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Vijaya Ekadashi 2025 : विजया एकादशी पर तुलसी चालीसा पाठ करने का जानिए आसान तरीका 

February 19, 2025 | by Deshvidesh News

Vijaya Ekadashi 2025 : विजया एकादशी पर तुलसी चालीसा पाठ करने का जानिए आसान तरीका

Tulsi Chalisa Path on Vijaya Ekadashi: हिंदू धर्म में हर माह की एकादशी तिथि का बहुत महत्व है. यह तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लए समर्पित मानी जाती है. विष्णु भक्त हर एकादशी को व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता  है. पंचांग के अनुसार, इस वर्ष विजया एकादशी व्रत 24 फरवरी सोमवार (Kab hai Vijaya Ekadashi-2025) को रखा जाएगा. विजया एकादशी को  भगवान विष्णु के साथ माता तुलसी की पूजा के लिए बहुत प्रभावशाली माना जाता है. इससे जीवन में सफलता का मार्ग खुलता है. मान्यता है कि तुलसी चालीसा का पाठ करने से धन की देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है लाभ योग (Tulsi Chalisa se Fayida) बनते हैं. आइए जानते हैं विजया एकादशी को तुलसी चालीसा के पाठ से फायदा और तरीका (Tulsi Chalisa ka Path Kaise Kare ).

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विजया एकादशी को तुलसी चालीसा के पाठ की विधि – Tulsi Chalisa path Vidhi on Vijaya Ekadashi

विजया एकादशी के दिन प्रात: उठते ही भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें. स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और फल और मिठाई से भोग लगाएं. इसके बाद मां तुलसी की पूजा करें. देसी घी का दीपक जलाकर तुलसी माता की आरती करें और सोलह शृंगार की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदी, चुनरी आदि अर्पित करें. इसके बाद विधिपूर्वक तुलसी चालीसा का पाठ करें और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें.

।।दोहा तुलसी चालीसा।।

श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।

जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।

नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।

दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।

विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूं लोक की हो सुखखानी।

भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।

जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।

करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।

कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।

तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।

कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।

वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।

श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।

कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।

छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।

तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।

औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,

देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।

वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।

नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।

नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।

नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।

नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।

नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।

नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।

जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।

निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।

करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।

शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।

क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।

मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।

जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।

बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।

प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।

चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।

करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।

पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।

यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।

करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।

है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।

तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।

भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।

यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।

गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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