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यमुना में जहरीले पानी के मुद्दे पर आज EC जाएंगे केजरीवाल, जानिए, क्‍या कदम उठा सकता है चुनाव आयोग 

January 31, 2025 | by Deshvidesh News

यमुना में जहरीले पानी के मुद्दे पर आज EC जाएंगे केजरीवाल, जानिए, क्‍या कदम उठा सकता है चुनाव आयोग

आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल आज 11 बजे चुनाव आयोग जाएंगे और यमुना में जहरीले पानी के मुद्दे पर खुद जवाब देंगे. केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी भी चुनाव आयोग जाएंगी.  निर्वाचन आयोग (EC) ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से बृहस्पतिवार को कहा था कि वह यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के मुद्दे को नदी को जहरीला बनाने संबंधी अपने आरोप से नहीं जोड़ें. इसके साथ ही आयोग ने केजरीवाल को हरियाणा सरकार के खिलाफ लगाए गए अपने आरोपों पर स्पष्टीकरण देने का एक और अवसर दिया.

केजरीवाल के बुधवार के जवाब से असंतुष्ट आयोग ने उनसे यमुना में विषाक्तता के प्रकार, मात्रा, प्रकृति और तरीके के बारे में विशिष्ट और स्पष्ट जवाब देने तथा तथ्यात्मक साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा.

…तो चुनाव आयोग निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा

केजरीवाल से दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा जहर का पता लगाए जाने के मामले में इंजीनियर, स्थान और कार्यप्रणाली का विवरण शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक साझा करने को कहा गया. ऐसा न करने पर आयोग मामले में उचित निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा. केजरीवाल ने निर्वाचन आयोग के नोटिस का बुधवार को जवाब दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि हरियाणा सरकार यमुना में ‘जहर घोल रही है.’ उन्होंने कहा था कि राज्य से प्राप्त पानी मानव स्वास्थ्य के लिहाज से ‘‘अत्यधिक दूषित और अत्यंत जहरीला” है.

किसी के सवाल उठाने का कोई कारण नजर नहीं आता

निर्वाचन आयोग को दिए गए 14 पृष्ठों के जवाब में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि यदि लोगों को इस तरह का ‘जहरीला पानी’ पीने दिया गया तो इससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरा पैदा होगा और लोगों की मौत होगी. आम आदमी पार्टी के नेता को लिखे अपने हालिया पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा कि पर्याप्त और स्वच्छ जल की उपलब्धता शासन संबंधी मुद्दा है और सभी संबंधित सरकारों को लोगों के लिए इसे हमेशा सुनिश्चित करना चाहिए. आयोग ने कहा कि उसे इस रुख पर किसी के सवाल उठाने का कोई कारण नजर नहीं आता. उसने कहा कि वह इस अहम मुद्दे को सरकारों और एजेंसियों की क्षमता एवं विवेक पर छोड़ेगा तथा लंबे समय से जारी जल-बंटवारे और प्रदूषण के मुद्दों पर संक्षिप्त चुनाव अवधि के दौरान मध्यस्थता से परहेज करेगा.

 

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