सुप्रीम सुनवाई LIVE: रिकॉर्ड इतना खराब है… AIMIM उम्मीदवार ताहिर को प्रचार के लिए मिलेगी जमानत? जानें कोर्ट में चल रहीं क्या दलीलें
January 22, 2025 | by Deshvidesh News

दिल्ली विधानसभा में चुनाव (Delhi Assembly Election) प्रचार के लिए AIMIM उम्मीदवार और दिल्ली दंगों में आरोपी ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई जारी है. इस मामले की सुनवाई के दौरान ताहिर के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि ताहिर को पिछले 4 सालों से अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रखा गया है. ताहिर मार्च 2020 से लगातार हिरासत में है. जिस पर जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि एक हत्या का मामला भी है, जिसमें एक सरकारी अधिकारी मारा गया था..यह सिर्फ दंगे का ही नहीं.
कोर्ट की सुनवाई से जुड़ी बड़ी बातें
- जस्टिस मिथल ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है, जबकि ताहिर का पिछला रिकॉर्ड इतना खराब है.
- ताहिर के वकील ने कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत नहीं मांग रहा.. यह अपने लिए प्रचार करने के लिए मांग रहा है और बीमारी का बहाना नहीं बना रहा है.
- दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया.. कहा ये याचिका चुनाव को आधार बनाकर जेल से बाहर आने का नाटक है.
- जस्टिस मिथल ने कहा कि अगर उसे सभी मामलों में जमानत नहीं मिलती है तो इस अंतरिम जमानत का मतलब यह नहीं है कि वो बाहर आ जाएगा. पहले ट्रायल कोर्ट में जाइए और उन दो मामलों में जमानत लें और फिर यहां आएं.
- जबकि जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ट्रायल कोर्ट के फैसले का इंतजार क्यों करना चाहिए. हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि उन्हें जमानत नहीं मिलेगी.
- दिल्ली पुलिस ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है. यह न तो संवैधानिक है और न ही मौलिक अधिकार के दायरे मे आता है.
- जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि लोकतंत्र में हमें लगता है कि लोग पार्टी के लिए वोट करते हैं, लेकिन नहीं.. लोग उम्मीदवारों के लिए भी वोट करते हैं. लोगों को व्यक्ति को चुनने का अधिकार है, पार्टी को नहीं. इसके लिए एक व्यक्ति का होना ज़रूरी है. लोग जेल के अंदर से भी चुनाव जीते हैं, लेकिन हमें देखना होगा कि यह व्यक्ति बाहर निकल सकता है या नहीं.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने क्या क्या कहा था
- पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है.
- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस से ताहिर हुसैन की याचिका पर जवाब देने को कहा था.
- जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने दिल्ली पुलिस के वकील से कहा था कि वे तैयारी करके आएं और अगली सुनवाई पर मामले में बहस करें.
- कोर्ट ने कहा था मान लीजिए, हम इस बात से सहमत हैं कि ताहिर को नियमित जमानत मिल सकती है, तो फिर हम कम से कम अंतरिम जमानत क्यों न दे दें?
- कोर्ट ने पूछा था कि यदि हम इस स्तर पर संतुष्ट हैं कि कुछ मामला बनता है, तो अंतरिम जमानत क्यों नहीं? वह 4 साल 10 महीने से जेल में हैं. वह केवल भड़काने वाला है और भड़काने का यही आरोप उन नौ मामलों में है, जिनमें उसे जमानत दी गई है. आप इस पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते.
- हुसैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि पूर्व पार्षद 4 साल 10 महीने से हिरासत में हैं और 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान भीड़ को उकसाना उनके खिलाफ एकमात्र आरोप है.
- ताहिर हुसैन पर पर 11 मामलों में प्राथमिकी दर्ज है और उन्हें नौ मामलों में जमानत दी गई है. ताहिर को 16 मार्च, 2020 को गिरफ्तार किया गया था.
- हुसैन की हिरासत के तीन साल बाद आरोप तय किए गए और अभियोजन पक्ष ने 115 गवाह पेश किए, जिनमें से केवल 22 की ही जांच की गई।
- दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 जनवरी को हुसैन को एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए हिरासत पैरोल प्रदान की थी.
- -हाई कोर्ट ने हालांकि चुनाव लड़ने के लिये 14 जनवरी से नौ फरवरी तक के अंतरिम जमानत के हुसैन के अनुरोध को खारिज कर दिया था.
- उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली दंगों के आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका को लेकर सोमवार को टिप्पणी की कि ऐसे सभी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए तथा अर्जी पर सुनवाई 21 जनवरी तक के लिए टाल दी थी.
हुसैन ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है. जज पंकज मिथल और जज अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने समय की कमी के कारण सुनवाई स्थगित कर दी थी, लेकिन जैसे ही पीठ उठने लगी, हुसैन के वकील ने मामले का उल्लेख किया और 21 जनवरी को सुनवाई का अनुरोध किया था पीठ ने जवाब में टिप्पणी की, “जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है, ऐसे सभी व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए.” उनके वकील ने कहा कि हुसैन का नामांकन स्वीकार कर लिया गया है.
नामांकन के मिली थी पैरोल
दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 जनवरी को हुसैन को एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए हिरासत में पैरोल प्रदान की थी. हालांकि, अदालत ने चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से नौ फरवरी तक अंतरिम जमानत की उनकी याचिका को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि हिंसा में मुख्य आरोपी होने की वजह से हुसैन के खिलाफ आरोपों की गंभीरता की अनदेखी नहीं की जा सकती, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हो गई.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि दंगों के सिलसिले में उसके खिलाफ लगभग 11 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं और वह संबंधित धन शोधन मामले और यूएपीए मामले में हिरासत में हैं. फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 53 लोग मारे गए और कई घायल हो गए.
मुस्लिम मतों का क्या रहा है ट्रेंड
साल 2013 में कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम बहुल 11 सीटों में से 6 सीट पर जीत हासिल हुई थी. 2015 से मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से पूरी तरह फिसल गया. जैसा कहा जाता है कि आंकड़ें उसी ओर इशारे करते है कि मुस्लिम समुदाय उसी को वोट करता है जो बीजेपी को हरा सकता है. 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 9 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली.
दिल्ली दंगों के कारण क्या बदलेंगे समीकरण?
साल 2020 में हुए दंगे और आप नेताओं के बयानों से मुस्लिम समुदाय आप पर कितना विश्वास कर पाएगा, यह देखना होगा. 2022 में हुए MCD के चुनावों में कांग्रेस 9 सीट जीत पाई. जिसमें से 7 मुस्लिम प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. अगर बात MCD में मुस्लिम बहुल वार्डो की तो, कुल 23 ऐसी सीटों में से आप 9, बीजेपी, 8 और कांग्रेस 5 और 1 पर निर्दलीय को जीत मिली.
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