
रूस (Russia), चीन (China) और जापान (Japan) की तरह घटती जन्म दर की चुनौती से निपटने के लिए नई योजनाओं को लागू कर रहा है. इस दिशा में, रूस के एक क्षेत्र ने 25 साल से कम उम्र की छात्राओं को स्वस्थ बच्चे के जन्म पर 1,00,000 रूबल (लगभग 81,000 रुपये) की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है. यह योजना खासतौर पर करेलिया क्षेत्र में लागू की गई है, जहां महिला छात्राओं को परिवार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
योजना के लिए पात्रता शर्तें
इस प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए महिला छात्रों को कुछ शर्तों का पालन करना होगा.
- वे स्थानीय विश्वविद्यालय या कॉलेज में पूर्णकालिक छात्रा होनी चाहिए.
- उनकी आयु 25 साल से कम होनी चाहिए.
- वे करेलिया क्षेत्र की निवासी होनी चाहिए.

यह स्पष्ट किया गया है कि यह राशि केवल स्वस्थ बच्चे के जन्म पर ही दी जाएगी. यदि बच्चा मृत पैदा होता है तो यह प्रोत्साहन राशि नहीं मिलेगी. हालांकि, योजना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यदि बच्चे का जन्म किसी दिव्यागंता के साथ होता है या अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) के कारण बच्चा मर जाता है, तो क्या इस राशि को वापस लिया जाएगा.
जन्म दर में ऐतिहासिक गिरावट
रूस में 2024 की पहली छमाही में केवल 5,99,600 बच्चों का जन्म हुआ, जो पिछले 25 वर्षों में सबसे कम है. 2023 की समान अवधि की तुलना में यह संख्या 16,000 कम है. जुलाई 2024 में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने इस स्थिति को “राष्ट्र के भविष्य के लिए विनाशकारी” बताया.
अन्य क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रयास
रूस के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की योजनाएं लागू की जा रही हैं, जैसे कि टॉम्स्क शहर में भी महिलाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, रूस के कम से कम 11 क्षेत्रीय सरकारें इस तरह की वित्तीय योजनाएं चला रही हैं. इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर पर मातृत्व भुगतान की राशि भी बढ़ाई गई है. 2025 से पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को 6,77,000 रूबल (लगभग ₹5.5 लाख) मिलेंगे, जो 2024 के 6,30,400 रूबल से अधिक है. दूसरी बार मां बनने पर यह राशि 8,94,000 रूबल (लगभग ₹7.2 लाख) होगी.
जनसंख्या संकट के कारण और आलोचना
रूस में घटती जन्म दर, उच्च मृत्यु दर और बड़े पैमाने पर पलायन ने जनसंख्या संकट को गंभीर बना दिया है. यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी मौतें और नागरिकों के विदेश पलायन ने स्थिति को और खराब कर दिया है. हालांकि, सरकार के इन प्रयासों को आलोचना भी झेलनी पड़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये योजनाएं केवल तात्कालिक समाधान हैं और जनसंख्या संकट के मूलभूत कारणों को संबोधित करने में विफल रही हैं.
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