New vs Old Tax Regime: बजट 2025 के बाद किसमें ज्यादा बचत? जानें कौन सा विकल्प आपके लिए फायदेमंद
February 12, 2025 | by Deshvidesh News

New Tax Regime vs Old Tax Regime: बजट 2025 ने देश के टैक्स सिस्टम में एक बड़ा बदलाव लाया है, जिसके चलते न्यू टैक्स रिजीम (New tax regime) मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स के लिए ज्यादा आकर्षक नजर आ रही है. दरअसल, न्यू टैक्स रिजीम के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को अब कोई इनकम टैक्स (income tax) नहीं देना होगा. वो अपनी पूरी इनकम अब घर ला सकते हैं.
इतना ही नहीं, सरकार ने बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट (Basic Exemption Limit) को 3 लाख से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है साथ ही टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) में एक नया स्लैब जोड़कर न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक विकल्प बना दिया है. इसके लिए नए टैक्स स्लैब में 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये के बीच की इनकम के लिए 25% टैक्स रेट का एडिशनल स्लैब पेश किया गया है.
24-30 लाख रुपये कमाने वाले बचा पाएंगे इतना बचत
डिस्पोजेबल इनकम वह रकम है जो किसी व्यक्ति या परिवार के पास टैक्स का भुगतान करने के बाद बचती है. जाहिर है बजट में प्रस्तावित इन बदलावों से लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए अब ज्यादा पैसा बचेगा. सरकार द्वारा 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को पूरी तरह से टैक्स फ्री करने से, लोगों के पास एजुकेशन, हेल्थकेयर और होम लोन EMI जैसे खर्चों को मैनेज करना ज्यादा आसान हो जाएगा.
इन बदलाव से सालाना 24-30 लाख रुपये कमाने वाले मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स की सालाना टैक्स लायबिलिटी लगभग 1.1 लाख रुपये तक कम हो जाएगी.
बजट 2025 में किए गए टैक्स रिफॉर्म भले ही न्यू टैक्स रिजीम को और ज्यादा अट्रैक्टिव बनाते हैं, लेकिन ज्यादा निवेश करने वाले, HRA बेनिफिट क्लेम करने वाले या ज्यादा इनकम वाले लोगों के लिए अभी भी ओल्ड टैक्स रिजीम का विकल्प ज्यादा बेहतर हो सकता है.
न्यू टैक्स रिजीम में इन छूटों को नहीं कर सकते क्लेम
न्यू टैक्स रिजीम में हायर बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट और स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलता है लेकिन ध्यान दें कि ज्यादातर टैक्स छूट और कटौतियां इसमें शामिल नहीं की गई हैं.आपको बता दें कि न्यू टैक्स रिजीम के तहत आप हाउस रेंट अलाउंस (House rent allowance), कन्वेयन्स एक्सपेंस (Conveyance expenses), लीव ट्रैवल अलाउंस (Leave travel allowance) या टेलीफोन और इंटरनेट एक्सपेंस (Telephone and Internet expenses) के लिए छूट का दावा नहीं कर सकते. टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट, होम और एजुकेशन लोन के इंटरेस्ट, या मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी कोई कटौती नहीं है.
ओल्ड और नई टैक्स रिजीम के टैक्स रेट में अंतर
जैसे-जैसे पुरानी और नई टैक्स रिजीम में टैक्स रेट के बीच सरकार अंतर बढ़ाती जा रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि आने वाले समय में कम ही लोग ओल्ड टैक्स रिजीम का विकल्प चुनना पसंद करेंगे. हालांकि, अभी भी कुछ मामलों में ओल्ड टैक्स रिजीम आपके लिए ज्यादा फायदेमंद विकल्प हो सकता है. चलिए जानते हैं ओल्ड टैक्स रिजीम अभी भी किन लोगों के लिए फायदेमंद है:
टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट
अगर आप पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund – PPF), नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System – NPS), या सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana – SSY) जैसी टैक्स-सेविंग स्कीम (Tax-Saving Investments) में ज्यादा निवेश करते हैं, तो ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) आपके लिए ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकती है. न्यू टैक्स रिजीम में भले ही लोअर टैक्स रेट का फायदा आपको मिलता है लेकिन ज्यादातर कटौतियों और छूटों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
इस वजह से ऐसे इन्वेस्टमेंट करने वालों के लिए न्यू टैक्स रिजीम में ओवरऑल टैक्स बेनिफिट कम हो जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो टैक्सपेयर्स इन छूटों और कटौतियों का दावा करते हैं, वो अभी अभी भी ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं.
हाउस रेंट अलाउंस
ज्यादा हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance – HRA) पाने वाले एम्प्लॉई , खासतौर पर हर महीने 1 लाख रुपये तक पाने वाले एम्प्लॉई , ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. जबकि न्यू टैक्स रिजीम में टैक्सपेयर्स को यह फायदा नहीं मिलता है.
जो लोग सालाना 24 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं और 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, उनके लिए न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा आकर्षक विकल्प नहीं है. जैसे-जैसे इनकम बढ़ती है, न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स बेनिफिट कम होते जाते हैं, जिससे ऐसे लोगों के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम टैक्स बचाने का ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है.
आपके लिए कौन सा टैक्स रिजीम फायदेमंद?
आपके लिए कौन सा विकल्प सही है ये आपकी फाइनेंशियल सिचुएशन पर निर्भर करता है. इसलिए न्यू टैक्स रिजीम सबके लिए फायदेमंद है यह कहना सही नहीं होगा. आपके लिए कौन सा विकल्प सही है, समझने के बाद ही कोई फैसला लें. फैसला करने के लिए आप फाइनेंशियल एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं या टैक्स कैलकुलेशन टूल का यूज कर सकते हैं.
टैक्स कैलकुलेशन टूल का करें इस्तेमाल
दोनों टैक्स रिजीम के फायदे और नुकसान समझने के बाद अगर आप भी फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि कौन सी टैक्स रिजीम से आप अपना ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं, तो इसे पता करने का एक आसान तरीका है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर (Income Tax Department’s online tax calculator) दोनों टैक्स रिजीम के तहत टैक्स लायबिलिटी की तुलना करने में यह कैलकुलेटर आपकी काफी मदद कर सकता है. इस तरह आप सोच समझकर आपके लिए कौन सा विकल्प ज्यादा फायदेमंद है उसका चुनाव कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें- वित्त वर्ष 2024-25 में डायरेक्ट Tax कलेक्शन में 15% उछाल, सरकार ने जुटाए 17.78 लाख करोड़ रुपये
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