Holi 2025: कब है रंगों का त्योहार होली, जानिए यहां तिथि और शुभ मुहूर्त
February 6, 2025 | by Deshvidesh News

Date and shubh muhurat of Holi 2025 : भारत को त्योहार और उत्सवों का देश कहा जाता है. यहां हर मौसम में खास त्योहार मनाए जाते हैं. सर्दी का मौसम खत्म हो गया है और बसंत के शुरू होते ही होली (When Is Holi) का पर्व दस्तक दे रहा है. रंगों का त्योहार होली सभी का प्रिय त्योहार है और लोग इसका बेसब्री से इंतजार करते है. होली के एक दिन पहले होलिका मनाई जाती है और अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है. इस त्योहार का धार्मिक के साथ-साथ सामाजिक महत्व भी है. एक ओर जहां इसके साथ बुराई की समाप्ति का प्रतीक होलिका दहन मनाई जाती है वहीं दूसरी ओर होली के दिन हर तरह के भेदभाव भूलकर लोग रंग गुलाल से खेलते हैं सभी से गिले शिकवे भूलकर गले मिलते हैं. हर साल होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को शुरू होता है और अगले दिन तक चलता है. फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन होता है अगले दिन रंग खेला जाता है. आइए जानते हैं इस वर्ष कब है होली (Date of Holi ) का त्योहार और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Shubh muhurat of Holi).
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इस साल कब है होली – Date of Holi 2025
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. इस बार 13 मार्च को गुरुवार को होलिका दहन होगा और 14 मार्च शुक्रवार को होली का त्योहार मनाया जाएगा.
होलिका दहन मुहूर्त – Shubh muhurat of Holi 2025
होलिका दहन होली से एक दिन पहले यानी 13 मार्च गुरुवार किया जाएगा. इस दिन होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट से 14 मार्च की मध्यरात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
होली के कई नाम – Name of Holi
होली पूरे देश में मनाया जाने वाला त्योहार है. हालांकि इसे अलग-अलग राज्यों में कई नामों से जाना जाता है. होली को फगुआ, धुलेंडी, धूलिवंदन और दोल नाम से भी जाना जाता है. मथुरा, वृंदावन सहित पूरे ब्रजमंडल में होली का अलग ही रंग देखने को मिलता है. बृज की होली देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं और इसे लठमार होली कहते हैं. पश्चिम बंगाल राज्य में होली का त्योहार दोल जात्रा या बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है. महाराष्ट्र में होली के त्योहार के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है. बिहार में होली को फगुआ कहा जाता है. मणिपुर में होली के त्योहार को याओसांग के नाम से जाना जाता है. केरल में होली को मंजल कुली कहते हैं, जिसका मतलब होता है हल्दी का स्नान. पंजाब में, होली के समय होला मोहल्ला मनाया जाता है. यह त्योहार सिख समुदाय के वीरता को दिखाता है.
होली से जुड़ी कहानी
होली के त्योहार का धार्मिक महत्व भी है और इसके साथ पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार, राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था और यह हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं था. राजा हिरण्यकश्यप के कहने पर उसकी बहन होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर गईं, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ लेकिन होलिका जलकर राख हो गई. इसके बाद से फाल्गुन माह की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होली का त्योहार मनाया जाने लगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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