श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर में मैकेनिकल हाथी की एंट्री, जानवरों की सुरक्षा के लिए PETA इंडिया और अनुष्का शंकर का बड़ा कदम
February 10, 2025 | by Deshvidesh News

केरल (Kerala) के त्रिशूर (Thrissu) जिले में स्थित कोम्बारा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर (Kombara Sreekrishna Swami temple) ने एक अनोखा कदम उठाया है. इस मंदिर में अब जीवित हाथियों की जगह कोम्बारा कन्नन (Kombara Kannan), एक यथार्थवादी मैकेनिकल हाथी (mechanical elephant), को शामिल किया गया है. PETA इंडिया और ग्रैमी नॉमिनेटेड सितार वादक अनुष्का शंकर (Anoushka Shankar) द्वारा दान किए गए इस कृत्रिम हाथी का उद्देश्य मंदिरों में पशु क्रूरता को रोकना और पारंपरिक उत्सवों (temple rituals) को ज्यादा मानवीय और आधुनिक बनाना है.
PETA इंडिया का पशु संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
कोम्बारा (कोंबरा) कन्नन नामक यह मैकेनिकल हाथी तीन मीटर ऊंचा और 800 किलोग्राम वजनी है. इसे मंदिर में उन जीवित हाथियों के विकल्प के रूप में लाया गया है, जिन्हें अक्सर कठोर परिस्थितियों में रखा जाता है, जंजीरों से बांधा जाता है और पारंपरिक अनुष्ठानों में बलपूर्वक इस्तेमाल किया जाता है. PETA इंडिया के अनुसार, “यह कदम हाथियों को दर्द, कैद और अमानवीय व्यवहार से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.”
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कृत्रिम हाथी की विशेषताएं- असली जैसा अहसास
कोम्बारा (कोंबरा) कन्नन को रबर, फाइबर, मेटल, फोम और स्टील से बनाया गया है, जिससे यह असली हाथी जैसा दिखता है. इसकी विशेषताएं इस प्रकार हैं: सिर, कान और आंखों को हिलाने में सक्षम, पूंछ हिलाने और सूंड उठाने की क्षमता, पानी छिड़कने की विशेषता, पहियों पर चलने वाला मैकेनिज्म, जिससे यह मंदिर समारोहों और जुलूसों में भाग ले सकता है.
मंदिर समिति की प्रतिक्रिया
मंदिर के अध्यक्ष रवि नंबूथिरी का कहना है कि, “हम कोम्बारा कन्नन का स्वागत करके बेहद खुश हैं. हमें हमेशा से लगता था कि त्योहारों में असली हाथियों के साथ दुर्व्यवहार होता है. PETA इंडिया द्वारा दिया गया यह मैकेनिकल हाथी मंदिर परंपराओं को बनाए रखते हुए जानवरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है.”
परंपरा और करुणा का अनूठा संगम
कोम्बारा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर के इस फैसले को व्यापक समर्थन मिल रहा है. यह केरल का पांचवां मंदिर है जिसने PETA इंडिया से मैकेनिकल हाथी स्वीकार किया है और त्रिशूर जिले का दूसरा मंदिर है, जहां इस पहल को अपनाया गया है. भारत में कई मंदिरों में अभी भी सजीव हाथियों का उपयोग किया जाता है, लेकिन PETA इंडिया का यह प्रयास एक सकारात्मक बदला की ओर इशारा करता है.
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