डिप्रेशन से निपटने में सहायक हो सकती है फिजिकल एक्टिविटी, रोज स्टेप काउंट करना भी फायदेमंद, जानिए कैसे
January 13, 2025 | by Deshvidesh News

दुनिया भर में 33 करोड़ से ज्यादा लोग अवसाद से पीड़ित हैं. हालांकि डिप्रेशन के डायग्नोस की कॉम्पलेक्सिटी और इस कंडिशन की डायवर्सिटी का अर्थ है कि ऐसा आंकड़ा केवल एक अनुमान ही हो सकता है. डिप्रेशन डिसऑर्डर डिसेबिलिटी का एक प्रमुख कारण है और यह लाइफ क्वालिटी के कई पहलुओं को प्रभावित करता है, जिसमें उसकी इमोशनल वेल-बीइंग, सोशल रिलेशन, फंक्शनल कैपेसिटी और फिजिकल हेल्थ भी शामिल हैं. हालांकि हमारे पास इन्हें रोकने के तरीके हैं और फिजिकल एक्टिविटी उनमें से एक है.
अवसाद की स्थिति पैदा होने का जोखिम कई परस्पर आनुवंशिक, जैविक, मनोवैज्ञानिक, पर्यावरणीय, सोशल और बिहेवियर फैक्टर्स से प्रभावित होता है. इनमें से अनहेल्दी लाइफस्टाइल कॉम्पोनेंट जैसे कि पर्याप्त रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी न करना, हमारे मानसिक स्वास्थ्य की गिरावट में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसलिए इन जोखिमों की पहचान करना तथा निवारक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना, अवसाद की व्यापकता को कम करने तथा लोगों के ओवरऑल लाइफ क्वालिटी में सुधार लाने के लिए बहुत जरूरी है.
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हम पर्याप्त व्यायाम नहीं कर रहे हैं:
फिजिकल एक्टिविटी हेल्दी लाइफस्टाइल लाइफस्टाइल का एक अलग-अलग अंग है, लेकिन वैश्विक लेवल पर 81 प्रतिशत टीनेजर और 31 प्रतिशत वयस्क रिकंमेंड गाइडलाइन्स को पूरा नहीं करते.
इसके साथ ही दुनिया के दो तिहाई क्षेत्रों में फिजिकल एक्टिविटी लेवल अपर्याप्त होता जा रहा है. फिजिकल एक्टिविटीज में कमी के कारण वर्ष 2019 में दुनिया भर में 8,30,000 लोगों की मौत हुई और इसने दिव्यांगता-एडजस्टमेंट 1.6 करोड़ जीवन सालों के नुकसान में योगदान दिया. साल 1990 के बाद से ये आंकड़े लगभग 84 प्रतिशत बढ़ गए हैं.
शोधकर्ता स्टीवन ब्लेयर ने कई जोखिम कारकों के अनुसार सभी कारणों से होने वाली मौतों के संभावित अंशों का अध्ययन किया और 2009 की शुरुआत में ही तर्क दिया कि “फिजिकल एक्टिविटीज में कमी 21वीं सदी की सबसे बड़ी पब्लिक हेल्थ प्रोब्लम्स में से एक है.”
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एक एक्टिविट लाइफस्टाइल ऑर्गेनिक सिस्टम (जैसे न्यूरोजेनेसिस और सूजन में कमी) और मनोवैज्ञानिक तंत्रों (जैसे आत्म-सम्मान और सोशल सपोर्ट) दोनों के जरिए डिप्रेशन को रोकने में मदद कर सकती है.
हालांकि, हाल के दशकों में फिजिकल एक्टिविटी के अपर्याप्त लेवल में बढ़ोत्तरी के कारण कोई भी संभावित लाभ बेअसर हो जाता है.
लाइफस्टाइल में यह बदलाव न केवल मोटापे, नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज और असामयिक मृत्यु दर को बढ़ाता है. यह पर्यावरण क्षरण में भी योगदान देता है, तथा हेल्थ सर्विस लागत और प्रोडक्टिविटी लॉस के जरिए हमारी अर्थव्यवस्थाओं पर बोझ डालता है. इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें तेजी से बढ़ता शहरीकरण, सेडेंटरी वर्क पैटर्न और मॉर्डन ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2030 तक फिजिकल एक्टिविटी के अपर्याप्त लेवल में 15 प्रतिशत सापेक्ष कमी लाने के टारगेट की दिशा में प्रगति धीमी रही है. अगर मौजूदा प्रवृत्ति जारी रही तो हम प्रस्तावित टारगेट तक नहीं पहुंच पाएंगे. सामान्य आबादी के बीच फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा देना एक चुनौती बनी हुई है.
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हर दिन अपने स्टेप गिनना एक स्ट्रेटजी:
डेली स्टेप काउंट करना लोगों को एक्टिव बनाने का एक सरल, सहज तरीका है, कई अध्ययनों से पता चला है कि स्टेप काउंट लोगों को फिजिकल एक्टिविटी के अनुशंसित लेवल को पूरा करने में मदद कर सकती है. फिटनेस ट्रैकर्स और स्मार्ट वॉच जैसे पहनने उपकरणों की बदौलत इस पर नजर रखना आसान होता जा रहा है.
स्टेप काउंट और डिप्रेशन के बीच संबंध
कदमों की गिनती और अवसाद के बीच संबंध निर्धारित करने के लिए मैंने स्पेन और लैटिन अमेरिका के अन्य शोधकर्ताओं की एक टीम के साथ मिलकर हाल ही में एक वैज्ञानिक सामग्री की समीक्षा की. हमने 33 अध्ययनों के परिणामों को की समीक्षा की, जिसमें सभी आयु वर्गों के कुल 96,173 वयस्कों को शामिल किया गया.
हमने पाया कि प्रतिदिन 5,000 या उससे ज्यादा स्टेप चलने से अवसाद के लक्षण कम होते हैं और हर दिन 7,500 या उससे ज्यादा कदम चलने वाले वयस्कों में अवसाद का प्रसार 42 प्रतिशत कम था.
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