क्या है संगम नोज, जहां मची थी भगदड़, क्यों यही स्नान के लिए बेताब रहते हैं श्रद्धालु
January 31, 2025 | by Deshvidesh News

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में बुधवार की सुबह संगम नोज के पास मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य श्रद्धालु घायल हो गए थे. वे सभी मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम में पवित्र स्नान के लिए आए थे. लेकिन सवाल है कि संगम का नोज इतना अहम क्यों है, जहा सभी श्रद्धालु पहुंचना चाहते हैं. कुंभ आने वाले श्रद्धालु संगम की नोज पर ही स्नान करने की चाहते रखते हैं. भीड़ को देखते हुए संगम नोज के क्षेत्र का आकार हर बार बढ़ाया जाता है, ताकि श्रद्धालुओं को सुविधाजनक और सुरक्षित तरीके से स्नान करने का मौका मिल सके.
प्रयागराज में संगम का नोज वह स्थान है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है. इसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और महाकुंभ के दौरान यहां स्नान करने का विशेष महत्व है. यही कारण है कि महाकुंभ में पहुंचने वाले हरेक श्रद्धालु यहां स्नान करना चाहते हैं.
संगम के नोज को पवित्र क्यों माना जाता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में संगम को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है. यहां तीन नदियों का मिलन होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है. माना जाता है कि यहां स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
संगम का नोज की भौगोलिक विशेषता
संगम का नोज एक त्रिकोणीय आकार का स्थान है, जहां गंगा और यमुना नदियां मिलती हैं. सरस्वती नदी यहां स्थिर है और गुप्त रूप से संगम में मिलती है. यह स्थान दिखने में बहुत ही सुंदर और आकर्षक है और यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है.
प्रयागराज के स्थानीय गाइड अवनीश ने बताया कि संगम की नोज पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम स्थल है. यहां आए लोगों का फोकस रहता है कि वे संगम की नोज पर ही स्नान करें. ऐसा मना जाता है कि समुद्र मंथन के समय अमृत की बूंदें यहां पर गिरी थीं और यहां देवताओं का वास होता है. अमृत को पाने के लिए लोग यहां स्नान करते हैं. मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या पर यहां स्नान करने से 100 अश्वमेध का फल मिलता है.
स्थानीय गाइड अवनीश ने बताया, ‘जिसकी धारा तेज है वह गंगा नदी है. वहीं, स्थिर जो जल है वो है यमुना, यहां सरस्वती नदी अदृश्य है. सुरक्षा कारणों से बैरिकेडिंग की गई है. सरकार की ओर से सुरक्षा व्यवस्था किए गए हैं. यही पर हादसा हुआ था. यहां का जल आध्यात्मिक चेतना को जागृत करता है. साधु संत भी यही स्नान करता चाहते हैं. यहां महाकुंभ के समय देवातों का वास होता है. नगा साधुओं के बिना ये कुंभ अधूरा है.
Hot Categories
Recent News
Daily Newsletter
Get all the top stories from Blogs to keep track.
RELATED POSTS
View all
कभी हां कभी ना एक्ट्रेस सुचित्रा कृष्णमूर्ति की बेटी कावेरी हैं उनकी हुबहू कॉपी, मां के साथ हुईं स्पॉट तो फैंस बोले- सेम टू सेम
February 20, 2025 | by Deshvidesh News
Bihar Budget 2025: सम्राट चौधरी आज पेश करेंगे बिहार का बजट, इन सेक्टर्स पर फोकस रहने की है संभावना
March 3, 2025 | by Deshvidesh News
Union Bank of India ने अपरेंटिस पदों पर निकाली भर्ती, बैचलर डिग्री, ऑनलाइन टेस्ट से होगा चयन
February 21, 2025 | by Deshvidesh News