हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है : अश्विन की टिप्पणी पर अन्नामलाई का समर्थन
January 11, 2025 | by Deshvidesh News

क्रिकेटर आर. अश्विन द्वारा हिंदी भाषा को लेकर की गई टिप्पणी पर सियासी बहस तेज हो गई है. अश्विन ने कहा था कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा नहीं, बल्कि केवल एक आधिकारिक भाषा है. अब इस पर तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष अन्नामलाई ने उनका समर्थन किया है और कहा है कि हिंदी एक संपर्क भाषा है, जो सुविधा की भाषा के रूप में काम करती है.
चेन्नई के पास एक निजी कॉलेज में क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन दीक्षांत समारोह में भाग ले रहे थे. उन्होंने छात्रों से पूछा कि वे किस भाषा में उनका भाषण सुनना चाहेंगे. जब अश्विन ने अंग्रेजी का नाम लिया, तो छात्रों ने तालियां बजाईं. फिर उन्होंने तमिल भाषा का उल्लेख किया, जिस पर छात्रों ने और भी जोर से तालियां बजाईं. लेकिन जब अश्विन ने हिंदी का नाम लिया, तो सभागार में सन्नाटा छा गया, कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. इस पर अश्विन ने तमिल में टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि मुझे यह कहना चाहिए कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है, यह केवल एक आधिकारिक भाषा है.
इस घटना के बाद, अश्विन की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और इस पर काफी चर्चा हो रही है. कुछ लोगों ने उनके बयान का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसकी आलोचना की है.
रविचंद्रन अश्विन की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए अन्नामलाई ने कहा कि हिंदी एक संपर्क भाषा है. उन्होंने कहा कि यह सच है. अन्नामलाई ने कहा कि यह सिर्फ एक संपर्क भाषा है, एक सुविधा की भाषा है. मैं या कोई और यह नहीं कह रहा है कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है और अश्विन जी सही कह रहे हैं.
तमिलनाडु में ‘हिंदी थोपने’ को लेकर एक संवेदनशील मुद्दा रहा है और पिछले कुछ वर्षों में राज्य में कई विरोध प्रदर्शन और अभियान आयोजित किए गए हैं. पिछले साल अक्टूबर में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह को हिंदी माह समारोह के साथ जोड़ने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों में इस तरह के हिंदी-आधारित कार्यक्रम मनाने से बचा जाना चाहिए.
स्टालिन ने पत्र लिखकर कहा था कि जैसा कि आप जानते हैं. भारत का संविधान किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं देता है. हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग केवल आधिकारिक उद्देश्यों जैसे कानून बनाने, न्यायपालिका और केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच संचार के लिए किया जाता है. ऐसी परिस्थितियों में भारत जैसे बहुभाषी देश में हिंदी को विशेष स्थान देना और गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी माह मनाना अन्य भाषाओं को नीचा दिखाने का प्रयास माना जा सकता है.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
बिग बॉस 18 से शिल्पा शिरोडकर का शॉकिंग एविक्शन, तो क्या अब ये एक्ट्रेस पहुंचेगी टॉप 3 में
January 15, 2025 | by Deshvidesh News
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की हालत नाजुक, लखनऊ रेफर
February 3, 2025 | by Deshvidesh News
Delhi Election Results 2025: मटिया महल सीट से AAP के मोहम्मद इकबाल 11,231 वोटों से आगे, BJP-कांग्रेस को मिल रही कड़ी टक्कर
February 8, 2025 | by Deshvidesh News