SC ने ईशा फाउंडेशन मामले पर तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को क्यों लगाई फटकार, क्या है मामला पढ़ें
February 14, 2025 | by Deshvidesh News

सुप्रीम कोर्ट ने सदगुरु वासुदेव जग्गी के तमिलनाडु के कोयंबटूर में बने ईशा फाउंडेशन के निर्माण (Isha Foundation) में पर्यावरण मंजूरी नहीं लेने से जुड़ी याचिका पर आज सुनवाई की. ये याचिका तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दायर की थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए पूछा कि उनको इतने दिनों तक मंजूरी नहीं लिए जाने की बात याद क्यों नहीं आई. अब तो योग केंद्र बन चुका है तो अब यह सवाल क्यों उठा रहे हैं.
“समय पर SC जाने से किसने रोका था?”
जस्टिस सूर्यकांत ने तमिलनाडु प्रदूषण बोर्ड से कहा कि आपको समय पर SC जाने से किसने रोका था. केरल HC द्वारा दिया गया स्टे दूसरे कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को कैसे छीन लेगा? बेहतर हलफनामा दाखिल करने की गुहार पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर हम बेहतर हलफनामे स्वीकार करना शुरू कर दें और 633 से अधिक दिनों की देरी को स्वीकार कर लें तो गरीब वादियों को इससे क्यों वंचित किया जाना चाहिए. केवल संपन्न वादियों की ही सुनवाई क्यों होनी चाहिए और आम वादी कहां जाएंगे.
- आप कैसे कहते हैं कि योग केंद्र एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है?
- हम 633 दिनों की देरी को कैसे स्वीकार कर सकते हैं?
- अगर हम ऐसा करेंगे तो हम एक मिसाल कायम करेंगे
- ऐसा लगेगा कि हम संपन्न वादियों को विशेष उपचार दे रहे हैं
- अब जबकि योग केंद्र का निर्माण हो चुका है, तो आप यह नहीं कह रहे हैं कि यह खतरनाक है
- अब आपकी चिंता यह सुनिश्चित करने की होनी चाहिए कि सभी पर्यावरणीय मापदंडों का पालन किया जाए
- सूर्य का प्रकाश, हरियाली, उन मुद्दों को उठाएं
- हर किसी को इसका पालन करना अनिवार्य है
SC में मद्रास HC के फैसले को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें मद्रास HC के 2020 के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें ईशा फाउंडेशन को “कोयंबटूर में निर्माण कार्य (2006-2014) अनिवार्य पर्यावरण मंजूरी के बिना” करने के लिए कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया गया था. 2006 से 2014 के बीच निर्माण के दौरान पर्यावरण विभाग से मंजूरी नहीं लिए जाने को लेकर जारी नोटिस को मद्रास हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के फैसले को तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
ईशा फाउंडेशन ने कोर्ट में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से पूछा कि आप कैसे कह सकते हैं कि योग केंद्र शैक्षणिक संस्थान नहीं है? अगर नियम के अनुसार नहीं चल रहे हैं, तो आप उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. इस आधार पर आपको उस निर्माण को ध्वस्त करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. ईशा फाउंडेशन के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि हमारे पास पर्यावरण की मंजूरी है. यहां केवल 20% निर्माण हुआ है, 80% ग्रीन एरिया है और यह भारत के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों में से एक है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अब तीन हफ्ते बाद सुनवाई करेगा.
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