Desh Videsh News – Breaking News, Politics, Business & Sports Updates

भारतीयों के लिए मोटापे की नई परिभाषा में पेट की चर्बी और संबंधित बीमारियों पर फोकस 

January 15, 2025 | by Deshvidesh News

भारतीयों के लिए मोटापे की नई परिभाषा में पेट की चर्बी और संबंधित बीमारियों पर फोकस

एक नए अध्ययन में भारतीय डॉक्टरों ने भारतीय आबादी के लिए मोटापे की परिभाषा को नए सिरे से तैयार किया है. यह अध्ययन बुधवार को प्रकाशित हुआ, जिसमें एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ भी शामिल हैं. 
अब तक मोटापा परिभाषित करने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उपयोग होता था. लेकिन द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित इस नए शोध ने पेट के आसपास के मोटापे (एब्डॉमिनल ओबेसिटी) और उससे जुड़ी बीमारियों को परिभाषा का आधार बनाया है.  

15 साल बाद आई इस नई परिभाषा का मकसद भारतीयों में मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को समझना और उनका समाधान ढूंढना है. पुरानी बीएमआई विधि केवल वजन और ऊंचाई के अनुपात पर निर्भर थी. लेकिन नए स्वास्थ्य आंकड़े बताते हैं कि पेट के आसपास की चर्बी (एब्डॉमिनल फैट) और इससे जुड़ी बीमारियां, जैसे डायबिटीज और दिल की बीमारियां, भारतीयों में जल्दी शुरू हो जाती हैं.

ये भी पढ़ें- तेजी से वजन बढ़ाने के लिए ये 3 ड्राई फ्रूट जरूर खाएं, दुबला-पतला शरीर बनेगा ताकतवर, कमजोरी होगी दूर

पेट के मोटापे को मुख्य कारक माना गया है, क्योंकि यह इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा है और भारतीयों में अधिक पाया जाता है. मोटापे के साथ आने वाली बीमारियों, जैसे डायबिटीज और हृदय रोग, को परिभाषा में शामिल किया गया है. मोटापे से होने वाली शारीरिक समस्याएं, जैसे घुटनों और कूल्हों का दर्द या दैनिक कार्यों के दौरान सांस फूलना, भी ध्यान में रखी गई हैं.  

एम्स दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम के अनुसार, “भारतीयों के लिए मोटापे की एक अलग परिभाषा बेहद जरूरी थी, ताकि बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सके और उनकी सही देखभाल की जा सके. यह अध्ययन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.” फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल के डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा, “भारत में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी. ये गाइडलाइंस पूरे देश के लिए उपयोगी और लागू करने में आसान हैं. इनसे मोटापे से जुड़ी बीमारियों का सही समय पर इलाज संभव होगा.”  

नई गाइडलाइंस में मोटापे को दो चरणों में बांटा गया है, जो सामान्य और पेट के मोटापे दोनों को संबोधित करती है. स्टेप 1 में शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है लेकिन अंगों के कार्यों या रोजमर्रा की सामान्य गतिविधियों पर कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पड़ता है. हालांकि इस स्टेप में कोई रोग संबंधी समस्याएं नहीं हो सकती हैं, लेकिन यह स्टेप 2 में प्रगति कर सकती है, जिससे अन्य मोटापे से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. स्टेप 2 मोटापे की एक एडवांस स्टेज है जिसमें पेट में वसा की अधिकता के साथ कमर का घेरा भी अधिक होता है. इसमें शारीरिक और अन्य अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है. अधिक वजन के कारण घुटने का गठिया, या टाइप 2 मधुमेह की उपस्थिति जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

अध्ययन ने सुझाव दिया है कि नई श्रेणियों के अनुसार वजन घटाने की रणनीतियां तैयार की जाए, ताकि मोटापे से जुड़ी समस्याओं का प्रभावी समाधान हो सके.

सेक्सुअल डिसऑर्डर के लक्षण कैसे पहचानें? एक्सपर्ट से जान लीजिए

 

RELATED POSTS

View all

view all
WhatsApp