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Narmada Jayanti 2025: कब है नर्मदा जयंती, जानिए इस दिन बनने वाले योग और पूजा विधि 

February 5, 2025 | by Deshvidesh News

Narmada Jayanti 2025: कब है नर्मदा जयंती, जानिए इस दिन बनने वाले योग और पूजा विधि

Date and Shubh Yogs of Narmada Jayanti 2025: हिंदू धर्म में प्रकृति को पूजनीय माना जाता है और नदियों व पर्वतों की पूजा की जाती है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti) मनाई जाती है और इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. इस दिन नर्मदा नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है. श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान के बाद पूजा करते हैं. मान्यता है कि नर्मदा जयंती को नर्मदा समेत पवित्र नदियों में स्नान व पूजा अर्चना करने से जीवन में जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और नदी स्वरूप माताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस वर्ष कब है नर्मदा जयंती (Date of Narmada Jayanti) और उस दिन बनने वाले खास योग (Shubh Yog on Narmada Jayanti).

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नर्मदा जयंती  की तिथि – Date of Narmada Jayanti

इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 4 फरवरी सोमवार को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर शुरू होकर 5 फरवरी मंगलवार को देर रात 2 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. सूर्योदय तिथि गणना के अनुसार, 4 फरवरी सोमवार को नर्मदा जयंती मनाई जाएगी. इस दिन सुविधानुसार समय पर नर्मदा नदी या दूसरी नदियों में स्नान किया जा सकता है. 

नर्मदा जयंती शुभ योग – Shubh Yog on Magh Purnima

ज्योतिषियों के अनुसार इस बार 4 फरवरी सोमवार को नर्मदा जयंती के दिन एक साथ कई व कल्याणकारी योग बन रहे हैं. इस दिन शुभ और सर्वार्थ सिद्धि के साथ-साथ अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. मान्यता हैं कि इन शुभ योगों में मां नर्मदा में स्नान और पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.

नर्मदा जयंती की पूजा विधि – Puja Vidhi of Narmada

नर्मदा जयंती यानी माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन ब्रह्म बेला में उठकर व्रत का संकल्प करें और मां नर्मदा के ध्यान से दिन की शुरुआत करें. व्रत और पूजा के लिए पूरे घर का पवित्र होना जरूरी है इसलिए घर की साफ-सफाई करें. संभव हो तो नर्मदा या किसी अन्य नदी में स्नान करें. पुण्य प्राप्ति के लिए घर में नर्मदा या गंगा जल में भी स्नान किया जा सकता है. इसके बाद आचमन कर पीले रंग के कपड़े पहनकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी और मां नर्मदा की पूजा करें. नर्मदा जयंती के एक दिन पहले बड़ी संख्या में लोग नर्मदा नदी के तट पर पहुंचते हैं और भजन कीर्तन करते हैं. अगली सुबह लोग नर्मदा में स्नान के बाद शिव मंदिर में पूजा करते हैं. देश भर में इस दिन नदी स्नान और शिव मंदिर में पूजा और दर्शन करने की परंपरा है.

नर्मदा जयंती का महत्व – Significance of Narmada Jayanti

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां नर्मदा के प्रकट होने का दिन माना जाता है. नर्मदा एक मात्र नदी है जिसकी प्रदक्षिणा की परंपरा है. नर्मदा जी के जन्म से जुड़ी कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा विष्णु समेत सभी देवी देवता अमरकंटक पर समाधि में लीन भगवान शिव के पास पहुंचे और पूछा कि हम देवता भोगों में रत रहते हैं और कई राक्षसों का वध कर चुके हैं. हमारे पापों को निवारण कैसे होगा. यह सुनकर भगवान शिव के भृकुटि से एक तेजोमय बिंदु पृथ्वी पर गिरा और कन्या रूप में बदल गया. उस कन्या का नाम नर्मदा रखा गया. इसीलिए नर्मदा नदी को सभी तरह के पापों से मुक्त करने वाली नदी माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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