IIT बाबा को आखिर जूना अखाड़े से क्यों निकाला गया…पढ़िए क्या है पीछे की पूरी कहानी
January 19, 2025 | by Deshvidesh News

महाकुंभ के दौरान एकाएक चर्चाओं में आए आईआईटियन बाबा को जूना अखाड़ा ने निष्कासित कर दिया है. IIT बाबा अभय सिंह ने IIT बॉम्बे से पढ़ाई की थी. बीते दिनों NDTV इंडिया से अभय सिंह ने बातों बातों में अपने संन्यास के पीछे का वह दर्द बताया था, जिसमें हर मां-बाप के लिए एक सीख छिपी है. एक होनहार बच्चे का दिल मां-बाप के रोज के झगड़े से कैसे दुनिया से उचट गया, अभय की जिंदगी की यह कहानी है.

आखिर क्यों किया गया निष्कासित
बताया जा रहा है कि IIT बाबा के नाम से फेमस हुए अभय सिंह को जूना अखाड़ा ने इसलिए निष्कासित कर दिया है क्योंकि उनपर आरोप है कि उन्होंने गुरु के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया था. निष्कासित किए जाने के बाद बाबा को अखाड़ा शिविर व उसके आस-पास आने पर रोक लगा दी गई है. इस पूरे मामले को लेकर अखाड़े का कहना है कि संन्यास में अनुशासन और गुरु के प्रति समपर्ण महत्वपूर्ण है. इसका पालन न करने वाला संन्यासी नहीं बन सकता है.
कौन हैं इंजीनियर बाबा?
इंजीनियर बाबा का असली नाम अभय सिंह है. उनके इंस्टाग्राम हैंडल के मुताबिक, वह मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. अभय सिंह ने कई मीडिया इंटरव्यू में दावा किया है कि उन्होंने IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग की है. उनका सब्जेक्ट एयरोस्पेस था. लेकिन, कई लोग इसे सच नहीं मानते. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इंजीनियर बाबा को फेक कहा है.

NDTV से क्या कुछ बोले थे IIT बाबा
कुछ दिन पहले ही NDTV ने उनसे बात की थी. उस दौरान उन्होंने कहा था कि मेरे माता-पिता झगड़ते थे, मैं ट्रॉमा में था. अभय से जब सवाल किया गया कि क्या उनका घर बसाने का मन नहीं करता है, तो वह थोड़ा खुलते हुए अपनी मेंटल हेल्थ की समस्या के बारे में बताने लगते हैं. अभय ने बताया कि बचपन में कैसे वह घरेलू हिंसा के इतने भयानक दौर से गुजरे हैं कि इसका असर उनके जीवन पर पड़ा. अभय ने बताया था कि मैंने ‘वही सवाल’ करके फिल्म बनाई. बचपन में घरेलू हिंसा की सिचुएशन थी.’ अभय कहते हैं कि मां-बाप को यह यह सोचना चाहिए कि घरेलू हिंसा का बच्चे पर क्या असर पड़ता है. अभय के मुताबिक उसके साथ तो हिंसा नहीं हुई, लेकिन मां-बाप आपस में झगड़ते थे.
‘मैं स्कूल से आने पर सोता और रात में पढ़ता था’
इसके बाद भी आईआईटी कैसे निकाल लिया? इस सवाल पर अभय अपने स्कूली दिनों को याद करते हैं. वह कहते हैं, ‘मैंने साधना की. मैं सोचता था कि मोहमाया में न ही पड़ूं. मैं स्कूल से आने के बाद दिन में सो जाता था. उसके बाद रात 12 बजे उठता था. जब कोई लड़ाई करने वाला नहीं होता था तो मैं पढ़ता. लेकिन मेरे जीवन में यह दर्द इकट्ठा होता चला गया. एक बच्चे के तौर पर आप हेल्पलेस हो जाते हो. आपको पता ही नहीं होता है कि कैसे रिएक्ट किया जाए.तब एक बच्चे की न तो समझ डिवेलप हुई होती है. उसे कुछ समझ नहीं आता कि कैसे रिएक्ट किया जाए’
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