Explainer : तिब्बत में एक महीने में 39 भूकंप, आखिर यहां की धरती बार-बार कांप क्यों रही?
February 27, 2025 | by Deshvidesh News

तिब्बत में पिछले दो दिनों के अंदर 4 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. पिछले एक महीने में तिब्बत में आए ऐसे भूकंपों की संख्या 39 है. नए साल की शुरुआत जब हुई तो रिक्टर स्केल पर आए 7.1 के भूकंप ने तिब्बत को दहला दिया, कम से कम 126 लोगों की मौत हो गई. चीन के कब्जे में आ चुके भारत का यह पड़ोसी क्षेत्र हमेशा से भूकंप को लेकर संवेदनशील रहा है. आखिर क्यों? चलिए जानते हैं. पहले आसान भाषा में समझते हैं कि भूकंप क्यों आता है.
भूकंप क्यों आता है?
अपनी धरती की पूरी बाहरी सतह (क्रस्ट और ऊपरी मेंटल) 15 बड़ी और छोटी प्लेटों से बनी हुई है. ये प्लेट स्थिर नहीं हैं बल्कि बहुत धीरे इधर-उधर घूमती हैं. जब ये प्लेट मूव करते हुए एक-दूसरे से रगड़ खाती हैं, तब भूकंप आता है.
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे की वेबसाइट के अनुसार प्लेटें हमेशा धीरे-धीरे चलती हैं, लेकिन घर्षण (फ्रिक्शन) के कारण वे अपने किनारों पर अटक जाती हैं. इस कारण जब किनारे पर पड़ रहा तनाव घर्षण के फ्रोर्स से ज्यादा हो जाता है, तो एनर्जी रिलीज होती है. यह एनर्जी पृथ्वी की परत से होकर गुजरती है और हमें कंपन महसूस होता है. इसी कंपन को भूकंप आना कहते हैं और इसको रिक्टर स्केल पर नापते हैं.
तिब्बत और नेपाल में हर समय भूकंप का खतरा क्यों रहता है?
तिब्बत, नेपाल के साथ-साथ भारत के कई सीमावर्ती इलाकों में बार-बार भूकंप आने की वजह उनकी लोकेशन है. यह पूरा हिस्सा हिमालय जोन के उपर है. कई बड़े और जानलेवा भूकंपों के इतिहास के साथ, हिमालय दुनिया के सबसे भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों (जियोलॉजिकली एक्टिव जोन) में से एक बना हुआ है. यानी यहां की घरती के नीचे मौजूद प्लेट कुछ ज्यादा ही एक्टिव हैं, ज्यादा ही मूव करते हैं.
हिमालय जोन के एक्टिव होने की वजह जानने के लिए हमें समझना होगा कि हिमालय बना कैसे. दरअसल हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण लगभग 40 से 50 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ जब दो प्लेटें, यूरेशियन और भारतीय प्लेट एक दूसरे की ओर आईं और टकराने लगीं. चूंकि दोनों प्लेटें समान घनत्व (डेनसिटी) की थीं, जहां वे टकराईं वहां से जमीन ऊपर उठ गई और हिमालय बना.
समय के साथ, यूरेशियन प्लेट नीचे खिसक गई, यानी यह भारतीय प्लेट के नीचे आ गई. यह प्रक्रिया आज भी जारी है. हिमालय जोन में बार-बार जो भूकंप आती हैं, वो मुख्य रूप से भारतीय और यूरेशिया प्लेटों के टकराव कारण आती हैं. दोनों 40-50 मिमी/वर्ष की रेलेटिव स्पीड (एक-दूसरे की तुलना में) एक दूसरे के उपर मूव कर रही हैं. जहां भारतीय प्लेट हिमालय के नीचे दब रही है, वहीं यूरेशियन प्लेट पामीर पर्वतों के नीचे दब रही है. एक स्टडी के अनुसार यूरेशियन प्लेट से टकराने वाली भारतीय प्लेट तिब्बत के नीचे धीरे-धीरे टूट रही है. यह “स्लैब टियर” एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भारतीय प्लेट की ऊपरी परत अपनी सघन निचली परत से अलग हो जाती है, जिससे क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूकंपीय गतिविधि पैदा होती है. इस वजह से दोनों प्लेटों के जोड़ पर स्थिति पूरा क्षेत्र भूकंप को लेकर संवेदनशील है.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
दिल्ली में जल्द शुरू होगी आयुष्मान भारत योजना, MOU पर तेजी से हो रहा काम: सूत्र
February 27, 2025 | by Deshvidesh News
महाकुंभ में गंगा जल कितना शुद्ध? यूपी सरकार का जवाब जानकर हो जाएंगे हैरान
February 21, 2025 | by Deshvidesh News
District Judge Exam Result: ओडिशा जिला जज परीक्षा में नहीं हुआ एक भी उम्मीदवार पास, सक्सेस रेट Zero
February 24, 2025 | by Deshvidesh News