शहाबुद्दीन से लेकर सोनू-मोनू तक.. बिहार के अंडरवर्ल्ड की पूरी कहानी
January 23, 2025 | by Deshvidesh News

बिहार का बाहुबलियों का एक पुराना और गहरा रिश्ता रहा है, जिनका प्रभाव राज्य की राजनीति पर भी साफ देखा गया है. इन बाहुबलियों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को अपनी ताकत और प्रभाव से प्रभावित किया.
अपराध की दुनिया को छोड़कर सांसद और विधायक बनने वाले ये बाहुबलि सत्ता में आने और उसे गिराने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद बाहुबलियों की सियासत पर जरूर ब्रेक लगा, लेकिन बदलते हालात में वे फिर से राजनीतिक मैदान में सक्रिय हो गए हैं. अब इन बाहुबलियों का प्रभाव बिहार की सियासत में एक बार फिर महसूस किया जा रहा है.
अब अनंत सिंह पर जिसने गोली चलाई है उसकी पहचान सोनू-मोनू के रूप में की गई है. कहा जा रहा है कि सोनू-मोनू और अनंत सिंह के गुट के बीच काफी पहले से ही दुश्मनी रही है. ऐसे में एक बार फिर से बिहार में बाहुबलियों की चर्चा हो रही है. आज हम आपको हम इन बाहुबलियों के बारे में बताएंगे.
1. आनंद मोहन
बात करें सबसे पहले आनंद मोहन की, जिनकी वजह से नीतीश सरकार ने कारा नियमों में बदलाव कर दिया. एक समय था जब कोसी इलाके में आनंद मोहन का दबदबा था और उनकी सीधी टक्कर तत्कालीन पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव से थी. आनंद मोहन को डीएम जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया और उन्होंने एक लंबा समय जेल में बिताया. उस दौर में आनंद मोहन को बिहार के राजपूतों का नेता माना जाता था और वह अगड़ी जातियों का नेतृत्व करते थे. इसके अलावा उन्होंने पिछड़ी जातियों के अधिकारों की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
3. अनंत सिंह
अनंत सिंह, उर्फ छोटे सरकार… एक समय के बाहुबली दिलीप सिंह के छोटे भाई हैं. दिलीप सिंह की मृत्यु के बाद अनंत सिंह ने उनकी गद्दी संभाली और बाद में मोकामा से विधायक बने. अनंत सिंह को एके-47 कांड में सजा हुई, जिसके बाद उनकी विधायकी चली गई. उनकी खाली की गई सीट से उनकी पत्नी विधायक बनीं, हालांकि, वह राजद के टिकट पर जीती थीं. लेकिन बाद में उन्होंने अपना समर्थन एनडीए को दे दिया. एक समय में अनंत सिंह नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी माने जाते थे और आज भी उनके रिश्ते जदयू के बड़े नेताओं के साथ मधुर बने हुए हैं.
4. सोनू-मोनू गैंग के बारे में
सोनू-मोनू 2009 से ही अपराध की दुनिया में सक्रिय हैं.अपराध की दुनिया में एंट्री से पहले सोनू-मोनू मोकामा और आसपास के इलाकों से गुजरने वाली ट्रेनों में लूटपाट किया करते थे. इसके बाद उन्होंने अपने क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया. कहा जाता है कि धीरे-धीरे ये अपने गांव से निकलकर यूपी में मुख्तार अंसारी गैंग तक पहुंचे. बताया जाता है कि सोनू-मोनू ने अनंत सिंह के इलाके में अपनी धाक जमाने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से संपर्क किया था.
5. सूरजभान सिंह
सूरजभान सिंह बिहार के प्रमुख बाहुबलियों में से एक रहे हैं. एक समय था जब बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के इलाके में रेलवे और स्क्रैप के टेंडरों में उनकी मजबूत पकड़ थी और उन्होंने झारखंड के कोयला व्यवसाय में भी अपनी हिस्सेदारी बना रखी थी. सूरजभान सिंह विधायक और फिर सांसद बने. अब वह अपने कारोबारी मामलों पर ध्यान दे रहे हैं और अपनी राजनीतिक विरासत अपनी पत्नी और भाई को सौंप चुके हैं. वर्तमान में सूरजभान सिंह एक बैकस्टेज पॉलिटिशियन के रूप में सक्रिय हैं.
6. सुनील पाण्डेय
रोहतास के सुनील पाण्डेय… जो आज बिहार के बड़े बालू व्यवसायियों में से एक माने जाते हैं. वे कई हत्याकांडों के आरोपी रहे हैं और व्यापार में भी उनका खासा दबदबा रहा है. उनका प्रभाव क्षेत्र भोजपुर, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद का इलाका रहा है. उन्होंने पीरो से पहली बार विधायक के तौर पर राजनीति में कदम रखा और आज भी राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हैं. अब उनकी राजनीतिक विरासत उनके बेटे ने संभाल ली है, जो वर्तमान में विधायक बने हैं.
7. पप्पू यादव
पप्पू यादव, जो 1990 के दशक में “रॉबिनहुड” के रूप में चर्चित हुए. मूलतः मधेपुरा के रहने वाले हैं. वे खासतौर पर आनंद मोहन के साथ अपने विवाद के कारण चर्चा में आए. जहां आनंद मोहन अगड़ी जातियों की राजनीति करते थे, वहीं पप्पू यादव पिछड़ी जातियों का नेतृत्व करते थे. एक समय था जब दोनों के समर्थकों के बीच गैंगवार आम बात हो गई थी. पप्पू यादव पर सीपीआई के विधायक अजित सरकार की हत्या का आरोप लगा था, जिसके लिए उन्हें उम्रभर की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. वर्तमान में पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद हैं.
8. प्रभुनाथ सिंह
प्रभुनाथ सिंह, जो एक समय में लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी रहे, छपरा, सिवानगंज, सिवान और गोपालगंज में खासा दबदबा रखते थे. मूल रूप से छपरा के रहने वाले प्रभुनाथ सिंह को यह माना जाता है कि उन्होंने छपरा की राजनीति की दिशा और दशा तय की. 1990 में विधायक बने और नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव दोनों के साथ करीबी तौर पर काम किया. बाद में उन्हें पूर्व विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में सजा हुई और वर्तमान में वह हजारीबाग जेल में बंद हैं.
9. काली पांडेय
काली पांडेय, जो मूलत गोपालगंज के रहने वाले है. उन्हें बाहुबलियों का गुरु माना जाता था. व्यवसाय और राजनीति दोनों में उनकी मजबूत पकड़ थी. 1984 में काली पांडेय ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और उस समय वे देश में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले सांसद बने. काली पांडेय पर कई गंभीर आरोप भी लगे थे, जिनमें उन्हें जेल जाना पड़ा.
10 राजन तिवारी
राजन तिवारी, जो एक समय में सूरजभान सिंह के करीबी सहयोगी रहे. उनका कारोबार रेलवे और स्क्रैप के धंधे में फैला हुआ था. उनका प्रभाव क्षेत्र केवल बिहार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उत्तर प्रदेश और नेपाल में भी था. 2005 में उन पर किडनैपिंग का आरोप लगा और वर्तमान में वह यूपी के फर्रुखाबाद जेल में बंद हैं. उनकी राजनीतिक विरासत अब उनके भाई राजू तिवारी संभाल रहे हैं, जो चिराग पासवान की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं.
11. रमा सिंह
बिहार के वैशाली के रमा सिंह इस इलाके के सबसे बड़े बाहुबलियों में माने जाते थे. वह कई बार महनार सीट से विधायक बने. 2014 में मोदी की लहर में भी उन्होंने आरजेडी के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लोकसभा चुनाव में हराया था. रमा सिंह पर अपहरण के कई मामले दर्ज रहे हैं और हाल ही में वह छत्तीसगढ़ के एक बड़े कारोबारी के अपहरण कांड में जेल की सजा काटकर बाहर आए हैं.
12. मोहम्मद शहाबुद्दीन
मोहम्मद शहाबुद्दीन बिहार के बाहुबलियों में सबसे बड़े नामों में से एक थे. सिवान के इस बाहुबली का इस पूरे इलाके में इतना दबदबा था कि उनके बिना कोई कारोबार नहीं होता था, न ही कोई ज़मीन की खरीद-फरोख्त, और न ही कोई राजनीति में कदम रखता था. शहाबुद्दीन अपने समय में लालू यादव के काफी करीबी और भरोसेमंद सहयोगी थे. हाल के दिनों में उनकी पत्नी ने सिवान लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. आरजेडी से उनके रिश्ते अब थोड़े खट्टे हो गए हैं. लेकिन अब उनके बेटे ओसामा उन रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. शहाबुद्दीन का निधन दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में कोरोना संक्रमण के कारण हुआ था.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
11 साल 86 विदेश यात्राएं… कब कहां-कहां गए,’मिशन मोदी’की पूरी टाइमलाइन देखिए
February 10, 2025 | by Deshvidesh News
अमेरिकी नागरिकता के लिए ट्रंप का एक्साइटिंग ऑफर, 44 करोड़ रुपए चुकाएं और ‘गोल्ड कार्ड’ पाएं
February 26, 2025 | by Deshvidesh News
Republic Day Parade 2025 : गणतंत्र दिवस पर क्यों दी जाती है 21 तोपों की सलामी? कब से शुरू हुई ये परंंपरा जानें
January 26, 2025 | by Deshvidesh News