वक्फ संशोधन बिल को JPC ने दी मंजूरी, 14 बदलाव, बोर्ड में 2 गैर-मुस्लिमों को भी मिलेगी जगह
January 27, 2025 | by Deshvidesh News

वक्फ बिल में बदलावों को संसद की संयुक्त समिति यानी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) ने मंजूरी दे दी है. JPC के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि फाइनल मीटिंग में सभी 44 संशोधनों पर चर्चा हुई. इनमें से NDA सांसद के 14 सुझावों को मंजूरी दे दी गई है. साथ ही वक्फ बोर्ड में 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों का नियम भी माना गया है. वोटिंग के दौरान विपक्ष के प्रस्ताव खारिज हो गए. वक्फ संपत्तियों को रेगुलराइज करने के लिए बने वक्फ एक्ट 1995 की मिस-मैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है. इसके संशोधन बिल को लेकर पहले बहुत हंगामा हुआ था, जिसके बाद ये बिल JPC को भेजा गया था. अब JPC वक्फ (संशोधन) बिल पर बजट सत्र में ही अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करेगी. संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा.
जगदंबिका पाल ने कहा, “44 संशोधनों पर चर्चा की गई. 6 महीने तक विस्तृत चर्चा के बाद हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे. यह हमारी अंतिम बैठक थी. इसलिए, बहुमत के आधार पर कमिटी ने 14 संशोधनों को स्वीकार किया. विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे. हमने हर संशोधन को आगे बढ़ाया. उसपर वोटिंग हुई, लेकिन उनके (सुझाए गए संशोधनों) के समर्थन में 10 वोट पड़े. इसके विरोध में 16 वोट पड़े और वो मंजूर नहीं किया गया.”
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बिल में किन बदलावों को मिली मंजूरी?
-इस बिल में पहले प्रावधान था कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में 2 गैर मुस्लिम सदस्य अनिवार्य होंगे. इसमें बदलाव किया गया है. अब पदेन सदस्यों को इससे अलग कर दिया गया है. यानी वक्फ परिषदें, चाहे राज्य स्तर पर हों या अखिल भारतीय स्तर पर हों… कम से कम 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल कर सकेंगे.
-कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं… इसका फैसला राज्य सरकार की ओर से नामित अधिकारी करेगा. मूल मसौदे में यह निर्णय जिला कलेक्टर पर छोड़ा गया था.
-एक और अन्य संशोधन के अनुसार कानून पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं होगा. शर्त ये है कि वक्फ संपत्ति रजिस्टर्ड हो यानी जो वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड है उनपर असर नही पड़ेगा. हालांकि, जो पहले से रजिस्टर्ड नहीं है उनके फैसले भविष्य में तय मानकों के अनुरूप होगा.
-जमीन दान करने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को यह दिखाना या प्रदर्शित करना होगा कि वह कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है और यह भी स्वीकार करना होगा कि ऐसी संपत्ति के समर्पण में कोई साजिश शामिल नहीं है.
बिल में कुल 14 में से 11 परिवर्तन सत्तारूढ़ BJP के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित किए गए थे, जिनमें लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या और अपराजिता सारंगी शामिल थे.

वक्फ संशोधन बिल पर क्या है विवाद?
वक्फ का मतलब होता है कि किसी भी चीज को अल्लाह के लिए दे देना, जिसके बाद उस चीज पर उस इंसान और उसके परिवार का हक नहीं होता है. इस वक्त करीब 10 लाख एकड़ जमीन वक्फ के नाम पर है. इसमें वो भी जमीन शामिल हैं, जिन्हें छोड़कर आजादी के वक्त मुसलमान पाकिस्तान चले गए थे. साथ ही नवाबों और राजाओं आदि द्वारा इस्लाम के लिए जमीन को वक्फ किया गया है. इन जमीनों पर लखनऊ का ऐशबाग ईदगाह, बड़ा इमामबाड़ा समेत कई बड़ी मस्जिदें, कब्रिस्तान आदि बने हुए हैं. मुस्लिम समुदाय के जिन लोगों की कोई संतान नहीं होती, वो लोग भी ज्यादातर अपनी जमीन को वक्फ के नाम कर जाते हैं. जिसके बाद उस जमीन पर मस्जिद, मदरसा या कब्रिस्तान आदि बन सके और वो इंसानों के काम आ सके.
रेलवे, आर्मी के बाद वक्फ की सर्वाधिक जमीन
वक्फ की जमीन पर स्कूल और अस्पताल भी बना सकते हैं, जिसमें हर कौम का इंसान अपना इलाज करा सकता है और पढ़ाई कर सकता है यानी वक्फ की जमीन से हर इंसान को फायदा पहुंच सकता है. भारत सरकार के अनुसार, देश में वक्फ की जमीन करीब 9.4 लाख एकड़ में है, जिसकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है. इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ की जमीन भारत में है. भारत में रेलवे और आर्मी के बाद तीसरे नंबर पर वक्फ की जमीन है, जिसे वक्फ बोर्ड संभालता है.
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केंद्र को वक्फ बोर्ड की मिली कितनी शिकायतें?
वक्फ बोर्ड को लेकर मंत्रालय ने डेटा जारी किया है, जिसमें कहा है कि अप्रैल 2022 से लेकर मार्च 2023 तक CPGRAMS (केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) में 566 शिकायतें वक्फ बोर्ड की मिली हैं, जिसमें से 194 शिकायतें अवैध रूप से वक्फ भूमि के अतिक्रमण और स्थानांतरण के संबंध में हैं और 93 शिकायतें मुतावल्ली या वक्फ बोर्ड सदस्यों के खिलाफ है.
मुतावल्ली वो शख्स होते हैं, जिन्हें वक्फ की संपत्ति की देखभाल के लिए अपाइंट किया जाता है. वहीं मंत्रालय ने ट्रिब्यूनल कोर्ट की कार्यप्रणाली का विश्लेषण किया और पाया कि ट्रिब्यूनल कोर्ट में में 40,951 मामले लंबित हैं, जिनमें से 9942 मामले मुस्लिम समुदाय द्वारा वक्फ प्रबंधित संस्थाओं के खिलाफ दायर किए गए हैं.
कब पेश हुआ था बिल?
संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था. विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था. वक्फ बिल संशोधन पर बनी 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी. संसद के शीतकालीन सत्र में JPC का कार्यकाल बढ़ाया गया था.
वक्फ संशोधित बिल को लेकर क्या विवाद है?
बीते दिनों संसद में एक नया विधेयक लाया गया, जो 1995 के वक्फ कानून की जगह लेगा. इसे लेकर विवाद हुआ. इसके बाद सरकार ने इस बिल को 8 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया. इससे पहले, लोकसभा में इसे केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया था. इस बिल को लेकर मुख्य तौर पर 6 विवाद हैं:-
1. वक्फ अधिनियम, 1995 का नामकरण : इस अधिनियम का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 रखा गया है, जिससे वक्फ बोर्डों और संपत्तियों के प्रबंधन और दक्षता में सुधार के साथ-साथ सशक्तिकरण और विकास के व्यापक उद्देश्य को दर्शाया जा सके.
2. वक्फ का गठन: इसमें कोई भी व्यक्ति जो इस्लाम धर्म में पिछले 5 साल से है, वो अपनी जमीन आदि वक्फ कर सकता है, लेकिन इसमें सबसे पहले वो खुद उस संपत्ति का मालिक हो और अगर कोई महिला उनके साथ है तो उनकी इजाजत होना भी बहुत जरूरी है.
3. सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मानना: विधेयक में कहा गया है कि जो भी सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में पहचानी जाएगी, वह ऐसा नहीं रहेगा. क्षेत्र का कलेक्टर अनिश्चितता की स्थिति में स्वामित्व का निर्धारण करेगा और राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. यदि इसे सरकारी संपत्ति माना गया, तो वह राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करेगा.
4. संपत्ति के वक्फ होने का निर्धारण करने का अधिकार: अधिनियम वक्फ बोर्ड को इस बात की जांच और निर्धारण करने का अधिकार देता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं. विधेयक इस प्रविधान को हटा देता है.
5. वक्फ का सर्वेक्षण: अधिनियम वक्फ का सर्वेक्षण करने के लिए एक सर्वे आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान करता है. विधेयक इसके बजाय कलेक्टरों को सर्वेक्षण करने का अधिकार देता है. लंबित सर्वेक्षण राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार होंगे.
6. केंद्रीय वक्फ परिषद: यह अधिनियम केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन करता है, जो केंद्रीय और राज्य सरकारों तथा वक्फ बोर्डों को सलाह देती है. वक्फ मामलों के मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं. अधिनियम में यह आवश्यक है कि सभी परिषद के सदस्य मुसलमान हों और दो सदस्य महिलाएं हों. विधेयक के अनुसार, दो सदस्यों को गैर-मुस्लिम होना आवश्यक है. परिषद में सांसद, पूर्व न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को अधिनियम के अनुसार नियुक्त किया जा सकता है, जिनका मुसलमान होना आवश्यक नहीं है.
वक्फ बोर्ड में कौन होगा सदस्य?
– मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि,
– इस्लामी कानून के विद्वान, तथा
– वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष
– मुस्लिम सदस्यों में से दो महिलाएं होनी चाहिए.
वक्फ बोर्ड: अधिनियम में राज्य स्तर पर मुस्लिम: (i) सांसद, (ii) विधायक और एमएलसी, और (iii) बार काउंसिल के सदस्यों से वक्फ बोर्ड में प्रत्येक से दो सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था है. नया विधेयक इसके बजाय राज्य सरकार को उपरोक्त पृष्ठभूमि से एक व्यक्ति को बोर्ड में नामित करने का अधिकार देता है, वे मुसलमान नहीं भी हो सकते हैं. यह भी जोड़ता है कि बोर्ड में: (i) दो गैर-मुस्लिम सदस्य होने चाहिए, और (ii) शिया, सुन्नी, और मुस्लिम के पिछड़े वर्गों में से कम से कम एक सदस्य होना चाहिए. इसमें यह भी शामिल है कि यदि राज्य में बोहरा और आगाखानी समुदायों के पास वक्फ है, तो एक-एक सदस्य का होना अनिवार्य है. अधिनियम के अनुसार कम से कम दो महिला सदस्य होनी चाहिए. विधेयक में कहा गया है कि दो मुस्लिम सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.
JPC में लोकसभा से 21 सदस्य
मौजूदा समय में संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC में 21 सदस्य हैं. इनमें 7 सदस्य BJP से हैं. जगदंबिका पाल (BJP) अध्यक्ष हैं. इसके साथ ही निशिकांत दुबे (BJP), तेजस्वी सूर्या (BJP), अपराजिता सारंगी (BJP), संजय जायसवाल (BJP), दिलीप सैकिया (BJP), अभिजीत गंगोपाध्याय (BJP), डीके अरुणा (YSRCP), गौरव गोगोई (कांग्रेस), इमरान मसूद (कांग्रेस), मोहम्मद जावेद (कांग्रेस), मौलाना मोहिबुल्ला (सपा), कल्याण बनर्जी (TMC), ए राजा (DMK),एलएस देवरायलु (TDP),दिनेश्वर कामत (JDU),अरविंत सावंत (शिवसेना, उद्धव गुट), सुरेश गोपीनाथ (NCP, शरद पवार), नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना, शिंदे गुट), अरुण भारती (LJP-R) और असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)JPC के सदस्य हैं.
JPC में राज्यसभा से 10 सदस्य
इसके अलावा JPC में राज्यसभा के 7 सांसद भी शामिल हैं. बृज लाल (BJP), डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी (BJP), गुलाम अली (BJP), डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (BJP), सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस), मोहम्मद नदीम उल हक (TMC), वी विजयसाई रेड्डी (YSRCP), एम मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK), संजय सिंह (AAP) इसके सदस्य हैं. एक सदस्य डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े को राष्ट्रपति ने मनोनीत किया है.
JPC में हंगामे के बाद निलंबित हुए थे 10 मेंबर्स
JPC की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया था. उन्होंने दावा किया कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. जिसके बाद कमिटी ने TMC सांसद कल्याण बनर्जी-ओवैसी समेत 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया था.
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क्या बोले BJP सांसद?
BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि गरीब मुसलमान को हक दिलाने, कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक की राजनीति के कारण हिन्दू समाज को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साज़िश को बेनकाब कर आज संसद की संयुक्त समिति ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक पारित किया. अब यह क़ानून बनेगा.
विपक्षी सांसदों ने क्या कहा?
-TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “बैठकों का यह दौर हास्यास्पद था. हमारी बात नहीं सुनी गई. पाल ने तानाशाही तरीके से काम किया है.”
-DMK ने इस बिल के पारित होने के बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कही है. JPC के सदस्य डीएमके सांसद ए राजा ने दावा किया कि यह प्रस्तावित कानून असंवैधानिक होगा और उनकी पार्टी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी.
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