Desh Videsh News.

Desh Videsh News.

Deshvidesh News

जहां इबादतें नहीं देखती मजहब… पढ़ें आखिर क्यों अमन, मोहब्बत और गंगा जमुनी तहजीब का संगम है ये निजामुद्दीन दरगाह 

February 3, 2025 | by Deshvidesh News

जहां इबादतें नहीं देखती मजहब… पढ़ें आखिर क्यों अमन, मोहब्बत और गंगा जमुनी तहजीब का संगम है ये निजामुद्दीन दरगाह

Hazrat Nizamuddin Vasant Panchami: दिल्ली की मशहूर हजरत निजामुद्दीन की दरगाह अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाती है. लेकिन यहां करीब 800 साल से चली आ रही परंपरा ने एक बार फिर से अपना इतिहास दोहराया है. दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में हिन्दू, मुस्लिम और सिख समुदाय से लेकर कई समुदाय के लोगों ने मिलकर वसंत पंचमी का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया. इस त्योहार को मनाने के साथ ही सभी धर्मों के आपसी सौहार्द ने एक बार फिरसे मोहब्बत का संदेश पूरी दुनिया को दिया.

सियासत और एक तरफ मोहब्बत

हमारे देश में एक तरफ सियासत और एक तरफ मोहब्बत का पैमाना चलता आ रहा है. मोहब्बत की बुनियाद में ही इस देश की विभिन्नता, अनेकता में एकता जैसे शब्द चरितार्थ हो रहे हैं. करीब 800 सौ साल से चली आ रही यह परंपरा आज भी लोगों के लिए उतनी ही प्रासंगिक नजर आती है. आज हम 2025 में भी खड़े होकर देखते हैं तो पाते हैं कि निजामुद्दीन की दरगाह पर हर समुदाय के चाहे वह बच्चे हो या बुजुर्ग, पुरुष हो या महिला या फिर किन्नर सभी पीले रंग में सराबोर नजर आ रहे थे. सबके भीतर इस वसंत के त्यौहार मनाने के लिए उत्साह बेहद के दायरे में देखने को मिला.

Latest and Breaking News on NDTV

कैसे शुरू हुई यह परंपरा

हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह के सज्जादानशीन सैयद फरीद अहमद निज़ामी ने वह वाक्या बताया जब वसंत मनाने की शुरुआत की गई. हजरत निजामुद्दीन के भांजे के बेटे सैयद नूह के निधन के बाद हजरत निजामुद्दीन बेहद उदास रहने लगे. इससे सबसे ज्यादा परेशान हजरत निजामुद्दीन के सबसे प्रिय शिष्य अमीर खुसरो हो रहे थे, बहुत कोशिशों के बाद भी उनके चेहरे पर खुशी लाने में वह नाकाम रहें.

Latest and Breaking News on NDTV

वसंत का दिन आया तो अमीर खुसरो ने देखा कि कुछ औरते भजन गाती हुई कालका के मंदिर की ओर जा रही थी. अमीर खुसरो ने उनसे पूछा की तुम कौन हो और कहां जा रही हो? तो महिलाओं ने बताया कि हम अपने विद्या के देवी मां शारदे की पूजा करने जा रहे हैं.उसके बाद अमीर खुसरो वैसा ही रुप बनाकर निजामुद्दीन के पास आ गए. इसको देखकर निजामुद्दीन मुस्कुराने लगे, वह दिन लोगों के लिए बेहद खास हो गया. तब से इस खुशी के दिन वसंत मनाया जाने लगा. लोग इस दिन निजामुद्दीन के दरगाह पर ‘आज बसंत मनाले और सकल बन फूल रही सरसो.’ जैसे गीत हैं. खास बात यह है कि यह गीत अमीर खुसरो द्वारा ही लिखा गया, और इसे कव्वाली के रुप में आज भी निजामु्द्दीन की दरगाह पर अमीर खुसरो के खानदान के लोगों द्वारा ही गाया जाता है. 

ये भी पढ़ें- आसान नहीं था अमृता प्रीतम का इमरोज होना, ‘मोहब्बत की दुनिया’ में हमेशा याद रखी जाएगी ये कहानी

 

RELATED POSTS

View all

view all
WhatsApp