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ये है दुनिया का सबसे खतरनाक पक्षी, इंसानों का भी करता है शिकार, वजन और लंबाई कर देगी हैरान 

February 25, 2025 | by Deshvidesh News

ये है दुनिया का सबसे खतरनाक पक्षी, इंसानों का भी करता है शिकार, वजन और लंबाई कर देगी हैरान

दुनिया भर में ऐसे बहुत कम पक्षी हैं जिनसे मनुष्य डरते हैं, लेकिन कैसोवरी (Cassowary) सबसे अलग है. “दुनिया के सबसे खतरनाक पक्षी” के रूप में जाने जाने वाले ये पक्षी ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों यानी ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट (tropical rainforests) में रहते हैं. यह पक्षी अपने चमकीले नीले चेहरे, हेलमेट जैसी हेडड्रेस और उस्तरे जैसे नुकीले पंजों के कारण सुंदर और खतरनाक है. इसका वजन 310 किलोग्राम तक हो सकता है और यह मनुष्य जितना लंबा हो सकता है.

पापुआ न्यू गिनी में जंगली कैसोवरी का अध्ययन करने वाले पांच साल बिताने वाले एंड्रयू मैक ने सीएनएन को बताया, “इनमें कुछ आदिमपन है. ये जीवित डायनासोर की तरह दिखते हैं.”

ऐसा कहा जाता है कि कैसोवरी डरपोक होते हैं और आमतौर पर इन्हें पहचानना मुश्किल होता है. ये बहुत हिंसक नहीं होते हैं और शायद ही कभी इंसानों पर हमला करते हैं. लेकिन अगर नाराज हो जाएं, तो ये बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं.

उड़ नहीं पाते ये पक्षी

हालांकि ये बड़े पक्षी उड़ने में असमर्थ हैं, लेकिन अपने अविश्वसनीय रूप से मजबूत पैरों के कारण ये तेज़ी से आगे बढ़ सकते हैं. ये ज़मीन और पानी में तेज़ी से आगे बढ़ सकते हैं और अच्छे तैराक भी होते हैं. रेनफॉरेस्ट में कैसोवरी को 31 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ते हुए देखा गया है.

अपने मज़बूत पैरों की बदौलत कैसोवरी हवा में सात फ़ीट तक की छलांग लगा सकते हैं और अपने दुश्मन को शक्तिशाली किक मार सकते हैं. वे अपने तीखे पंजों का इस्तेमाल किसी भी जानवर को काटने और छेदने के लिए करते हैं जो उनके लिए ख़तरा हो, जिसमें इंसान भी शामिल हैं.

इनसे बचने के लिए क्या करें?

उन्होंने आगे कहा, “अगर आपको जंगल में कैसोवरी मिल जाए, तो सबसे पहले अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे रखें. जितना हो सके उतना शांत बनें, ताकि आप कैसोवरी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित न करें. किसी पेड़ के पीछे चले जाएं. बस माहौल में घुल-मिल जाएं. चीखें-चिल्लाएं या अपनी बाहें इधर-उधर न हिलाएं.”

कुछ आदिवासी संस्कृतियां कैसोवरी को सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मानती हैं, और वे कभी-कभी पारंपरिक नृत्यों, अनुष्ठानों और रात की कहानियों में शामिल होती हैं. इनमें से कुछ स्वदेशी समुदाय वर्तमान में कैसोवरी संरक्षण में लगे हुए हैं.

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