Guillain-Barre Syndrome (GBS): क्या है गुइलेन बैरे सिंड्रोम, इसके कारण, लक्षण और बचाव | NDTV Explainer
January 28, 2025 | by Deshvidesh News

Guillain-Barre Syndrome (GBS) Kya Hai: पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) का खतरनाक प्रकोप देखा जा रहा है. अब तक 101 मामलों की पुष्टि हुई है और एक संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है. जीबीएस ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण) को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन प्रसव के दौरान एंटीबायोटिक्स (GBS ka ilaj) लेने से बच्चे को संक्रमित होने का खतरा कम किया जा सकता है. महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को लोगों से अपील की है कि गुलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के लक्षण दिखाई देने पर बिल्कुल ना घबराएं, फौरन डॉक्टर की सलाह लें, ताकि समय रहते उपचार (GBS ka upchar) हो सके. ऐसे लक्षण देखे जाने पर उपचार करने में किसी भी प्रकार की कोताही न बरते. वहीं, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से इसके लक्षणों (GBS ke Lakshan) को कम किया जा सकता है. इस लेख में जानते हैं जीबीएस क्या है, यह कैसे फैलता है और इसके मामले बढ़ने का कारण क्या है? चलिए यहां जानते हैं सब कुछ.
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम क्या है? | Guillain-Barre Syndrome (GBS) Kya Hai
जीबीएस आमतौर पर एक बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद होता है. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिका पर हमला कर देती है, जिससे कमजोरी, लकवा या कभी-कभी मौत भी हो सकती है. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है जिसमें इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्व्स पर हमला करती है. जीबीएस उन नसों को प्रभावित करता है जो मांसपेशियों की गति, दर्द, तापमान और स्पर्श जैसी संवेदनाओं को कंट्रोल करती हैं, जिसकी वजह से मसल्स कमजोर, अंगों में सुन्नता और निगलने या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. जीबीएस के बारे में बात करते हुए एम्स की न्यूरोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया-
जीबीएस अचानक शुरू होता है और अक्सर किसी संक्रमण के बाद होता है. यह आमतौर पर कैम्पिलोबैक्टर के कारण होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के बाद देखा जाता है.
जीबीएस के लक्षणों पर WHO
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के शुरुआती लक्षणों में कमज़ोरी या झुनझुनी जैसी अनुभूतियाँ शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ये लक्षण आमतौर पर पैरों से शुरू होते हैं और हाथों और चेहरे तक फैल सकते हैं.

जीबीएस का क्या कारण है? | Guillain-Barre Syndrome ke Karan Kya hain
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है जिसके कारणों को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है. हालांकि, ज्यादातर मामले वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण के बाद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को शरीर की अपनी नसों पर हमला करने के लिए प्रेरित करता है.
सबसे आम जोखिम कारकों में से एक सी जेजुनी संक्रमण है. ये एक बैक्टीरिया है जो गैस्ट्रोएंटेराइटिस और मतली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षणों का कारण बनता है. इसके साथ ही जीबीएस फ्लू, साइटोमेगालोवायरस, एपस्टीन-बार वायरस या जीका वायरस जैसे वायरल संक्रमण के बाद भी विकसित हो सकता है. कुछ मामलों में जीका वायरस को निगलने या सांस लेने में समस्या के रूप में पहचाना गया है.

प्रकोप के पीछे क्या कारण है?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम मुख्य रूप से नोरोवायरस के कारण होता है, जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है. यह संक्रमित व्यक्ति के उल्टी करने पर निकलने वाले हवा में मौजूद कणों के ज़रिए भी फैल सकता है.
शहर के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अंशु रोहतगी ने बताया-
“नोरोवायरस जीबीएस को ट्रिगर कर सकता है. यह वायरस गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट की खराबी) के मामलों का मुख्य कारण है. किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है और यह जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है.
सबसे ज्यादा मामले कहां हैं?
पुणे में प्रकोप को मुख्य रूप से दूषित पानी और अनहेल्दी भोजन से जुड़ा माना जाता है. इनमें से ज्यादातर मामले किरकटवाड़ी, नांदोशी, नादेड़,धायरी में हैं.

जीबीएस के लक्षण | Symptoms Of GBS | Guillain-Barre Syndrome (GBS) Ke Lakshan
जीबीएस के सामान्य लक्षणों की बात करें, तो इसमें हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या लकवा, चलने में परेशानी होना या अचानक कमजोरी महसूस होना, और निरंतर दस्त लगना शामिल हैं.
- हाथ ही उंगलियों, पैर की उंगलियों, टखनों, कलाई या पैरों में झुनझुनी सनसनी और चलने में परेशानी.
- चेहरे की हरकतों में परेशानी, जिसमें बोलना, चबाना या निगलना शामिल है.
- ब्लैडर कंट्रोल या बाउल फंक्शन में परेशानी.
- असामान्य दिल की धड़कन, लो या हाई ब्लड प्रेशर.
- सांस लेने में परेशानी.
जीबीएस के लक्षण आम तौर पर कुछ हफ्तों तक रहते हैं, ज्यादातर व्यक्ति लंबे समय में गंभीर न्यूरोलॉजिकल रिस्क के बिना ठीक हो जाते हैं. माना जाता है कि इनमें से ज्यादातर मामले दूषित पानी और अनहेल्दी खाने से जुड़े हैं.

GBS (Guillain-Barre Syndrome): वयस्कों और वृद्ध लोगों में, जिनकी प्रतीरक्षा प्रणाली कमजोर है ज़्यादा आम है.
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का सबसे ज्यादा जोखिम किसको है? | Kise Ho Sakta hai Guillain-Barre Syndrome
सबसे जरूरी यह समझना है कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) किसी को भी हो सकता है. वयस्कों और वृद्ध लोगों में, जिनकी प्रतीरक्षा प्रणाली कमजोर है ज़्यादा आम है. सामने आ रहे मामलों में यह देखा गया है कि 50 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में जीबीएस होने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है. हालांकि जीबीएस वयस्क पुरुषों में ज्यादा देखा जाता है, लेकिन यह सभी एज ग्रुप्स के लोगों को प्रभावित कर सकता है. यह समझ लेना भी जरूरी है कि जीबीएस के जोखिम कारक क्या हैं. तो हाल के मामलों में किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से पीड़ित होना, पाचन या श्वसन संक्रमण होना, कुछ टीकों लगवाने के बाद, सर्जरी या आघात इसके जोखिम को बढ़ा देते हैं.
जीबीएस का इलाज क्या है | Guillain-Barre Syndrome (GBS) Ka Ilaj
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने 21 जीबीएस नमूनों में नोरोवायरस और कैम्पिलोबैक्टर जेजूनी बैक्टीरिया पाया. ये दोनों ही दस्त, उल्टी और पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण पैदा करते हैं. पुणे के कई मरीजों में जीबीएस से पहले ये लक्षण दिखे थे. जीबीएस का कोई स्थायी इलाज नहीं है. इसके लक्षण जैसे पैरों में कमजोरी, झनझनाहट या सुन्नपन हाथों तक फैल सकते हैं. लक्षण हफ्तों तक रह सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में लंबे समय तक असर रह सकता है.

GBS (Guillain-Barre Syndrome) Symptoms: जीबीएस के लक्षण.
डॉक्टर को कब दिखाएं?
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण हो:
झुनझुनी सनसनी जो आपके पैरों या पंजों में शुरू होती है और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ती है.
आपके शरीर में तेजी से झुनझुनी या कमजोरी फैलना.
सांस लेने में कठिनाई, खासकर जब आप सीधे लेटते हैं.
निगलने में परेशानी या लार से दम घुटना.
ये लक्षण तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे संभावित रूप से लकवा हो सकता है. गंभीर मामलों में गुइलेन -बैरे सिंड्रोम एक मेडिकल इमरजेंसी बन जाता है और जानलेवा हो सकता है. तुरंत इलाज जरूरी है.
सरकार के अलावा स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी लोगों से यही अपील की गई है कि अगर उन्हें इस बीमारी के संबंध में किसी भी प्रकार के लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
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