दिल्ली चुनाव 2025: सामान्य सीटों पर दलितों को टिकट देने में आगे हैं ये पार्टियां, AAP का है यह हाल
January 21, 2025 | by Deshvidesh News

दिल्ली विधानसभा चुनाव का मैदान सज चुका है. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि सोमवार को थी. इसके बाद से दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर इस बार कुल 699 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इन 70 सीटों में से 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने परंपरा से हटते हुए तीन सामान्य सीटों पर भी अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं. लेकिन दिल्ली में पिछले तीन बार से सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ऐसा कर पाने में नाकाम रही है. आइए देखते हैं कि किस पार्टी ने किस सामान्य सीट से दलित उम्मीदवार को खड़ा किया है.
सामान्य सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार
साल 1998 से दिल्ली की सत्ता से दूर चल रही बीजेपी ने इस बार 14 सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं. उसने दिप्पी इंदौरा को मटियामहल सीट और कमल बागड़ी का बल्लीमारान सीट से उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने नरेला सीट
से अरुणा कुमारी को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने इंदौरा को 2022 के एमसीडी चुनाव में भी मटिया महल से उम्मीदवार बनाया था. लेकिन वो आप के किरनबाला से हार गए थे. वहीं उसके दूसरे उम्मीदवार बागड़ी बल्लीमारान विधानसभा सीट के तहत आने वाले रामनगर वार्ड से बीजेपी के टिकट पर पार्षद चुने गए थे.बीजेपी ने जिन सामान्य सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं, वो दोनों सीटें मुस्लिम बहुल इलाकों में हैं.वहीं कांग्रेस ने नरेला से जिस अरुणा कुमारी को टिकट दिया है, वह भी पहले एमसीडी पार्षद रह चुकी हैं.
बीते साल हुए लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक चर्चा उत्तर प्रदेश की फैजाबाद सीट के चुनाव परिणाम को लेकर हुई थी. इस सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. उनके जीत की चर्चा इस बात के लिए हुई थी कि दलित समाज से आने वाले अवधेश प्रसाद ने सामान्य सीट से चुनाव जीता था. उन्होंने बीजेपी के लल्लू सिंह को 50 हजार से अधिक वोटों के अंतर से मात दी थी. समाजवादी पार्टी के इस कदम की जमकर तारीफ हुई थी. कुछ ऐसा ही कदम इस बार बीजेपी और कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में उठाया है.इस बार बीजेपी ने दो और कांग्रेस ने एक सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार खड़े किए हैं. संसद में गृहमंत्री अमित शाह की ओर से डॉक्टर बीआर आंबेडकर को लेकर दिए बयान पर मचे राजनीतिक घमासान के बाद इन दोनों दलों का यह कदम महत्वपूर्ण हो जाता है. शाह के बयान पर जारी लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आप भी शामिल हुई थी. लेकिन दिल्ली में जब सामान्य सीट पर दलित उम्मीदवार उतारने की बात आई तो वह यह साहस नहीं दिखा पाई.
सपा-कांग्रेस गठजोड़ का कमाल
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था. दोनों दलों ने प्रदेश की 80 में से 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इनमें से 37 सीटें समाजवादी पार्टी ने और छह सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. इसका परिणाम यह हुआ था कि बीजेपी 2019 की तुलना में 30 सीटें कम जीत पाई. इसी के साथ बीजेपी अपने दम पर बहुमत जुटा पाने में नाकाम रही. इस चुनाव की खास बात यह रही थी कि समाजवादी पार्टी ने दो सामान्य सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार खड़े किए थे. उसने मेरठ से सुनीता वर्मा को और फैजाबाद सीट से अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था. समाजवादी पार्टी को फैजाबाद में जीत मिली थी, वहीं एक कड़ी लड़ाई में मेरठ में उसे हार का सामना करना पड़ा था.
ये भी पढ़ें : राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने किस देश के लिए दिया क्या संदेश, भारत के लिए क्या है मैसेज
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
बेटे की शादी पर गौतम अदाणी ने किया महादान, सोशल मीडिया पर हो रही जमकर तारीफ
February 7, 2025 | by Deshvidesh News
आलू के रस में मिला लें ये 2 चीजें, चेहरे की सारी झुर्रियां और रिंकल हो जाएंगे दूर, दिखने लगेंगी यंग
February 15, 2025 | by Deshvidesh News
मुंबई में 20 अवैध बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, कैसे बनवाते थे भारत का दस्तावेज, जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
February 10, 2025 | by Deshvidesh News