बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार, नीतीश-बीजेपी का क्या ये लालू यादव की काट का फॉर्मूला है?
February 26, 2025 | by Deshvidesh News

Bihar New Ministers: बिहार में इस साल अक्तूबर-नवंबर के समय चुनाव होने हैं. इस बीच नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया. ये खबर सुनकर हर कोई हैरान है. एक साल से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें चल रही थीं, लेकिन चुनावी साल में ही अचानक कैसे और क्यों हुआ? इस विस्तार में बीजेपी के कोटे से सात नए चेहरों को शपथ दिलाई गई. इस फैसले को समझने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मंत्रिमंडल में शामिल इन चेहरों की जाति और इलाके पर गौर करना.

जातिगत समीकरण समझें
- कृष्ण कुमार मंटू-कृष्ण कुमार मंटू कुर्मी जाति से आते हैं. नीतीश कुमार भी इसी जाति से आते हैं. कुर्मी जाति के लोग आंख बंद कर नीतीश कुमार को वोट करते रहे हैं. बीजेपी ने कृष्ण कुमार को चुनावी साल में मौका देकर नीतीश कुमार के इस वोट बैंक को और मजबूत कर लिया है. इससे एनडीए की सभी पार्टियों को कुर्मी वोट उसी तरह मिलने की संभावना बढ़ गई है, जिस तरह से जदयू को मिलती है.
- जीवेश मिश्रा- ये भूमिहार जाति से आते हैं. नीतीश कुमार और बीजेपी को भूमिहार जाति हमेशा से सपोर्ट करती रही है. मगर पिछले विधानसभा चुनाव से इस वोट बैंक में बिखराव हुआ है. लालू यादव के फॉर्मूल के तहत तेजस्वी यादव ने इसमें सेंध लगा दी है. अब जीवेश मिश्रा को शामिल कर नीतीश और बीजेपी ने संदेश दिया है कि भूमिहारों को सबसे ज्यादा सम्मान वही दे रहे हैं.
- संजय सरावगी-ये वैश्य जाति से आते हैं. वैश्य समाज बीजेपी का पक्का वोटर माना जाता है. मगर हाल के दिनों में लालू यादव ने तेजस्वी यादव के जरिए ओबीसी वोटरों में सेंधमारी की कोशिश शुरू कर दी है. यही कारण है कि नीतीश कुमार और बीजेपी ने वैश्य जाति से आने वाले संजय सरावगी को मत्रिमंडल में जगह दी गई है. इससे बीजेपी ने अपने वोटबैंक को सीधा संदेश दिया है कि वो अपने कोर वोटरों का खास ख्याल रखती है.
- मोतीलाल प्रसाद-ये तेली जाति से आते हैं. ये भी मुख्य रूप से बीजेपी के ही वोटर माने जाते हैं. साथ ही नीतीश कुमार को भी वोट करते आए हैं. अति पिछड़े वर्ग से आने वाले मोतीलाल प्रसाद को मंत्री बनाकर नीतीश कुमार और बीजेपी ने इस वर्ग को संदेश दिया है. लालू यादव एमवाई समीकरण से आगे बढ़कर ओबीसी और अति पिछड़े वोटरों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में मोतीलाल प्रसाद के जरिए एनडीए ने अपने वोटरों को फिर से साध लिया है.
- राजू सिंह-ये राजपूत जाति से आते हैं. राजपूत शुरू से ही बीजेपी को वोट करते आए हैं. मगर सरकार में उचित सम्मान न मिलने के कारण राजद की तरफ भी देखने लगे थे. ऐसे में राजू सिंह को मंत्री बनाकर नीतीश कुमार और बीजेपी ने इस वर्ग को साधने की कोशिश की है. साथ ही ये बताने की कोशिश है कि एनडीए में उन्हें पूरा सम्मान दिया जा रहा है.
- विजय कुमार मंडल-ये केवट जाति से आते हैं. मुकेश सहनी के आने के बाद निषाद जाति ज्यादातर उन्हीं के साथ रहा है. ऐसे में विजय कुमार मंडल के जरिए बीजेपी और नीतीश कुमार ने विजय कुमार मंडल के जरिए एक नई लकीर खींच दी है. इससे केवट जाति को एक नया नेता देने की कोशिश की गई है. आरजेडी के साथ मुकेश सहनी के जाने के कारण ये जाति एनडीए से कट गई थी.
- सुनील कुमार कुशवाहा-ये कुशवाहा जाति से हैं. नीतीश कुमार कुर्मी-कोइरी की राजनीति से ही आगे बढ़े हैं. कुशवाहा समाज भी नीतीश कुमार के साथ ही रहा है. उपेंद्र कुशवाहा और बीजेपी के सम्राट चौधरी भी इसी जाति के हैं. सुनील कुमार कुशवाहा के जरिए नीतीश कुमार और बीजेपी ने इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है.

साफ है कि जातिगत समीकरणों के जरिए नीतीश कुमार और बीजेपी ने अपने वोटबैंक को सहेजा है. साथ ही लालू यादव को यादव-मुस्लिम समीकरण तक सीमित करने की कोशिश की है. वहीं नीतीश कुमार और बीजेपी ने मंत्रियों के जरिए बिहार के उस इलाके को सबसे ज्यादा साधा है, जिसे इलाके से खुद लालू यादव आते हैं और सबसे ज्यादा मजबूत हैं. पटना से नेपाल जाने वाले पूरे क्षेत्र मतलब उत्तरी बिहार को एक तरह से बीजेपी और जदयू ने इस मंत्रिमंडल विस्तार से साध लिया है.

क्षेत्रवार देखिए समीकरण
- कृष्ण कुमार मंटू-कृष्ण कुमार छपरा के अमनौर से विधायक हैं. मंटू भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी के काफी करीबी माने जाते हैं. मंटू का प्रभाव क्षेत्र छपरा, सिवान, गोपालगंज सटे हुए इलाके हैं. इस तरह से बीजेपी और नीतीश कुमार ने एक नेता के जरिए इस पूरे क्षेत्र को एक सकारात्मक संदेश दिया है. इन इलाकों में लालू यादव की पार्टी का काफी प्रभाव है. ऐसे में मंटू के जरिए लालू-तेजस्वी की ताकत को कुंद करने की कोशिश की गई है.
- जीवेश मिश्रा- ये दरभंगा के जाले विधानसभा से आते हैं. जाहिर है इस इलाके से दो-दो मंत्री बनाकर बीजेपी और नीतीश कुमार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. जीवेश मिश्रा के जरिए बीजेपी और नीतीश कुमार ने इस इलाके में खुद को मजबूत कर लिया है.
- संजय सरावगी-ये दरभंगा सदर के विधायक हैं. आरएसएस के भी काफी करीबी माने जाते हैं. ऐसे में उनके जरिए बीजेपी और नीतीश कुमार ने इस इलाके के साथ आरएसएस के स्वयंसेवकों को भी साधने की कोशिश की है.
- मोतीलाल प्रसाद-ये सीतामढ़ी जिले के रीगा विधानसभा से चुनकर आते हैं. सीतामढ़ी इलाका बीजेपी और नीतीश कुमार के सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है. कई विकास कार्य इस इलाके में चल रहे हैं. ऐसे में इस इलाके से मंत्री बनाकर बीजेपी और नीतीश कुमार ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है.
- राजू सिंह- ये मुजफ्फरपुर से सटे साहिबगंज के विधायक हैं. राजू सिंह को मंत्री बनाकर बीजेपी ने इस पूरे इलाके के सवर्णों को मैसेज दिया है. साथ ही इस इलाके में अपनी पैठ को मजबूत किया है.
- विजय कुमार मंडल-ये अररिया जिले के सिकटी के विधायक हैं. सीमांचल का यह इलाका मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां पर सबसे ज्यादा लालू यादव की पार्टी का बोलबाला है. वहीं ओवैसी की पार्टी भी इस इलाके में काफी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में विजय कुमार मंडल को मंत्री बनाकर बीजेपी और नीतीश कुमार ने इस इलाके में नये समीकरण साधे हैं.
- सुनील कुमार कुशवाहा-ये बिहारशरीफ से विधायक हैं. पहले जदयू में थे और अब बीजेपी विधायक हैं. इनके जरिए बिहारशरीफ इलाके में जदयू और बीजेपी ने अपनी पैठ बढ़ाई है. साथ ही ये भी संदेश देने की कोशिश की गई है कि बीजेपी और जदयू में किसी तरह के कोई मतभेद नहीं हैं.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिका भेजने वाले ट्रैवल एजेंट्स के खिलाफ सख्ती, 40 के लाइसेंस रद्द
February 24, 2025 | by Deshvidesh News
अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने दिखाई ‘मेक इन इंडिया’ की ताकत,कई आधुनिक हथियार किए प्रदर्शित
February 11, 2025 | by Deshvidesh News
छावा के कवि कलश ने बताया, सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव के डायलॉग ‘राइटर बाप होता है’ कैसे आ गया सीन में
February 21, 2025 | by Deshvidesh News