिए चुनाव आयोग तक को ‘मार’ रहे अखिलेश, समझिए आखिर दर्द क्या है ?
February 6, 2025 | by Deshvidesh News

संसद परिसर में अखिलेश यादव का एक ताज़ा बयान आया है. इस पर विवाद बढ़ गया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष का ये बयान मिल्कीपुर में उपचुनाव (Milkipur Byelections) को लेकर है. अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने कहा कि “ये बीजेपी का चुनाव लड़ने का तरीक़ा है. चुनाव आयोग मर गया है और हमें सफ़ेद कपड़ा भेंट करना होगा”. उनके इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं के भी ताबड़तोड़ जवाब आने लगे हैं. यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक कहते हैं ” मीठा मीठा गप और कड़वा थू. जब नतीजे उनके पक्ष में होते है तो चुनाव आयोग अच्छा हो जाता है.मिल्कीपुर हारने के डर से अखिलेश जी आरोप लगा रहे हैं”
Video : सफेद कपड़ा भेंट करना पड़ेगा Arvind Kejriwal
क्या अखिलेश का PDA वाला फ़ॉर्मूला हो रहा फुस्स ?
अखिलेश यादव हैरान है और परेशान भी. लोकसभा चुनाव में रिकॉर्डतोड़ कामयाबी के बाद उन्हें लगा था जीत उनके हिस्से में है. पर ऐसा नहीं हुआ. दो महीने पहले यूपी में विधानसभा की नौ सीटों पर उप चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी की पोल खुल गई. उनका सुपर हिट PDA वाला फ़ॉर्मूला फुस्स हो गया. विधानसभा की नौ में से सिर्फ़ दो ही सीटें समाजवादी पार्टी जीत पाई. जिस करहल सीट से वे विधायक रहे, उसी सीट पर समाजवादी पार्टी बड़ी मुश्किल से जीत पाई. जबकि उनके परिवार के तेज प्रताप यादव चुनाव लड़ रहे थे.करहल में यादव वोटों में ही बंटवारा हो गया. अखिलेश यादव के लिए ये ख़तरे की घंटी है.

संसद में अखिलेश यादव (PTI फोटो)
बात यहीं ख़त्म नहीं होती है. संभल के कुंदरकी सीट पर भी बड़ा उलट फेर हुआ. यहां 65 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. इसके बावजूद बीजेपी जीत गई. ये भी किसी चमत्कार से कम नहीं है. बीजेपी के रामवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रिजवान को 1 लाख 44 हज़ार वोटों से हराया. समाजवादी पार्टी ने सपने में भी इस शर्मनाक हार के बारे में नहीं सोचा था. पता चला कि मुसलमानों ने भी बीजेपी के पक्ष में वोट कर दिया. अब अगर मुस्लिम और यादव वोटों में ही बंटवारा होने लगे तो फिर समाजवादी पार्टी के पास बचेगा क्या ! यही वोट बैंक तो पार्टी की बुनियाद है.
उपचुनाव के नतीजे अखिलेश के फेवर में नहीं
अखिलेश यादव तो समाजवादी पार्टी का विस्तार करने में लगे थे. इसीलिए PDA वाला सोशल इंजीनियरिंग का फ़ॉर्मूला आया. पिछड़े, दलित और मुस्लिम. पर नौबत तो अब बेस वोट बचाने की आ गई. उनका MY मतलब मुस्लिम यादव वोट बैंक ही दरकने लगा. जबकि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम और यादव के साथ साथ OBC का भी वोट मिला था. अखिलेश यादव का दावा था कि दलित वोटरों का भी एक बड़ा हिस्सा उनके साथ जुड़ गया है. लेकिन उपचुनाव के नतीजों ने उनके इस दावे को ग़लत साबित कर दिया.
उनकी सारी उम्मीदें मिल्कीपुर के उपचुनाव पर टिकी थीं. उन्होंने अवधेश प्रसाद को समाजवादी पार्टी के सामाजिक न्याय का चेहरा बनाया. फैजाबाद के लोकसभा चुनाव में जनरल सीट पर अखिलेश ने दलित नेता को टिकट दे दिया. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का दावा करने वाली बीजेपी फ़ैज़ाबाद में चित हो गई. अखिलेश यादव ने फैजाबाद की जीत को सबसे बड़ी जीत बताया. बीजेपी के लिए ये उतनी ही बड़ी हार रही. देशभर में अखिलेश यादव का डंका बजने लगा. यूपी में माहौल बनाया गया कि बस समाजवादी पार्टी की सरकार आने वाली है.

लोकसभा में गुस्साए अखिलेश यादव (PTI फोटो)
मिल्कीपुर जीत कर बीजेपी ने फैजाबाद की हार का बदला लेने की रणनीति बनाई. उसी हिसाब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी तैयारी की. उन्होंने आठ बार मिल्कीपुर का दौरा किया. सर्वे के आधार पर बीजेपी ने टिकट फ़ाइनल किया. समाजवादी पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. अवधेश प्रसाद के बेटे को टिकट दिया गया. लेकिन अब वोटिंग के बाद जो रिपोर्ट आ रही है उससे समाजवादी पार्टी कैंप में निराशा है. संकेत मिल रहे हैं बीजेपी बड़ी जीत की ओर है.
वोटिंग के दिन समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से सौ से भी अधिक शिकायतें की. पार्टी की तरफ़ से चुनाव ड्यूटी में तैनात कई अधिकारियों का स्टिंग ऑपरेशन भी हुआ. अखिलेश यादव ने तो अयोध्या के एसएसपी को भी बताने की डिमांड की. पार्टी की तरफ़ से दिन भर शिकायतें की जाती रहीं. कभी बोगस वोटिंग को लेकर तो कभी मुस्लिम वोटरों को वोट देने से रोकने की. पर चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी की सभी शिकायतें ख़ारिज कर दी.
अखिलेश के सामने चुनौतियों का पहाड़
अखिलेश यादव ने महाकुंभ में भगदड़ के बहाने योगी सरकार पर सनातन विरोधी होने का आरोप लगाया. उनके कपड़ों पर भी तंज किए गए. सीएम योगी को परिवारवादी बताया गया. लेकिन ऐसा लगता है सारे दांव फेल हो गए. जबकि मिल्कीपुर की सीट कभी भी बीजेपी के लिए सेफ नहीं रही है. अब अखिलेश यादव अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से क्या कहें ! लोकसभा चुनाव में बंपर जीत दिलाने वाला PDA कहां फेल हो गया. लगातार आठ सालों से यूपी की सत्ता से समाजवादी पार्टी बाहर है. ऐसे में पार्टी समर्थकों का जोश भी हाई रखना है. अखिलेश के सामने चुनौतियों का पहाड़ है. उन्हें बीजेपी से भी लड़ना है और सहयोगी पार्टी कांग्रेस के सामने भी मज़बूत बने रहना है. इसीलिए उनका पहला टारगेट अब चुनाव आयोग है.
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