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राहुल गांधी पर बरसे केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूछा-क्या इतिहास को सामने रखना गुनाह है? 

February 6, 2025 | by Deshvidesh News

राहुल गांधी पर बरसे केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूछा-क्या इतिहास को सामने रखना गुनाह है?

Dharmendra Pradhan On Rahul Gandhi: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जमकर राहुल गांधी पर बरसे हैं. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान पर कहा, “कांग्रेस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष को भारत के इतिहास, भाषा, संवैधानिक व्यवस्था के बारे में कोई समझ या सम्मान नहीं है…क्या वे जानते हैं कि भारत की शिक्षा नीति में ही भारत की भाषाओं को महत्व दिया गया है? भारत में हमने 121 स्थानीय भाषाओं की प्राइमरी बनाई है. भारतीय भाषा में किताबें बनाने की भी व्यवस्था की गई है. अनेक स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग, मेडिकल और कानून की पढ़ाई के लिए पुस्तकें बनाने की शुरूआत की गई है. मैं नेता प्रतिपक्ष की नामसमझी पर चिंता प्रकट कर रहा हूं.”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सवाल किया, “क्या नेता प्रतिपक्ष ने कभी उनके तथाकथित गठबंधन के मित्रों को लेकर प्रधानमंत्री संग्रहालय देख कर आए हैं? उनके समय के इतिहास और तथ्य आज स्थापित हैं. क्या इतिहास को सामने रखना गुनाह है? बार-बार चुनाव में हारने के बाद आपके(विपक्ष) पास कोई मुद्दे नहीं हैं इसलिए आप जनता को गुमराह करना चाहते हैं. इस मामले में देश आपके साथ नहीं है. क्या इतिहास उनके घर और परिवार तक सीमित होना चाहिए”

इसके अलावा, धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर पोस्ट कर भी राहुल गांधी को लिखा है, “यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है कि कैसे विपक्ष के नेता समेत कुछ राजनीतिक नेता अपने पुराने राजनीतिक नैरेटिव को बनाए रखने के लिए प्रोग्रेसिव एजुकेशनेल रिफॉर्म्स को काल्पनिक खतरों में बदल देते हैं. यूजीसी के मसौदा नियमों का उद्देश्य इसे व्यापक बनाना है, न कि उन्हें सीमित करना. वे अधिक आवाजों को शामिल करना चाहते हैं, उन्हें चुप कराना नहीं. वे संस्थागत स्वायत्तता और हमारी भाषाई विविधता को कायम रखते हैं. वे हमारे शैक्षणिक संस्थानों को मजबूत करते हैं, कमजोर नहीं. लेकिन शायद ये तथ्य उन लोगों के लिए बहुत असुविधाजनक हैं जो वास्तविकता पर बयानबाजी को प्राथमिकता देते हैं. सिर्फ विरोध के लिए किसी चीज का विरोध करना फैशनेबल हो सकता है, यह एक अच्छा राजनीतिक दिखावा हो सकता है, लेकिन निश्चित रूप से क्षुद्र राजनीति हो सकती है. मैं विनम्रतापूर्वक सुझाव दूंगा कि राहुल गांधी और संविधान के स्व-घोषित चैंपियन अपने राजनीतिक प्रदर्शन शुरू करने से पहले वास्तव में मसौदा नियमों को पढ़ने में कुछ समय लगाते.

क्या कहा था राहुल गांधी ने

दरअसल, राहुल गांधी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा नियमों का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का इरादा देश पर एक विचार, एक इतिहास और एक भाषा थोपने का है, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. वह यूजसी के मसौदा नियमों के खिलाफ जंतर मंतर पर द्रमुक की छात्र इकाई द्वारा आयोजित प्रदर्शन में भी शामिल हुए. राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘आरएसएस का उद्देश्य अन्य सभी इतिहास, संस्कृतियों और परंपराओं को मिटाना है. यही तो वे हासिल करना चाहते हैं। उनका इरादा देश पर एक ही विचार, इतिहास और भाषा थोपने का है.” उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस विभिन्न राज्यों की शिक्षा प्रणालियों के साथ भी ऐसा ही करने का प्रयास कर रहा है तथा यह उनके एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक और कदम है.  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रत्येक राज्य की अपनी अनूठी परंपरा, इतिहास और भाषा होती है, यही कारण है कि संविधान में भारत को राज्यों का संघ कहा जाता है। हमें इन मतभेदों का सम्मान करना चाहिए और समझना चाहिए.”

 

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