महाकुंभ ने खोले धार्मिक पर्यटन के द्वार, भाजपा सांसद की नेशनल रिलीजियस टूरिज्म पॉलिसी बनाने की मांग
February 24, 2025 | by Deshvidesh News

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ अब समापन की ओर बढ़ रहा है. देश और दुनिया के करोड़ों लोग महाकुंभ के दौरान पवित्र स्नान के लिए पहुंचे हैं. महाकुंभ 2025 इतिहास का सबसे बड़ा महाकुंभ साबित हुआ है. देश-विदेश से पहुंचे 62 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया है. इस बार अहम बात ये रही कि प्रयागराज पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का एक बड़ा तबका संगम में डुबकी लगाने के बाद भगवान के दर्शन के लिए अयोध्या के राम मंदिर, काशी विश्वनाथ और चित्रकूट भी पहुंचा. इसकी वजह से वाराणसी-प्रयागराज-अयोध्या-चित्रकूट धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा सर्किट बनकर उभरा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में बागेश्वर धाम में महाकुंभ के सफल आयोजन पर कहा, “आजकल हम देख रहे हैं महाकुंभ की हर तरफ चर्चा हो रही है, महाकुंभ अब पूर्णता की ओर है, अब तक करोड़ों लोगों ने आस्था की डूबकी लगाई है, संतों के दर्शन किए हैं. अगर इस महाकुंभ की तरफ नजर करें तो सहज भाव उठता है, ये एकता का महाकुंभ है. आने वाली सदियों तक 144 वर्ष के बाद हुआ ये महाकुंभ, एकता के महाकुंभ के रूप से प्रेरणा देता रहेगा और देश की एकता को मजबूती देने का अमृत परोसता रहेगा.”
15 हजार करोड़ रुपये का निवेश
परंपरा की पीठ पर सवार धर्मनगरी प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान परंपरा और संस्कृति का उत्सव हर तरफ दिखा. 45 दिनों तक पूरे प्रयागराज में हर तरफ धर्म में नहाया हुआ जोश और हौसला दिखाई दिया.
हालांकि इस धार्मिक नगरी में बुनियादी ढांचे को तैयार करने की कवायद में कई साल लगे. करोड़ों श्रद्धालु आसानी से महाकुंभ में पहुंच सके, इसके लिए नए हाईवे और ब्रिज तैयार किये गए जिन पर केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया.
धार्मिक पर्यटन का नया सर्किट
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज को दूसरे मशहूर धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, काशी और चित्रकूट से जोड़ने के लिए की गई इस कवायद का फायदा भी करोड़ों श्रद्धालुओं को मिला. महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं का एक तबका अयोध्या में राम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और चित्रकूट भी पहुंचा.
योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल नंदी कहते हैं कि महाकुंभ के दौरान एक नया धार्मिक पर्यटन का सर्किट पॉपुलर हुआ है. जाहिर है कि अब इस पूरे क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का एक नया नेटवर्क सक्रिय हो गया है. महाकुंभ के दौरान अयोध्या के राम मंदिर और काशी विश्वनाथ में उमड़ी ये भीड़ इसकी तस्दीक करती है.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को पहुंचा फायदा
इसका फायदा इस पूरे क्षेत्र में स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिला है, जब व्यापार बढ़ा तो कारोबार बढ़ा और रोज़गार भी. ट्रांसपोर्ट से लेकर हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री तक इसका असर हर तरफ दिखा.
प्रयागराज में डी कुमार लिमिटेड के डायरेक्टर दिनेश अग्रवाल कहते हैं, “जब भी इतना बड़ा धार्मिक आयोजन होता है तो इसका स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकरात्मक असर पड़ता है. नए होटल का निर्माण होता है, नई सप्लाई चैन तैयार होती है और रोज़गार के अवसर भी बढ़ते हैं.”
नेशनल रिलीजियस टूरिज्म पॉलिसी बननी चाहिए: खंडेलवाल
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव और चांदनी चौक से भाजपा के सांसद प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि महाकुंभ के दौरान जिस तरह से एक नया धार्मिक सर्किट सक्रिय हुआ है, उसे देखते हुए देश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति बननी चाहिए.
प्रवीण खंडेलवाल ने एनडीटीवी से कहा, “महाकुम्भ ने साबित किया है कि देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है. मैं भारत सरकार के टूरिज्म मिनिस्टर गजेंद्र शेखावत से गुज़ारिश करता हूं कि देश में नेशनल रिलीजियस टूरिज्म पॉलिसी बननी चाहिए. इससे आस्था का सम्मान भी होगा और व्यापार भी बढ़ेगा. इसमें राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.”
जाहिर है कि महाकुंभ 2025 से एक नई शुरुआत हुई है. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर कितनी जल्दी इसे आगे बढ़ाने के लिए पहल करती है.
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